सोमवार, दिसंबर 22, 2008

देश के प्रति हमारा कर्तव्य सिर्फ़ एक- नेताओं को गाली

एक सुरंग भारत और पाकिस्तान के बीच मे खोद दी गई कहा जाता है तस्करों का काम है । उस समय यह सुरंग मिली जब लडाई की सम्भावना बनी हुई है । यह हमारे होनहारों की मदद के बिना असम्भव है । आइये हम लोग जो एक काम जानते है वह करे नेताओं को गाली दे उनेह बुरा भला कहे हो सके तो जूते मारे और अपनी देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करे ।

ऐसी कई सुरंगे जो हमारे देश मे सेंध लगा रही है और हम खामोश बैठे है । किसकी कमी उजागर होगी जाच का विषय है लेकिन हमारी सीमा पर लगे सुरक्षा बल क्या कर रहे है यह मनोबल तोड़ने की बात नही गंभीर बात है इतनी सतर्कता के बीच यदि तस्कर आ जा रहे है तो आतंकवादी ,हथियार तो बहुत आसानी से सैर करते हुए हिंदुस्तान को तबाह करने के इरादे से कभी भी आ जा सकते है ।

आतंकी समुंदर के रस्ते आते है जमीन के रस्ते आते है कुछ दिन मे आसमान के रस्ते भी आयेंगे और हम अपनी लोकप्रिय जिम्मेदारी निभाएंगे सिर्फ़ एक ,नेताओं को गाली और हम कर क्या सकते है बेबस है हमारे हाथ मे कुछ नही क्योंकि हम सही निर्णय नही ले पाते । और करे भी क्या हर शाख पर उल्लू बैठा है । सब एक थैली के चट्टे बट्टे है । साँप नाथ नाग नाथ मे से ही किसी को चुनना है । कसम खाए अबकी ऐसा चुने जो काटे नही तो कम से कम फुस्कारे तो ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. सही है, चुनावों में यह मुद्दा अवश्य होगा। और लोगों के पास चयन के कुछ विकल्प अवश्य होंगे। कोई राजनैतिक दल इस मुद्दे पर ढुलमुल नहीं रह पायेगा।

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  2. जो नेता जिम्मेदारी से जनता के प्रति
    अपने कर्तव्यों का निर्वहन नही करते
    है उन्हें मै मां....की गाली से संबोधित करता हूँ . बहुत बढ़िया
    सटीक लिखा है आपने बिंदास

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  3. ये चिकने घड़े इतने ढीठ और बेशर्म हैं कि ये फिर भी दांत निपोरते रहेंगे।

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  4. हम सुरक्षा बलों में देश के लिए नही अपने रोजगार के लिए भरती होते है,चुनाव भी हम देश सेवा के लिए नही अपने लिए, पैसा बनाने के लिए लड़ते है,पड़ोसी देश हमारे धर्म वाला है अतः वो हमारे यहाँ बम फोडे या कुछ और करे हमें तकलीफ नही, वोट भी हम देश हित व विकास करने वाले को नही अपनी जात व सम्प्रदाय वाले को ही देंगे |जब तक हमारी यही सोच रहेगी इस देश में ऐसी सुरंगे खुदती ही रहेंगी उन्हें कोई नही रोक सकता |

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  5. भाई रतन सिंह शेखावत जी की बात से हम सहमत है.

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  6. बहुत हो चुका राष्ट्र भक्ति का नाटक.... । ना नेता बदलने वाले और ना ही जनता । जब सभी सुख सुविधा का जीवन चाहते हैं ,तो फ़िर सुरक्षा बलों से ही ईमानदारी और राष्ट्र्र निष्ठा की उम्मीद क्यों और किस हक से की जा सकती है ।

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  7. हां जी, हम नेताओं को गाली भी देते है और उनके भाषण पर ताली भी ... तो इब नेता भी क्या करे..

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा