tag:blogger.com,1999:blog-23084291416193021702024-03-06T10:27:13.921+05:30Darvaar दरबारअपनी कलम को हथियार बना शब्दो में बारुद भरें -
सोया समाज जो राख समान उसमे कुछ आग लगेdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comBlogger362125tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-16942521298822821272022-05-12T14:35:00.001+05:302022-05-12T14:35:51.220+05:30विवादों पर लगाम <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjK7Mm6lk78TkeuBqkR6V4Elm5XeS0eeVnpqqII8rroC0H40dBfv0wnMVRyhvMNorxFSGfrvUNO6tA-nJI66Rpv5S5bn1YXSdqJ_X5TowKuvDJqOzHnoBWYlYs1OPnssyImmjCoHXHyKPM/s1600/1652346345529626-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
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</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-43574159600406636682022-05-07T08:37:00.001+05:302022-05-07T08:37:52.303+05:30राष्ट्रीयता या राष्ट्रवाद <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-11551076545185795112022-05-06T11:08:00.001+05:302022-05-06T11:08:38.424+05:30धर्म की रक्षा <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2kgV7y6OgzLhxK-YWa0YGWu5UW7YYWBi_SJOFpYCO2ctctoriwshMqdCqdvXG3tfnh5xSHesK4Q1KrMLQ6HcnZhFDS40KxEhKhws2TgN0eTqi9kO69zONHIKRYFflun8VCnuCIkHPZpo/s1600/1651815501510371-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
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</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-32795670483799719452021-06-02T09:27:00.001+05:302021-06-02T09:27:07.632+05:30क्या योगी बड़े होकर मोदी बनेंगे ?<div>क्या योगी बड़े होकर मोदी बनेंगे ?</div><div><br></div><div>विचार की गति प्रकाश की गति से तीव्र होती है। और जेट युग मे कुछ ज्यादा ही। 5 साल में एक बार चुनाव होते है और चुनाव जीतते या हारते ही अगले चुनाव का मिशन शुरू हो जाता है। चंद लोग तुरन्त अपने हिसाब से अपने पसंद के नेता की पदोन्नति घोषित कर देते है। </div><div><br></div><div>अभी एक मुहिम चलाई जा रही है मोदी के उत्तराधिकारी की खोज की। जबकि मोदी के प्रधानमंत्री पद का चरम अभी बाकी है। 2019 में 370 हटने के बाद चंद लोगो ने घोषणा कर दी थी 2024 में मोदी राष्ट्रपति और अमित शाह प्रधानमंत्री। उसके बाद परिस्थितियों ने करवट ली अब वही चंद लोग उत्तराधिकारी के रूप में योगी की घोषणा कर रहे है। </div><div><br></div><div>सवाल यह है कि योगी क्या मोदी बन सकते है। मोदी और योगी की एक समानता है कि दोनों पैराशूट मुख्यमंत्री बनाये गए। जब मुख्यमंत्री बने तो उनके नाम पर चुनाव नही हुआ। लेकिन मोदी ने अपने को सिद्ध किया आगे आने वाले विधानसभा चुनावों में अपने बल पर जीत कर। 13 साल के मुख्यमंत्री पद के दौरान ही वह प्रधानमंत्री पद की राह बना सके। </div><div><br></div><div>योगी भी 2017 चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनाये गए। मुख्यमंत्री बनने के तुरन्त बाद हुए लोकसभा उप चुनाव में वह अपनी और उपमुख्यमंत्री की छोड़ी सीट को भी नही जिता सके। उसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में भी 2014 उत्तर प्रदेश में रिपीट नही हो सकी। </div><div><br></div><div>योगी का सवा चार साल का मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल का अगर अवलोकन किया जाए तो योगी की उतनी पकड़ नही साबित हुई जितनी योगी जैसे व्यक्तित्व की होनी चाहिये थी। कभी कभी लगता है कोई रिमोट काम करता है। कोरोना की दूसरी लहर के विकट रूप में आने के बाद योगी की सक्रियता भी उन्हें स्थिर नही कर पा रही है। </div><div><br></div><div>योगी को मोदी बनने में अभी बहुत दूरी पूरी करनी है। योगी व्यक्तिगत रूप से मजबूत है लेकिन पार्टी में उनकी पकड़ संदिग्ध है। मुझे नही लगता 325 विधायको में से 20 % विधायक भी उनके लिये ढाल लेकर खड़े हो सके। </div><div><br></div><div>गुजरात के मोदी काल में मोदी ने अपनी विशिष्ट कार्यशैली से कार्यकर्ताओ , संग़ठन और सत्ता में अपनी विशेष पकड़ बनाई। उनके सिपहसालारो ने उनके मिशन को आगे बढ़ाया। पूरे गुजरात को बाइब्रेनट और विकसित राज्य का मुलम्मा चढ़ाया। और इसके लिये उन्हें 13 साल लगे। विधानसभा चुनाव में लगातार जीत दर्ज की और अपने को मजबूत किया। </div><div><br></div><div>2022 योगी के लिये आरपार वाला साल है। लेकिन जिस प्रकार से उनका रथ शल्य हांक रहे है उससे नही लगता कि उनके लिये राह आसान है । अगर चुनाव से पहले मंत्रिमंडल में कोई परिवर्तन हुआ तो इसका खामियाजा पार्टी को होगा और ठीकरा योगी के सिर फूटेगा। जैसी चर्चा है कि ब्राह्मण उपमुख्यमंत्री को हटा कर उनकी जगह एक भूमिहार नौकरशाह को लाया जा रहा है यह एक कील साबित होगा। </div><div><br></div><div>आगे क्या होगा इसकी कहानी लिखी जा रही हिस्ट्री रिपीट हो रही है । राष्ट्रीय पार्टीयो को एक शौक होता है मुख्यमंत्री को अस्थिर रखना। कल्याण सिंह सरकार जो हर तरह से सक्षम थी उसे केंद्र ने ही अस्थिर कर दिया और पार्टी को लंबे वनवास पर भेज दिया। यही कारण है 2014 के बाद भी गुजरात के अलावा कहीं भी पार्टी अपने बूते पर वापिस नही आई। गुजरात मे भी वापसी पहले से कम सीट लेकर हुई। </div><div><br></div><div>देखते है आगे क्या होता है । गाँव की एक कहावत है निकल गए तो गाड़ीवान नही निकले तो ...........</div><div><br></div><div>बाकी जो है सो है।</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-96657298471899382021-05-30T08:25:00.001+05:302021-05-30T08:25:41.644+05:30पत्रकारिता दिवस <div>उदन्त मार्तण्ड से उदंड मीडिया तक का सफर </div><div><br></div><div>30 मई 1826को पंडित जुगलकिशोर शुक्ला द्वारा कलकत्ता से पहला हिंदी अखबार उदन्त मार्तण्ड प्रकाशित किया। भारतीय पत्रकारिता की आधारशिला उस समय रखी गई जब भारत गुलाम था। समय के साथ साथ भारतीय पत्रकारिता ने आजादी की लड़ाई में एक हथियार बन एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई। </div><div><br></div><div>अकबर इलाहाबादी ने भी कहा है - </div><div><br></div><div>खींचो न कमानों को न तलवार निकालो</div><div>जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो </div><div><br></div><div>आजादी के सालों बाद तक अखबार अंकुश का काम करता रहा। स्वनामधन्य पत्रकारों से सरकारें सलाह लेती रही सहम ती रही। आपातकाल में भी अखबार ने तोप का मुकाबला किया और तोप को हराने में भी अपनी भूमिका निभाई। </div><div><br></div><div>एक दौर था जब बडे से बड़ा नेता पत्रकारिता के सामने नतमस्तक हुआ करता था। नेताओं को सत्ताधीशो को संसद का सामना आसान था लेकिन पत्रकारों के सवालों का जबाब बहुत मुश्किल होता था। बड़े से बड़ा नेता प्रेस वार्ता का सामना मुश्किल से करता था। क्योकि उस समय दोनों तरफ से प्रश्नावली का आदान प्रदान नही होता था। प्रिंट मीडिया की एक धमक थी सच्चाई की चमक थी। एक अखबार ने सशक्त सबसे ज्यादा बहुमत से बनी सरकार को अस्थिर कर दिया अपने अखबार में रोज 10 सवाल पूछ कर। </div><div><br></div><div>पत्रकारिता एक मिशन था समय के साथ साथ व्यापारियों ने इस पर कब्जा कर लिया। सम्पादकों से ज्यादा पावर फुल मैनेजिंग डायरेक्टर हो गए । पत्रकार संवाददताओं से समाचार संकलनकर्ता हो गए। आज अखबार में विज्ञापन को एक नया नाम दिया गया और जो लिख कर दो वह छप जाता है। अखबार समाज का आईना था समाज मे हो रहे पतन का कारण अखबार न भी सही लेकिन पतन न रोकने का अपराधी तो अखबार ही है। </div><div><br></div><div>अखबार से निकल एक और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सामने आया। TRP की होड़ और 24 घण्टे की भूख ने उस मीडिया को उदंड कर दिया। आज मीडिया मनोरम कहानियां, सत्य कथाओं सरीखा हो गया । सच के नाम पर कारोबार करने वाले आर्टिफिशियल सच दिखाने लगे। </div><div><br></div><div>उदन्त मार्तण्ड से लेकर उद्दंड मीडिया तक का सफर समाज के सफर का भी आईना है। क्योकि जो बिकता है वह ही बेचा जाता है और जो दिखाया जाता है वह ही खरीदवाया जाता है। </div><div><br></div><div>#पत्रकारिता_दिवस</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-52055150860248455392021-05-28T09:23:00.001+05:302021-05-28T09:23:15.944+05:30 वीर सावरकर <div><b><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj1mxklPfZ2MRzwvlJoVdrNq6xAckm1T3RrxK6b_KcSpHPdSHX2QRzyEUNgvu0koVpbqobKMQ4Oi_lY5VeR3rIc0hXOROtkikB6FMTPWjwfH4FLNjz7kLHcqsZRWey4viB301XQ2e64ewU/s1600/1622173993161121-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
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</div>वीर सावरकर</b> को अगर आप पढ़े तो आपको जरूर पता चलेगा सावरकर का विरोध उनकी हिंदुत्व शब्द की मीमांसा को लेकर हुआ । उनके द्वारा हिन्दुओ के सात सुधारो को उस समय के कट्टरपंथी हिन्दुओ को सहन नही हुआ होगा। गाय पर उनके विचार आज के समय उनको हिंदुत्व से खारिज करने के लिये काफी है। </div><div>1906 में गाँधी से उनकी पहली मुलाकात में गाँधी को जब पता चला कि ब्राह्मण होकर सावरकर झींगा मछली बना और खा रहे है तो गाँधी ने एक दूरी उनसे बना ली। और सावरकर का कहना आप मछली को बुरा मान रहे हो हमे तो अंग्रेजो को खाना है। </div><div><br></div><div>सावरकर का विरोध मुझे लगता है उनके सुधारवादी हिंदुत्व के कारण शुरू हुआ होगा । उस समय कांग्रेस अपने को हिन्दू महासभा से बड़ा हिन्दू हितैषी दल मानता था। और सावरकर के रहते यह सम्भव न हो पा रहा था। इस लिए सावरकर की छवि को खराब करने के लिये आरोप लगाया माफी का उसके बाद गांधी हत्या का। जबकि सावरकर को दोहरे कालापानी की सजा मिली उन्हें कोल्हू में जोता गया अत्याचार किया गया अगर उन्हें माफी मांगनी होती तो जब वह पानी के जहाज से फरार हुए और फ्रांस के तट पर पकड़े गए तभी मांग सकते थे। </div><div><br></div><div>आज तक वीर सावरकर के त्याग बलिदान को वह स्थान नही मिला जो मिलना चाहिए था। क्योकि सावरकर किसी भी सत्ता दल की परिभाषा में उनके हिसाब से खरे नही उतरते।</div><div><br></div><div>आज सावरकर पर जो रेडीमेड बधाईयाँ प्रेषित कर रहे है अगर वह सावरकर को पढ़ लेंगे तो असहज हो जाएंगे।</div><div><br></div><div>सावरकर को पढिये समझिये ।</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-10773729681784343962021-05-27T20:25:00.001+05:302021-05-27T20:25:49.036+05:30योग और आयुर्वेद<div>बाबा रामदेव ने योग के लिये अतुलनीय काम किया है। योग को आसान बनाने के लिये उनका काम सराहनीय है। जन जन तक उन्होंने योग पहुंचाया। उनसे पहले जितने योगाचार्य हुए वह सब योग को सिखाने से पहले पद्मासन पर बैठने को कहते थे । लोग पद्मासन लगा नही पाते थे और योग सीख नही पाते थे। बाबा ने उसे आसान किया। और लोगों की रुचि योग की तरफ बढ़ी। </div><div><br></div><div>लेकिन बाबा जी योगाचार्य से कब आयुर्वेदाचार्य हो गए यह कमाल है। योग और आयुर्वेद अलग अलग विधाएं है। योग के लिए शिक्षित होना अनिवार्य नही योग की साधना आवश्यक है। लेकिन आयुर्वेद के लिये शिक्षित होना अनिवार्य है। आयुर्वेद एक विज्ञान है। और कोई भी विज्ञान सिर्फ अध्धयन और प्रयोग से ही आता है। आयुर्वेद कोई ऐसी चीज नही जो अनलोम विलोम की तरह करने से ही होगी। </div><div><br></div><div>बाबा जी से मेरा कोई वैमनस्य नही लेकिन जैसे बाबा जी ने योग में पारंगत होने के बाद कर्मवीर को हटा दिया अब लगता है आयुर्वेद सीख कर आचार्य बाल किशन को कही हरी झंडी न दिखा दे। आचार्य बाल किशन आयुर्वेदाचार्य है और उन्हें ही आयुर्वेद पर बोलना चाहिये। </div><div><br></div><div>आयुर्वेद ईश्वरीय विधा है। जिसे भगवान धन्वंतरि ने प्रकृति के लिये दिया। नालंदा विश्वविद्यालय के जलाने के बाद आयुर्वेद को बहुत नुकसान हुआ यह विज्ञान गुप्त हो गया। और अनुसंधान की कमी के कारण शल्य चिकित्सा में यह पिछड़ गया। लेकिन आयुर्वेद कभी लुप्त नही हुआ। देश में गुरुकुल कांगड़ी जैसे कई विश्वविद्यालय आयुर्वेद को पुराना वैभव देने की कोशिश कर रहें है। </div><div><br></div><div>ऐसा नही है कि बाबा रामदेव से पहले आयुर्वेद दोयम दर्जे में था। <b>महर्षि महेश योगी वैद्य राज बृहस्पति देव त्रिगुणा </b>जैसे व्यक्तियों ने आयुर्वेद की ख्याति को विश्व में पुनर्स्थापित किया। बाबा को यह नही मालूम होगा कि विश्व आयुर्वेद कांग्रेस विदेशों में कांफ्रेंस कर आधुनिक चिकित्सा के साथ अनुसंधान कर रहे है। जिसकी रिपोर्ट आप गूगल से निकाल सकते है। आज भी भारत में ऐसे ऐसे वैद्य है जिनका नाड़ी ज्ञान आज भी आधुनिक विज्ञान को संशय में डाल देता है। </div><div><br></div><div>लेकिन जब से बाबा दवाई के व्यापार में उतरे है तब से बाबा आक्रमक हो गए है। अभी आजतक में लाइव आ रहे बाबा कभी कभी राधे माँ कभी कभी बाबा ओम की तरह नाटकीय अभिनय करने लगते है। बाबा अपने बतोले पन से नुकसान पहुँचा रहे है सँस्कृति को । </div><div><br></div><div>#बाबारामदेव</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-51770411931053107492021-05-26T07:39:00.001+05:302021-05-26T07:39:50.430+05:30अप्पो दीपो भव भोग विलास वैभव ऐश्वर्य के बीच भी यदि आपको कष्ट दुःख परपीङा का अनुभव होता है तब ही सिद्धार्थ से बुद्ध तक का सफर पूरा होता है। <div><br></div><div>राजकुमार सिद्धार्थ इक्ष्वाकु वंश में जन्मे , मोहमाया को त्याग के विश्व कल्याण के लिये समाज मे व्याप्त द्वन्द को हटाने के लिये राज प्रासाद से निकल कर सत्य की खोज करते करते बुद्ध बन जाते है। </div><div><br></div><div>तथागत बुद्ध का एक सन्देश है अप्प दीपो भव , अपना प्रकाश खुद बनो , अपना नेतृत्व खुद करो। किसी दूसरे की रोशनी में कब तक चलोगे एक समय पर आकर उसकी राह परिवर्तित हो सकती है। इसलिये अपने अंदर का दीप जलाओ। </div><div><br></div><div>बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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</div></div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-3789804453690089712021-05-25T21:02:00.001+05:302021-05-25T21:02:15.888+05:30आयुर्वेद और रामदेव <div>निगेटिव पब्लिसिटी के माहिर बाबा रामदेव अपने अनर्गल बयानों से विवादों में बने रहते हैं। </div><div><br></div><div>आयुर्वेद सनातन विज्ञान है। आयुर्वेद भगवान धन्वंतरि द्वारा दिया गया मानवता के लिये उपहार है। चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद , एलोपैथी , होम्योपैथी , यूनानी , एक्यूप्रेशर, नेचुरोपैथी जैसी कई पद्धिति कार्यरत है। लेकिन एलोपैथी ने सतत अनुसंधान के कारण वर्तमान में अपनी सार्थकता सिद्ध की है। </div><div><br></div><div> वैद्यनाथ , झंडू , गुरुकुल कांगड़ी , डाबर जैसे संस्थान जो आयुर्वेद को लेकर दशकों से निर्विवाद होकर काम कर रहे है। आज भी कई रोगों के इलाज के लिये आयुर्वेद फार्मूला ही कामयाब है liv 52 हो या पाचन या इम्युनिटी के लिये ल्युपिन , डॉक्टर रेड्डी जैसी कम्पनियां भी आयुर्वेद उत्पाद बनाती है। </div><div><br></div><div>बाबा आयुर्वेद नही पतंजलि का प्रचार करते है। और एक लड़ाकू दुकानदार की तरह व्यवहार करते है। हर बाजार में एक न एक दुकानदार ऐसा होता है जिसकी अपनी बिक्री तो कम है इसलिये वह सिर्फ दूसरों के ग्राहकों से लड़ता फिरता है कि मेरी दुकान के सामने साइकिल क्यों खड़ी करी। बाबा आयुर्वेद के शुभचिंतक नही व्यापारी है और एक नेक्सस बना कर वही श्रेष्ठ है का दम्भ भरते है। यह भी कहा जा सकता बाबा आयुर्वेद के चरमपंथी है।</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-26899029998294725642020-09-14T12:02:00.000+05:302020-09-14T12:02:06.323+05:30हिंदी दिवस <p> व्यौहार राजेन्द्र सिंह को जानते है आप ?</p><p>इन्ही के अथक प्रयासों से हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला। और इन्ही के जन्मदिवस के दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है। </p><p><br /></p><p>हिंदी दिवस पर एक फैशन चल गया है हिंदी को कमतर मान कर उसकी खिल्ली उड़ाई जाए। जबकि अन्तराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी अपने सशक्त दौर में पहुँच गई है। हिंदी को सम्मान देने की जरूरत है हिंदी पर अभिमान करने की जरूरत है। आज हिंदी के लेखक उदय प्रकाश Uday Prakash जी के लिखे साहित्य का दुनिया भर की भाषाओं में अनुवाद हुआ है। </p><p>हिंदी ऐतिहासिक साहित्यिक रूप से आत्मनिर्भर है।</p><p>हिंदी की महत्ता को उसकी शक्ति को देख आज माइक्रोसॉफ्ट गूगल फेसबुक जैसे संस्थान हिंदी को स्वीकार कर रहे है। उस पर शोध कर रहे है। हिंदी जीवकोपार्जन का भी सशक्त माध्यम है। एक भ्रांति है हिंदी से रोजगार नही मिलता लेकिन आज हिंदी देवनागरी विश्व के कई विश्वविद्यालयों में एक विषय के रूप में स्थापित है। </p><p>हिंदी को कमतर न समझिये हिंदी विश्व मे सबसे ज्यादा बोली और समझने वाली भाषाओं में एक है। </p><p>हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलिये। भविष्य हिंदी का ही है अभी से स्वीकार करें। </p><p>हिंदी का सम्मान कीजिये हिंदी पर अभिमान कीजिये क्योकि हिंदी है हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा</p>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-18939515775501632622020-04-25T07:05:00.001+05:302020-04-25T07:05:36.397+05:30कोरोना से मुलाकात <div>कोरोना से मुलाकात</div><div><br></div><div>सोशल डिस्टेंस मैंटेन रखते हुए आज कोरोना से मुलाकात की और दरखास्त की महाराज अब तो पीछा छोड़ो। </div><div><br></div><div>कोरोना बोला अबे तुझे बहुत परेशानी है मुझसे। मुझे तो लोग एक उत्सव की तरह एंजॉय कर रहे है घर घर पकवान बन रहे है मैं भी सोशल मीडिया फॉलो करता हूँ। </div><div><br></div><div>मैने कहा हूजूर आप भरे पेट वालो को देख रहे हो उन भूखे लाचार लोगो की भी सोचो</div><div><br></div><div>कोरोना हँसा और बोला अबे तूने कहीं भूख देखी मैं भी न्यूज चैनल देखता हूँ वहाँ सिर्फ मेरी बातें है या हिन्दू मुसलमान है या मरी हुई चुहिया को गोबर सूंघा कर जिंदा कर फिर मारने की कोशिश चल रही है। कोरिया चीन की बात हो रही है। तुझे कहीं भूख की खबर दिखी। अबे बेबकूफ मत बना मेरी आड़ में तुम लोग अपनी अपनी कमियां छुपा रहे हो। </div><div><br></div><div>मैने कहा हुजूर बड़े लोगो की नाराजगी हम जैसे लोगो पर क्यो उतार रहे हो। </div><div><br></div><div>कोरोना एक बार जोर से हँसा फिर एक बार और जोर से हँसा और बोला बड़े लोगो से नाराज होकर मरना है क्या मुझे।</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-28357937038829395562020-01-04T21:28:00.001+05:302020-01-04T21:28:34.873+05:30डर<div>प्रधानमंत्री आवास योजना से मिले घर मे सौभाग्य योजना के बल्ब के उजाले में उज्ज्वला योजना की गैस पर बनी चाय पीते हुए आदमी अगर CAA से डरा हुआ है तो समझिये नासूर बहुत गहरा है। अफवाह अपना काम कर गई है। और उस अफवाह को हवा देने का काम किया है उन लोगो ने जिन्होंने कहा था CAB हिन्दू राष्ट्र के लिए पहला कदम है। </div><div>सूत न कपास जुलाहों में लठमलट्ठा</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-59657740848049359082020-01-03T09:11:00.001+05:302020-01-03T09:11:59.188+05:30अन अल हक्क <div>अन अल हक्क की बात कहने पर मंसूर अल हल्लाज जो एक तसव्वुफ( सूफी)थे को सन 922 में खलीफा अल मुक्तदर ने सूली चढ़वा दिया था। क्योकि अन अल हक्क की बात इस्लाम विरोधी है। </div><div>आज मोदी का विरोध के लिए इस्लाम का विरोध हो रहा है। और कोई कुछ नही कह रहा है। </div><div>हिन्दू तो ऐसी कौम है जिसे कोई सर्दी गर्मी नही लेकिन इस्लाम भी अगर सेक्युलर हो गया तो क्या होगा वैसे भी चौहदवीं सदी चल रही है। </div><div>नास्तिक लोग मुसलमानों के बीच में घुस कर मोदी की आड़ में इस्लाम का नुकसान कर रहे है। </div><div>और इस्लाम के मानने वाले कौआ कान ले गया के शोर पर कौवा के पीछे दौड़ रहे है कान नही टटोल रहे। खैर उन्हें अक्ल आएगी लेकिन तब तक इस्लाम को जो नुकसान होने है वह हो चुका होगा।</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-48998903252601137272020-01-02T10:57:00.001+05:302020-01-02T10:57:44.227+05:30ताज उछाले जाएंगे <div>असहिष्णु </div><div>वंदेमातरम को राष्ट्रीय गीत बनाते समय कुछ पंक्तियों को एक धर्म के हिसाब से उचित नही मान कर उस गीत की शुरू की नौ पंक्तियां ही शामिल की गई थी। आपत्ति इस बात पर थी उसकी एक पंक्ति में प्रतिमा स्थापना की बात थी। </div><div>सहिष्णु</div><div>आजकल एक फैज के एक गीत पर जिसमें बुत उखाड़े जाएंगे और एक धर्म का शासन होगा पर आपत्ति है तो उस पर चर्चाएं हो रही है। ताज उछालो किसी को आपत्ति नही लेकिन धर्म निरपेक्ष राज्य में एक धर्म का राज हो यह आपत्ति जनक है। </div><div>.</div><div>इन बेकार की बहस से बहुत कुछ पर्देदारी है। एक नूरा कुश्ती सी है। कोई तो है जो रोज एक नया नैरेटिव सैट कर रहा है और कोई उसे हवा दे रहा है।</div>dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-17554464742178085942020-01-01T14:54:00.001+05:302020-01-01T14:54:07.560+05:30happy new year 2020<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_P4WE1PWpWyIPjHFQDaC8jwOBEdrPAT63tnR8SdJSvv3ML2_x68Viq1oKI8l6Ak21m0iWT4l8AQ9rO2ZjIUrWkhyphenhyphenKVGlmrcuFFf0JGI1bwyhdlsS7ccJt4fNfA6Q0Ykd2_-34xiRrfqM/s1600/1577870613955122-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_P4WE1PWpWyIPjHFQDaC8jwOBEdrPAT63tnR8SdJSvv3ML2_x68Viq1oKI8l6Ak21m0iWT4l8AQ9rO2ZjIUrWkhyphenhyphenKVGlmrcuFFf0JGI1bwyhdlsS7ccJt4fNfA6Q0Ykd2_-34xiRrfqM/s1600/1577870613955122-0.png" width="400">
</a>
</div>नव वर्ष 2020 मंगलमय हो dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-78670003725804526062019-11-15T16:52:00.000+05:302019-11-15T16:52:06.221+05:30गुदड़ी के लाल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #1c1e21; font-family: Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px;">गुदड़ी के लाल</span><br style="background-color: white; color: #1c1e21; font-family: Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #1c1e21; font-family: Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px;">गाँव गरीब में पले बढ़े कुछ होनहार अपने परिश्रम संघर्ष और योग्यता से वह सब हासिल कर लेते है जो चांदी का चम्मच मुँह में पैदा लिए लोग के लिए एक सपना है।</span><br style="background-color: white; color: #1c1e21; font-family: Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #1c1e21; font-family: Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px;">लेकिन बड़े लोगो की गिद्ध दृष्टि इन होनहारों पर होती है वह येन केन प्रकरेण उन होनहारों को अपने में शामिल करना चाहते है किसी भी कीमत पर।</span><br style="background-color: white; color: #1c1e21; font-family: Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #1c1e21; font-family: Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px;">एक गरीब परिवार का बेटा अपने हुनर से विश्वपटल पर छा जाता है। सफल व्यक्ति के साथ रिश्ता जोड़ने की चाहत बड़े बाबू साहब लोग अपनी बेटी के स्टेटस के लिए उन्हें अपना जवाई बनाने के लिए जाल फ</span><span class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #1c1e21; display: inline; font-family: Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px;">ेंकते है और बड़े घर की बेटी गरीब घर की बहू बन जाती है कौन सा उस परिवार से सम्बन्ध रखना है। बेचारा वह होनहार इस चक्रव्यूह में फंस कर अपनी सुद्धबुद्ध खो बैठता है। और वह उस अंत को प्राप्त होता है जिसका वह हकदार कतई नही था।<br />यह वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ हुआ जो अपना मानसिक संतुलन खोने के बाद खत्म हो गए और कुछ दिन पहले एक IPS सुरेंद्र नाथ दास ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली ।<br />मृगतृष्णा में सब दौड़ रहे है दोषी सब है।</span></div>
dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-33383076247625469842019-08-31T17:00:00.000+05:302019-08-31T17:00:07.536+05:30लो हम आ गए <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
तुमने बुलाया हम चले आये<br />
भाई अजय झा जी #झा जी कहिन के कहने पर . समय के साथ साथ बहुत कुछ भूल गए ब्लाग के बारे में . समय फिर सिखा देगा<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiHzK-85Uux3-Oy94BQYFB4dwkczYE9Xf1InFzgFqvjO0nfMpYDVqHYHQPbaS2v0wBgbfvz3fx1qjjjNA3tiYMHJSqArLUemxzE0JcZfMQ1Ynz-48e5Iskrrkyv1eyG5h2MsRHTxhz5TsQ/s1600/IMG-20190729-WA0248.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="234" data-original-width="146" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiHzK-85Uux3-Oy94BQYFB4dwkczYE9Xf1InFzgFqvjO0nfMpYDVqHYHQPbaS2v0wBgbfvz3fx1qjjjNA3tiYMHJSqArLUemxzE0JcZfMQ1Ynz-48e5Iskrrkyv1eyG5h2MsRHTxhz5TsQ/s1600/IMG-20190729-WA0248.jpg" /></a></div>
</div>
dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-89720169513180727722019-07-22T14:34:00.002+05:302019-07-22T14:34:40.814+05:30मै लौट कर आऊंगा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आज बहुत दिनों बाद इस गली आना हुआ . लगा जैसे उन गलियों में पहुँच गए जहाँ बचपन बिताया . आज भी सब याद आ रहा है सब वह लोग याद आ रहे है जिन से प्रेरित होकर लिखना सीखा . कोशिश करूँगा रोज घुमने आऊ . मन बनाया है तो आऊंगा भी रोज . तब तक इंतजार </div>
dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-68136397068475532502017-07-30T12:59:00.004+05:302019-07-22T14:21:44.905+05:30दिल्ली दरबार <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
दिल्ली दरबार<br />
इंग्लैंड का किंग जार्ज पंचम ने जब १९११में दिल्ली में अपना दरबार लगाया उस समय के तमाम राज्यों के राजाओं नबाबो ने सिर झुका कर स्वागत किया और किंग जार्ज को भरोसा हुआ अगली कई शताब्दियों तक ब्रितानी हुकूमत चलती रहेगी।<br />
लेकिन जनता ख़िलाफ़ थी और तीस सालो के अंदर ही आम जनता ने अंग्रेजो को भारत से भगा दिया।<br />
<br />
इतिहास बहुत कठोर होता है और भविष्य बहुत निर्दयी। राज्यों के राजा नवाब की चरण वंदना से यह नही लगना चाहिए प्रजा ख़ुश है।<br />
<br />
अति आत्मविश्वास की पराकाष्ठा और अहंकार में बहुत महीन अंतर होता है। और अहंकार तो रावण का भी नही बचा।<br />
<br />
शेष शुभ</div>
dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-50114497513691373722017-07-11T13:24:00.003+05:302017-07-11T13:24:55.744+05:30एक कहानी जो न होगी पुरानी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="font-family: Helvetica; font-size: 12px; line-height: normal;">
<span style="font-size: 12pt;">किसी समय किसी शहर में एक बनिया दुकान चलाता था उसकी दुकान पर एक गाँव वाला आता था जो अपने पास तलवार रखता था। बनिए ने पूछा इस तलवार से क्या होता है </span></div>
<div style="font-family: Helvetica; font-size: 12px; line-height: normal;">
<span style="font-size: 12pt;">जवाब मिला अगर कोई लूटने आए तो उसे काट देगी यह तलवार </span></div>
<div style="font-family: Helvetica; font-size: 12px; line-height: normal;">
<span style="font-size: 12pt;">वाह बढ़िया चीज़ है कितने में बेचोगे। सौदा हुआ और बनिए ने वह तलवार ख़रीद ली और घर पर ले जाकर टाँग दी। </span></div>
<div style="font-family: Helvetica; font-size: 12px; line-height: normal;">
<span style="font-size: 12pt;">कुछ दिनो के बाद बनिये के घर डकैत आए और लूटने लगे बनिया एक कोने से तलवार से कहने लगा उतर निकल काट दे मार दे। लेकिन कुछ नही हुआ लूटा पिटा बनिया ग़ुस्से में आया और तलवार पर लात मारी। लात मारते ही उसका पैर कट गया उसे देख कर बोला जिस काम को लाए तब तो कुछ नही किया अब हम पर ही चोट पहुँचा रही हो </span></div>
<div style="font-family: Helvetica; font-size: 12px; line-height: normal; min-height: 13.8px;">
<span style="font-size: 12pt;"></span><br /></div>
<div style="font-family: Helvetica; font-size: 12px; line-height: normal;">
<span style="font-size: 12pt;">लब्बोलुआब यह है हथियार ख़रीदने से कुछ नही होता उसे चलाने का जिगर भी होना चाहिए </span></div>
<div style="font-family: Helvetica; font-size: 12px; line-height: normal; min-height: 13.8px;">
<span style="font-size: 12pt;"></span><br /></div>
<br />
<div style="font-family: Helvetica; font-size: 12px; line-height: normal;">
<span style="font-size: 12pt;">डिस्क्लेमर :- यह एक कहानी है इसका किसी ज़िंदा या मुर्दा से कोई सम्बंध नही है। अगर आप इसे किसी से जोड़ते हो तो यह आपकी कल्पना की उड़ान है। </span></div>
</div>
dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-12670616020805628512017-07-06T20:22:00.001+05:302017-07-06T20:22:33.886+05:30हम नक्कारख़ाने में तूति बजाते है लिखते है और लिखकर भूल जाते है <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जो हो रहा है वह सही नही हो रहा है । विरोध एक व्यक्ति का लेकिन विरोध के समय हर मर्यादा का हनन हो रहा है । एक राष्ट्र प्रमुख देश के लिए देश के हित के लिए रात दिन अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा है और हम कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए उसकी निंदा करते समय देश के बारे में भी अनर्गल बातें करते है ।<div>
<br /></div>
<div>
यह हमारी संस्कृति नही लेकिन दोषी एक पक्ष ही नही । अनर्गल प्रलाप दोनों पक्षों के तरफ़ से हुआ है मर्यादाए दोनों तरफ़ से टूटी है लेकिन आपसी द्वन्द से देश को नुक़सान हो रहा है देश के मनोबल पर असर पड़ रहा है । हम वर्तमान में नही भविष्य के लिए लड़ रहे है । हम से तात्पर्य हमारे उन लोगों से है जो देश को चलाना चाहते है ।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
आपसी लड़ाईं में देश न हार जाए इसका ध्यान रखे । </div>
<div>
<br /></div>
<div>
हम नक्कारख़ाने में तूति बजाते है लिखते है और लिखकर भूल जाते है </div>
</div>
dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-28291595122633728212017-06-30T11:59:00.000+05:302017-06-30T16:15:16.515+05:30अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस शुभकामनाये स्वागत <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
एक बार फिर से ब्लाग लिखने के मुहिम चालू करने के लिए ब्लॉग दिवस बहाना मिला है । ब्लॉग लिखते पढ़ते दुनिया के तमाम लोगों से परिचय हुआ सम्बंध बना लेकिन सुविधाजीवी स्वभाव के कारण ब्लॉग की जगह सोशल मीडिया पर हम लोग शिफ़्ट हो गए । कुछ लोग ब्लॉग पर ही केंद्रित रहे और उनके लेख पढने के लिए कभी कभी ब्लॉग में झाकने आ जाते थे .<br />
<br />
रोज़ रोज़ जो मन में आया वह फेसबुक में लिख दिया यह प्लेटफार्म भी अजीब है लोगो के हजारो फ्रेंड है लेकिन १०% भी यह देखने नही आते की फ्रेंड क्या कर रहा है . मेरे फेसबुक फ्रेंड में अधिकांश आभासी मित्र ब्लॉग के साथी ही है .<br />
<br />
खैर अब कोशिश की है अपना दरबार रोज़ खोला जाए इसके लिए अपने आई पेड में ब्लोगर ऐप को डाउनलोड कर लिया है और फोन में भी<br />
<br />
ब्लॉग लिखने की आदत छुट गई वह तो भला हो गूगल की एक आईडी से ब्लॉग खुल जाता है वरना यह भी भूल जाते की ब्लॉग कहाँ है .<br />
<br />
ब्लॉग दिवस के अवसर पर सभी मित्रो से अनुरोध है ब्लॉगवाणी या चिट्ठाचर्चा फिर से शुरू किये जाने का प्रयास किया जाए .<br />
<br />
ब्लॉग दिवस की हार्दिक शुभकामनाये . <br />
आओ फिर से साथ चले<br />
<br />
२००८ से २०१७ तक का मेरा सफर अच्छे दिन की ओर है<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhliSoDes1vf8WQv2VlnQ-pVaqSq-f36tOIYGV-BwddcsiI_x7hlwF4AilXUFsFY44kNeQeOfUh8qXugtv89kY62aG6bl12k6QEssZgld8Sraql0bAuwvEVDG9F31rrUbp_M8K4oPf1ZTI/s1600/100e0230.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1198" data-original-width="1600" height="149" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhliSoDes1vf8WQv2VlnQ-pVaqSq-f36tOIYGV-BwddcsiI_x7hlwF4AilXUFsFY44kNeQeOfUh8qXugtv89kY62aG6bl12k6QEssZgld8Sraql0bAuwvEVDG9F31rrUbp_M8K4oPf1ZTI/s200/100e0230.jpg" width="200" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJCEVseSYmfVqQdcXz9b5LkhPnkEIKZUI-2rYms5FK3Lf_x0XAKhvLS-Xh7KKQeKxE-bQG0ycE_T2EtkI1o2buE7YiMLGUe3OkpVLo6P53qvFbolRNTvMF3iq1hwuI1KlL0KfBP84edOY/s1600/IMG-20170614-WA0094.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" data-original-height="1080" data-original-width="607" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJCEVseSYmfVqQdcXz9b5LkhPnkEIKZUI-2rYms5FK3Lf_x0XAKhvLS-Xh7KKQeKxE-bQG0ycE_T2EtkI1o2buE7YiMLGUe3OkpVLo6P53qvFbolRNTvMF3iq1hwuI1KlL0KfBP84edOY/s400/IMG-20170614-WA0094.jpg" width="223" /></a><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEho4yeYcOu5wltaxfWNBrbvf1Za-9-MAwr1vA2c0wOLY963Q2xDiVTMttHxPlHHuNXnAgF8JvD1Tj9HStIgsxZpIgN9PqSrNceP92qrMlQebf2GFq2vmCvG2JrDmzdprDxmoQG6larJTe8/s1600/2012-04-02+15.51.48.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="480" data-original-width="640" height="150" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEho4yeYcOu5wltaxfWNBrbvf1Za-9-MAwr1vA2c0wOLY963Q2xDiVTMttHxPlHHuNXnAgF8JvD1Tj9HStIgsxZpIgN9PqSrNceP92qrMlQebf2GFq2vmCvG2JrDmzdprDxmoQG6larJTe8/s200/2012-04-02+15.51.48.jpg" width="200" /></a></div>
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dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-12129966250319510492017-06-29T16:13:00.000+05:302017-06-29T16:13:54.249+05:30हेलो टेस्टिंग 1 2 3 4 <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ब्लॉग दिवस की तैयारी .<br />
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टेस्टिंग झाड पोछ जारी </div>
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dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-79912162222699494742016-04-07T20:44:00.004+05:302016-04-07T20:44:55.841+05:30अब और नहीं - अब और नहीं <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b><span style="color: red;">बहुत हुआ </span></b><br />
<b><span style="color: red;">बहुत सहा </span></b><br />
<b><span style="color: red;">अब और नहीं </span></b><br />
<b><span style="color: red;">अब और नहीं </span></b><br />
<b><span style="color: red;"><br /></span></b>
<b><span style="color: red;">समय आ गया </span></b><br />
<b><span style="color: red;">बन दावानल </span></b><br />
<b><span style="color: red;">प्रचण्ड आक्रमण </span></b><br />
<b><span style="color: red;">अब यही सही </span></b><br />
<b><span style="color: red;">अब यही सही </span></b><br />
<b><span style="color: red;"><br /></span></b>
<b><span style="color: red;">रौद्र रूप से उठो </span></b><br />
<b><span style="color: red;">ज्वालामुखी से तपो </span></b><br />
<b><span style="color: red;">अस्मिता का प्रश्न है </span></b><br />
<b><span style="color: red;">अब आगे बढ़ो </span></b><br />
<b><span style="color: red;">अब आगे बढ़ो </span></b></div>
dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-49294090837259059762015-12-08T22:00:00.001+05:302015-12-08T22:00:57.111+05:30लौट के आना ही होगा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आसान राहे अपनों से अपने को दूर कर देती है . यही हो रहा है ब्लॉग के साथ, फेसबुक के आसान व्यवहार से अपने द्वारा पालित पोषित ब्लॉग दूर हो गया। लेकिन पहला प्यार भुलाया नहीं जाता इसलिए आज फिर से अपने ब्लॉग का हाल देखने आ गए जिसे हम भुला देने की स्थिति में आ गए थे। <br />
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देख कर अच्छा लगा आज भी ब्लॉग की मशाल रोशन है। हम जैसे नालयक गैर हाज़िर है पर बहुत से ऐसे लायक लोग है जो नियमित है। मै कोशिश करूंगा ब्लॉग पर नियमितता बनाये रखू। जाते हुए साल पर इरादा है की सप्ताह में एक पोस्ट जरूर लिखू और रोज़ कम से कम ५ ब्लॉग का भर्मण करु। <br />
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तो अपनी बात पर खरा उतरने के लिए उतावला हूँ। कल से नियमित रहूंगा यह वादा है।<br />
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dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com0