क्या निहत्ते गैर प्रशिक्षित आन्दोलन कारी इतने मजबूत ढाचे को बिना औजारों के मटियामेट कर सकते थे . नहीं कभी नहीं यही आपके अन्दर से निकलेगा . सन ९२ में जब रामजन्मभूमि आन्दोलन चरम पर था उस समय मेरे पिताजी संसद सदस्य थे उनेह संसद के अंदर कुछ कांग्रेसी सांसदों ने कहा हमारे बुड्ढे [ नरसिंह राव ] ने कहा है आराम करो घर बैठो चुनाव जीतो ६ दिसम्बर के बाद यह बी जे पी वाले सडको पर पीटेंगे . जनता इनेह कहीं का नहीं छोड़ेगी .
बात आई गई हो गई . मज़ाक में बात चली लेकिन इस बात की सच्चाई ६ दिसम्बर को ही पता चली .
अयोध्या में कार सेवको की भारी भीड़ उमड़ी . गैर विवादित चबूतरे को सरयू के जल से धोने के लिए . तमाम नेता ,पत्रकार वहां पहले ही पहुच गए . मंच पर नेताओ का जमघट लगा था भाषण बाज़ी शुरू हो चुकी थी . उसी समय कुछ पत्रकारों ने कार सेवको से पुछा कितने रूपय रोज़ पर लाये गए हो एक विदेशी पत्रकार ने सेंड विच फेका और कुछ कहा . कारसेवक उद्धेलित हो गए और पत्रकारों की ठुकाई कर दी गई .
सांकेतिक कारसेवा चालु हुई तभी अचानक कुछ लोग गुम्बद पर चढ़ गए . नेताओ के चेहरे पर भाव बदलने लगे लेकिन लगा की पहले की तरह उत्साह में लोग चढ़ गए है और उतर जायेंगे . मंच से नीचे उतरने की अपील की जाने लगी लेकिन कोई नहीं सुन रहा था . उमा भारती ने हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया . अडवानी जी , स्व. राजमाता सिंधिया , जोशी जी , संघ प्रमुख शेषाद्री जी ने कारसेवको से रुकने की अपील की लेकिन कोई मानने को तैय्यार नहीं था . तभी अचानक एक हल्का विस्फोट हुआ और एक गुम्बद गिर गया . स्थति हाथ से निकल गई थी . लोगो का जोश चरम पर आ गया . मंच से ही अडवानी जी ने कल्याण सिंह से फ़ोन पर बात की और कहा जो हुआ सो हुआ गोली नहीं चलनी चाहिए . और गोली नहीं चली .
मेरे पिताजी उस समय उस मंच पर मौजूद थे . अचानक उनेह अपने साथी कांग्रेस सांसद की वह बात याद आगई जो उसने कहा था क़ि हमारे बुड्ढे ने इंतजाम कर दिया है . और यह था इंतजाम शरद पवार तत्कालीन रक्षा मंत्री के सौजन्य से . प्रशिक्षित लोगो द्वारा उस ढाचे को तकनिकी के माध्यम से ढा दिया . षड्यंत्र का पहला चरण तो पूरा हो गया दूसरा चरण यह था राज्य सरकार गोली चलवाए और उसमे सैकड़ो कार सेवक मारे जायेंगे सारा इलज़ाम भाजपा के सर आएगा और जनता का आक्रोश सारे भारत में फैल जाएगा भाजपा के नेता सडको पर पिटते और भाजपा हमेशा के लिए ख़त्म
इस पूरे प्रकरण में भाजपा क़ि स्थिति रपट गए तो हर हर गंगे वाली हो गई . भाजपा के हाथ से एक मुद्दा हाथ से निकल गया अब वह ढाचा भी नहीं रहा जिसको दिखा दिखा कर वह हिन्दुओ को पटा पाते . उस समय भाजपा के नेताओ पर अपनी चार सरकार जाने का ज्यादा गम था . उसके बाद आज तक भाजपा जुगाड़ तुगाड़ से तो सरकार बना पायी लेकिन अपने बूते पर नहीं . यह मुद्दा खत्म हो गया था ६ दिसम्बर ९२ को .
लेकिन कांग्रेस लिब्राहन आयोग के द्वारा इस मरे मुद्दे को फिर उठा रही है अपनी कमियों को छुपाने के लिए . राजीव गाँधी ने बोफर्स को हल्का करने के लिए शिलान्यास करवाया . नरसिंह राव ने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए ढाचा तुडवाया और अब मनमोहन सिंह ने महंगाई ,गरीबी , और देश पर आये संकट को छुपाने के लिए राम जन्म भूमि के विवाद को फिर आगे कर दिया .
और भाजपा व सपा इसमें भी राजनीती की सम्भावना खोज रहे है . किसी मुस्लिम को शायद ही जय श्री राम से इतनी आपत्ति नहीं होंगी जितनी मुस्लिम वोटो के चाहत में सपा को है . कांग्रेस ने तो हड्डी फेक दी है और कुछ समय के लिए तो वह ज्वलंत मुद्दों को ढकने में कामयाब हो ही गई है .