बुधवार, दिसंबर 31, 2008

२००९ आपके द्वार -करे शुभकानाएं स्वीकार

२००९ आपके जीवन मे ढेर सारी खुशियाँ भर दे । नए सपने देखिये ईश्वर उनेह जरुर पूरा करेगा इसी विश्वास के साथ एक बार फिर से नया वर्ष आपको शुभ हो ।

मंगलवार, दिसंबर 30, 2008

सब सुधरेगें जब तीन सुधारे -नेता ,अधिकारी और कानून हमारे

सब सुधरेगें जब तीन सुधारे -नेता ,अधिकारी और कानून हमारे
यह पंक्ति दिमाग मे कही से आई । एकदम सही लगी क्योंकि यह तीन अगर सुधर जाए तो भारत मे सब सुधर जायेंगे । आइये इन तीनो का विश्लेषण करें ।

सबसे पहले हमारे नेता । यदि किसी का नैतिक पतन हुआ है उसमे सब से नम्बर एक पर है नेता नाम के प्राणी । नेता का जिक्र जब पहले होता था तो सुभाष चन्द्र बोस जैसे नेता का फोटो हमारे जेहन मे आता था । और आज ...... छोडिए क्यो समय और दिमाग खराब करें . ऐसा नही की सब नेता भ्रष्ट है ,दुराचारी है ,नाकारा है लेकिन उनकी छवि उनके बीच की काली भेडों ने ऐसी खराब करी कि आज एक गाली हो गई नेता । नए साल में यदि यह नेता नाम का प्राणी कुछ सुधर जाए तो हम यानी समाज भी सुधर जायेगा । मौका है आओ नेता को सुधारे ।

दुसरे नम्बर पर हमारे अधिकारी है जो नेताओं के कंधे का इस्तमाल करके अपना काम चलाते है । नेताओं को पथ भ्रष्ट करके सब निर्णय लेकर देश को आगे न बढ़ने देने में इन अधिकारिओं का भी बहुत बड़ा हाथ है । पब्लिक सर्वेंट का मतलब पब्लिक को अपना सर्वेंट बना कर रखना हो गया है । यदि यह अधिकारी नाम का प्राणी भी अपने मे सुधार ले आए तो देश तरक्की कि राह मे आगे बड जाएगा । ऐसा कोई जप या तप करे नए साल मे जिससे यह अधिकारी सुधर जाए ।

तीसरा कानून बेचारा कानून निरही कानून अगर सुधर जाए तो बहुत सी समस्याए सुधर जाएँगी । मज़बूरी है कानून कि उसे अधिकारी बनाते है नेता पास करके लागू करते है इसलिए कई खामी उसमे जानबूझ कर छोड़ दे जाती है जिससे उसका प्रयोग या कहे दुरपयोग करके अपनों को फायदा दिया जा सके । कानून में कर[ टैक्स ] की विसंगियता भी भ्रष्टाचार को पनपाती है और भ्रष्टाचार हमारी जड़े खोखली करता है इसलिए कानून को सुधारे मजबूत करे जिससे हम मजबूत हो ।

नए साल की पूर्व संध्या पर चिंतन करे मनन करे और प्रार्थना करे कि नेता ,अधिकारी और कानून सुधर जाए ।

शनिवार, दिसंबर 27, 2008

२००९आपके लिए मंगलमय होगा ही होगा।

लो जी २००८ जा रहा है । २००९ आ रहा है .२००९ का साल आपके लिए मंगलमय होगा ही होगा। क्यों ? नही समझे चुनाव का साल है भाई चुनाव का साल ।

२००९ की पहली तिमाही पर आपके घरो मे बड़े बड़े नेताओं की फौज हाथ जोड़े खडे होगी । आप ही आप दिखेंगे इस बीच आपके यहाँ दुर्भाग्य से कोई गमी हो गई चाहे कोई पालतू जानवर की हो बड़े बड़े नेता आपके यहाँ मातमपुर्सी को आयेंगे । लोकतंत्र मे आपके लिए यही कुछ पल है जिस का आप आनंद उठा सकते है इसलिए २००९ आपको मंगलमय होगा ही ।

आप इस उत्सव का आनंद उठाये क्योकि पाँच साल बाद यह उत्सव आया है ।

गुरुवार, दिसंबर 25, 2008

एक मुलाक़ात -अटल जी के साथ [यादो के झरोखे से ]

अटल जी से जो एक बार मिल लेता है वह उस मुलाक़ात को आजन्म याद रखता है । एक मुलाक़ात अटलजी के साथ जो मेरी यादो मे आज भी ताज़ा है । बहुत सालो पहले जब अटलजी सिर्फ़ एक सांसद थे और ६ रायसीना रोड पर रहते थे मैं अपने पिताजी के साथ अटलजी से मिलने गया था ।

शायद इतवार का दिन था उस समय उनके घर पर हमारे आलावा कोई नही था उनके सहयोगी शिवकुमार जी द्वारा हमें सीधे उनके पास भिजवा दिया वहां अटल जी अपने प्यारे पामेरियन के बाल अपने हाथो से सेट कर रहे थे उनकी चिरपरचित मुस्कान लिए उनका चेहरा आज भी ताज़ा है मेरे जेहन मे । बातचीत का सिलसिला चल पड़ा घर परिवार की बातें ,इधर उधर की बातो का लंबा सिलसिला चलता रहा ।

उनके पड़ोसी कांग्रेसी नेता के कुत्ते ने एक बार अटलजी पर हमला किया था उस समय वह विदेशमंत्री बने थे और हमारी मुलाक़ात से कुछ दिन पहले उन्ही नेताजी के कुत्ते ने अटलजी को काट लिया था और चर्चा होने लगी की अब अटलजी प्रधानमंत्री बनेगे इसी बात पर भी मजाक हुई । चाय नाश्ता के बाद हम लोग चलने के लिए बाहर आए। अटलजी भी हमारे साथ साथ आए। उसी समय हमने नई मारुती कर खरीदी थी उसे देख कर बोले क्या कार ली है मैंने भी खरीदी थी भैस के टकराने से उलट गई । उसके बाद उन्होंने एन .इ ११८ खरीदी थी ।

अटलजी जैसा सौम्य ,सरल ,सहज ,अपना सा,सदा प्रसन्न चित व्यक्तित्व बहुत ही कम मिलेगा । ईश्वर से प्रार्थना है मानवता के इस राही को लम्बी आयु .उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करे ।

बुधवार, दिसंबर 24, 2008

कार्टून की भविष्यवाणी सही हुई -नेता हुए बदनाम

कुछ साल पहले जनसत्ता मे एक कार्टून छपा था कि नेताजी जा रहे है और एक बदमाश उनकी जेब मे बैठा है आगे बड़कर वही बदमाश नेताजी के साए मे पीछे चल रहा है उससे आगे वह नेताजी के बराबर मे चल रहा है उससे आगे अब बदमाश आगे है और नेताजी उसके साए मे है और आख़िर मे बदमाश की जेब मे नेताजी बैठे है । दस पद्रह साल पहले का यह कार्टून आज हकीक़त बन गया है । टिकट जब से बिकने लगे बदमाश या कहे माफिया खरीदने लगे और खरीद भी कौन सकता है, [गेहू बेचकर तो टिकट खरीदा नही जाता और इलेक्शन लड़ा नही जाता ] टिकट खरीदा समीकरण या कहे बिरादरी के वोट मिले पैसा फेके वोट खरीदे औए बन गए ऍम.पी .,ऍम.एल.ऐ ।

इसका दुष्परिणाम यह हुआ नेता पद बदनाम हो गया राजनीती अपनी अस्मिता खो गई । और हम लोग अपने आप ही लुट गए । और यह हमारे नए भाग्यविधाता सिर्फ़ एक काम जानते है पैसा बनाना और अय्याशी करना अगर आप दिमाग पर जोर दे तो कई ऐसे नाम आपको याद आ जायेंगे उसमे कुछ लोग तो जेलों की शोभा बड़ा रहे है । और हमारे यह नेता सदनों मे निशब्द रहते है । यानी जो काम के लिए चुने गए उसके आलावा वह सब काम करते है ।

ऐसे ही यशस्वी नेता ने कल एक सरकारी अधिकारी को पीट पीट कर मार डाला क्योकि उस बेचारे ने उनकी नेता के प्रक्टोयौत्स्व पर चंदा नही दिया । यह है कारनामे हमारे अपने बनाये गए अपने भाग्यविधाता के । इनसब कुक्र्त्य मे ऐसा नही की कोई एक राजनितिक दल शामिल है सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे है कोई किसी से कम नही

मंगलवार, दिसंबर 23, 2008

बंदर महिमा -दुविधा मेरी सहायता करे आप

अच्छा ब्लॉग लिखना शुरू किया रोज़ रोज़ कहाँ से लाऊ नए विषय । मन भी नही मानता अंदर से आवाज़ आती है लिखो जरूर लिखो ठीक है साहब लिख रहे है अब आप पढो । एक ताऊ था हमारे यहाँ .... अरे भाई ताऊ , ताऊ का तो पेटेंट है छोड़ो ताऊ को कोई नई कहानी .................. हाँ एक नया हकीकत किस्सा आज ही बीता मेरे ऊपर लिखने लायक है या नही चलिए लिख रहा हूँ ।

किसी ने कहा मंगल को बंदर को चने खिलाओ कई महीने टालता रहा आज न जाने मन में आया कि चलो खिलाये ही देते है आधा किलो चने लिए बंदरो के लिए और चले बंदरो के पास । शहर से मेरे गावं तक रास्ते मे दसिओं जगह पर सैकडो बंदर मटरगश्ती करते रहते है ।

आश्चर्य मुझे एक भी बंदर नही दिखा गाँव तक पहुच कर मन खिन्न सा हो गया । मन मे सैकडो विचार उठे क्यो मुझे बंदर नही दिखे ? आगे रामगंगा नदी है वहां दूसरी तरफ बंदर दिखे लेकिन वह बंदर जहाँ बैठे थे वहां बहुत से चने पहले से पड़े थे और वह उनेह भी नही खा रहे थे । जैसे तैसे मैंने बंदरो को चने डाले उन्होंने उन चनो कि तरफ ध्यान ही नही दिया । थोडी देर मे और बंदर आए उन्होंने वह चने खाए । तब जाकर चैन पड़ा । और लौटते समय मुझे बंदर ही बंदर मिले ।

प्रश्न यह उठता है ऐसा क्या हुआ जो मुझे बंदर नही दिखे और जब दिखे तो चने नही खाए क्या यह कोई संकेत है कुछ होनी या अनहोनी का । आप के पास जवाब हो तो मेरी सहायता करे ।

सोमवार, दिसंबर 22, 2008

देश के प्रति हमारा कर्तव्य सिर्फ़ एक- नेताओं को गाली

एक सुरंग भारत और पाकिस्तान के बीच मे खोद दी गई कहा जाता है तस्करों का काम है । उस समय यह सुरंग मिली जब लडाई की सम्भावना बनी हुई है । यह हमारे होनहारों की मदद के बिना असम्भव है । आइये हम लोग जो एक काम जानते है वह करे नेताओं को गाली दे उनेह बुरा भला कहे हो सके तो जूते मारे और अपनी देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करे ।

ऐसी कई सुरंगे जो हमारे देश मे सेंध लगा रही है और हम खामोश बैठे है । किसकी कमी उजागर होगी जाच का विषय है लेकिन हमारी सीमा पर लगे सुरक्षा बल क्या कर रहे है यह मनोबल तोड़ने की बात नही गंभीर बात है इतनी सतर्कता के बीच यदि तस्कर आ जा रहे है तो आतंकवादी ,हथियार तो बहुत आसानी से सैर करते हुए हिंदुस्तान को तबाह करने के इरादे से कभी भी आ जा सकते है ।

आतंकी समुंदर के रस्ते आते है जमीन के रस्ते आते है कुछ दिन मे आसमान के रस्ते भी आयेंगे और हम अपनी लोकप्रिय जिम्मेदारी निभाएंगे सिर्फ़ एक ,नेताओं को गाली और हम कर क्या सकते है बेबस है हमारे हाथ मे कुछ नही क्योंकि हम सही निर्णय नही ले पाते । और करे भी क्या हर शाख पर उल्लू बैठा है । सब एक थैली के चट्टे बट्टे है । साँप नाथ नाग नाथ मे से ही किसी को चुनना है । कसम खाए अबकी ऐसा चुने जो काटे नही तो कम से कम फुस्कारे तो ।

शनिवार, दिसंबर 20, 2008

हमारा समाज ईमानदार नही रहा

समय के साथ साथ सब पीछे छूटता जा रहा है जिसमे आदर ,सम्मान ,इज्ज़त ,ईमानदारी जैसी कुछ चीजे भी है । आधुनिकता की अंधी दौड़ उस फिसलन भरे रस्ते पर हो रही है जिस पर एक बार फिसला हुआ व्यक्ति अपनी संस्क्रति अपनी सभ्यता सब भूल जाता है । आज अपने समाज मे कुछ चीजे चौकाती भी है जिसमे एक है ईमानदारी ।

अपने देश मे आज ईमानदारी की घटना अखबार की सुर्खियाँ बन जाती है उस देश मे जहाँ ईमानदारी की गाथाएं भरी पड़ी है इतिहास मे ,कितने प्रसंग है जो आज भी ह्रदय को झकजोर देते है । एक राजा हरिशचन्द्र सपने मे दिए गए अपने वचन को ईमानदारी से पूरा करते है और अपने को अपनी पत्नी को अपने पुत्र को बेच दिया ऐसे कई और उधारण हमारे इतिहास मे धूल फांक रहे है ।

ईमानदारी आज चर्चा का विषय बन गई है क्योंकि हमारा समाज भी ईमानदार नही रहा है । कष्ट तो हो रहा आपको पढने मे मुझे भी समय लगा यह लिखने मे लेकिन यह सच है कि हमारा समाज ईमानदार नही रहा है । अपनी थोडी सी खुशी के लिए हम वह कदम उठा लेते है वह ईमानदारी की परधि मे तो नही आता । इसीलिए एक ऐसा कार्य जो महान नही सिर्फ़ कर्तव्य है और वह ईमानदारी की श्रेणी मे आता है जैसे किसी ने सड़क पर गिर गए १००० रु वापिस कर दिए वह चर्चा मे आ जाता है । और समाचार की सुर्खी बन जाता है ।

यह हमारे समाज के पतन के लक्षण है । अभी भी समय है सम्हलने का वैसे तो ईमानदारी और ईमानदार की वजह से ही हम अस्तित्व मे है। हमारे साथ की सभी सभ्य्ताये समाप्त हो चुकी है । और कहा भी है-
कुछ बात है की हस्ती मिटती नही हमारी .

शुक्रवार, दिसंबर 19, 2008

देश प्रेमियों तुमने अपने महापुरुषों को भी जातियों मे बाट दिया

आजाद भारत मे हम कई ब्याधियों का शिकार हो गए जैसे जातिवाद , छेत्रवाद ,भाषावाद आदि । लेकिन सबसे दुखद स्थिति तब हुई जब से हमने अपने महापुरुषों को भी जातियों मे बाट दिया । आज इन महान आत्माओं को हम याद तो करते है पर कार्यक्रम इनकी जाति के लोग ही करते है या इनके छेत्र के लोग करते है ।

एक बानगी देखिये किसने किसका ठेका ले रखा है

  • राणा प्रताप - राजपूत समाज
  • शिवाजी - मराठी समाज
  • गुरु गोविन्द सिंह - सिखसमाज
  • महात्मा गाँधी - सरकार
  • सरदार पटेल - गुजराती एवं कुर्मी समाज
  • डॉ अम्बेडकर - बसपाई व जाटव समाज
  • शास्त्री जी - कायस्त समाज
  • सुभाष बोस - कायस्त समाज व उनके मानने वाले
  • चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह व उनके साथी - कुछ वह लोग जो देश से प्रेम करते है ।

एक लम्बी सूचि है । यह तो कुछ नाम है पूरी लिस्ट तो ज्यादा भयावह हो जायेगी । इसलिए देश प्रेम सिर्फ़ उस समय न करे जब कोई हमला हो । देश प्रेम हमेशा हमारी रगो मे बहता रहे । इसलिए अपने महा पुरुषों को भेद भाव भुलाकर समान रूप सममान करे क्योंकि इन्होने देश की सेवा की न की जाति की

बुधवार, दिसंबर 17, 2008

इंडिया और इंडियन को दफा करो अपने भारत से

हम भारत देश के रहने वाले है । और हम अपने को भारतीय कहते है , लेकिन अंग्रेजो ने हम पर शासन किया और हमारी पहचान ही बदल दी हमें इंडियन कहा जाने लगा और हमारे देश को इंडिया । इंडियन शब्द दोयम दर्जे का ही प्रतीक होता है । एक कहावत है कि सबसे अच्छा इंडियन मरा हुआ इंडियन है । और हम उस शब्द को ढो रहे है ।

अंग्रेजो कि विकृत मानसिकता की देन थी यह इंडियन शब्द । चाहे इंडियन हो या अमेरिका के रेड इंडियन सब गुलाम ही तो थे । और हम उसी गुलामी की ज़ंजीर मे जकडे अपने को इंडियन कहलाने पर गर्व की अनुभूति प्राप्त करते है । इंडियन एक ऐसा शब्द है जो राष्ट्र प्रेम की भावना को जाग्रत नही कर सकता जो भारतीय या हिन्दुस्तानी शब्द कर सकता है ।

इसलिए इंडियन और इंडिया को अपने भारत से निकाल दो और सिर्फ़ और सिर्फ़ भारतीय कहने मे ही गर्व महसूस करें । एक मुहीम चले अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए इसलिए गर्व से कहो हम भारतीय है । proud to be Bhartiy not indian ।

अगर मेरी आवाज़ मे आपकी आवाज़ मिल जाए तो बहुतो की आवाज़ बन जायेगी यह हमारी इच्छा इंडियन और इंडिया को अपने भारत से निकाल बाहर करने की । इंडियन सुन कर तो ऐसा लगता है की जैसे अपने बच्चे का नाम अंग्रेजी मे कुत्ते का जो नाम होता है वह रख लिया हो ।

यदि देशप्रेम की भावना का संचार करना है तो पहले देश का तो असली नाम ज्ञात हो ।

सोमवार, दिसंबर 15, 2008

रोटी क्या है ?

एक सवाल जो मेरे को आज आंदोलित कर रहा है की -

रोटी क्या है ?

सवाल तो छोटा सा है मैं तो मानता हूँ रोटी पेट भरने की चीज़ है । आपके जेहन में कुछ जबाब घुमे होंगे आइये अनुभव बताए रोटी क्या है ।

रविवार, दिसंबर 14, 2008

आइये इधर आइये , आपका ध्यान किधर है अच्छा वाला ब्लॉग इधर है

आइये आइये आइये इधर आइये , आपका ध्यान किधर है अच्छा वाला ब्लॉग इधर है पढिये पढिये जो लिखा है जैसा लिखा है आपका ही फायदा है । हमारा ब्लॉग वोह सब देगा जिसका आपको इन्तजार रहता है ।

यह है तो हमारा प्रचार लेकिन आपके फायदे है हज़ार । कैसे ? अब आप आही गए है तो मै अपना सीक्रेट बताता हूँ कई महीने का तजुर्बा आप को सुनाता हूँ । शर्त है बस एक आप यह किसी को ना बताएँगे ना ही जो मैं आपको सुना रहा हूँ उसका कोई अर्थ लगायेंगे । क्योकि अर्थ का अनर्थ हो गया तो मुझे महंगा पड़ जायेगा मुझे मेरी बिरादरी से तनखैया कर दिया जायेगा । इसलिए मेरे पेट पर लात न पड़ने पाए कान इधर लाइए हम आपको फायदे गिनाएं ।

फायदा नम्बर १ - आप हमारे ब्लॉग पर एक बार आयेंगे हम आपके ब्लॉग पर कई बार आयेंगे ।

२ - आप हमें एक टिप्पणी करेंगे हम आपको नाम बदल बदल कर कई टिप्पणी करेंगे

३ - आप हमें एक बार पसंद करेंगे हम कई बार आपको पसंद करेंगे ।

४- हम कई ब्लागों से तारतम्य रखते है आपको बहुत जल्दी मशहूर कर सकते है ।

५ - आप हमारे हम आपके फालोवर बन जायेंगे ट्रेफिक देख कर कई ब्लोगेर अपने आप आयेंगे

और भी बहुत है मेरे पिटारे में समय समय पर आपको बताएँगे कुछ दिनों के बाद आप हमारे मुरीद हो जायेंगे और आप यह सब अजमा कर अपने मुरीद बनायेंगे बाकी लोग आपके पीछे पीछे आयेंगे ।

शनिवार, दिसंबर 13, 2008

खुद्दार था वह । यादें जो भुलाये से नहीं भूलती

रोज़ रोज़ जिन्दा रहने की जद्दोजहद मे कट रही अपनी जिन्दगी मे कुछ यादें ऐसी होती है जो चाहते हुए भी हम भुला नहीं पाते है । कुछ अनजान से चेहरे अपनी ऐसी छाप हमारे मस्तिष्क में छोड़ते है जो गाहे बगाहे नजरो के सामने तैरने से लगते है ।

ऐसी ही एक याद मेरा पीछा करती है ,उसकी खुद्दारी के आलावा शायद उसके पास कुछ न था एक आम आदमी इतना स्वाभिमानी हो सकता है मन स्वीकार नहीं कर पाता जबकि आँखों से खुद देखा है ।

पिछले साल की बात है , नए साल के आने की प्रतीक्षा मे कुछ ऐसा किया जाए जो मन के साथ साथ ह्रदय को भी उल्लाह्स का अनुभव कराये राय बनी गरीबो को ठंड से बचने के लिए कम्बल बाटे जाए । समार्थनुसार कम्बल लेकर रात मे निकले जिससे जरूरत मंद ही मदद मिल सके । बस अड्डा ,रेलवे स्टेशन ऐसे ठिकाने है जहाँ ऐसे लोग मिल ही जाते है ।

कुछ लोगो को कम्बल देकर आगे बड़े ही थे , एक ६० साल का बुजुर्ग सूती मोती चादर जिसे खेस कहते है ओड़े ठंड मे ठिठुर रहा था । हमने उसे कम्बल देते हुए कहा बाबा यह ले लो उसने हाथ आगे न करा और ऊपर आसमान की तरफ देखा एक टक देखने के बाद बुदबदाया फिर उसने हमारी तरफ देखा और हाथ जोड़कर बोला बेटा यही मेरी तकदीर है मै इसी मे खुश हूँ यह कह कर आगे बढा और देखते ही देखते भीड़ मे ओझल हो गया । हम लोग हैरान उसे देखते रह गए और ऐसा लगा जैसे हमारे मुहं मे जबान और हमारे पैरों में ताकत न हो ।

आज भी वह बुजुर्ग एक पहेली सा मेरे सामने खडा महसूस होता है । क्या देखा उसने आसमान की तरफ क्या बुदबदाया । लेकिन एक खुद्दार था वह ।

गुरुवार, दिसंबर 11, 2008

भूल गए रास रंग भूल गए हेकडी याद रह गए सिर्फ तीन ब्लॉग ,पोस्ट ,टिपण्णी

क्या लिखे क्या न लिखे इसी दुविधा मे मस्तिष्क के तार आपस मे उलझते रहते है । यह मुगलाता पाल लिया है कि लोग उम्मीद मे बैठे है हम कब लिखे और वह कब पढ़े । दुसरे ब्लोगेर अपने प्रतिद्वंदी लगने लगे है । यह फुरसतिया ,उड़नतश्तरी ,सारथि ,पराया देश ,अलग सा ,मसिजीवी ,दिल कि बात ,स्वप्नलोक ,अगड़म-बगड़म ,प्राईमरी का मास्टर ,अफलातून ,ताऊ रामपुरिया जैसे बड़े बड़े काबिल लोग मुझ से मुकाबला कर रहे है ।

अच्छी बीमारी पाली है चिटठा लेखन , कितना सुखी था जब इन्टरनेट पर इंटरटेनमेंट करने आता था अब तो भूल गए रास रंग भूल गए हेकडी याद रह गए सिर्फ ब्लॉग ,पोस्ट ,टिपण्णी । यह लिखो यह लिखो ज्यादा लोग पढेंगे अब तो सोते सोते पोस्ट का विषय सपने मे आता है और सुबहउठने पर वह भूल जाता है उस विषय को याद करने के चक्कर मे सारा दिन खराब हो जाता है ।

वह तो अच्छा है मेरे लिए कुछ काम नहीं करता हूँ । सुबह गाँव जाकर गाय ,भैस का अपने सामने दूध निकलवा लाओ {ताऊ के लिए -अभी मेरी गाय और भैस ब्याई है और घर मे दूध कि नदीं बह रही है }यही एक जिम्मेदारी है बस । उसके बाद वही सर दर्द चिटठा लिखो । सोचता हूँ यह नशा तो स्मेक से भी ज्यादा घातक साबित हो रहा है लेकिन चिटठा लेखन से मोहब्बत हो गयी है और मोहब्बत में तो चाँद मोहम्मद बन जाऊंगा ।

यह तो हुई आधी हकीक़त आधा फसाना लेकिन सच यह है दिल बहुत हल्का सा महसूस होता है क्योकि दिल के अरमान ,विचार दिल मे न रह कर शब्द का आकार लेकर उन लोगो के सामने होते है जो कद्र करते है दुसरो की भावनाओं की । आप जैसे प्यारे लोगो का साथ ऐसा लगता है जैसे एक परिवार मिल गया अपना सा ।

बुधवार, दिसंबर 10, 2008

आतंक का मुकाबला कौन सा हथियार कर सकता है -- गाँधी गीरी या गोलीगीरी [जबाब दे ]

आतंक का मुकाबला कौन सा हथियार कर सकता है -- गाँधी गीरी या गोलीगीरी

फैसला करे आतंक से आज़ादी किस माध्यम से प्राप्त हो सकती है ।
हमारे पास दो विकल्प है

एक है गाँधी गीरी जिस की प्रसांगिकता पर इस समय संदेह है क्योंकि आतंकी ह्रदय विहीन राछस है उनका उद्देश्य ही है आतंक फैलाना ,शायद गांधीजी के विचार इनका ह्रदय परिवर्तन न कर सके क्योंकि यह लोग अहिंसा की भाषा से दूर दूर तक का रिश्ता नहीं रखते ।

दूसरी है गोलीगीरी जो सदिओं से कारगर हथियार है हमारे शास्त्रों मे भी लिखा है शठे शाठ्यम समाचरेत यानी दुष्ट के साथ दुष्टता ही करनी चाहिए । गोली का जबाब गोली होता है । गोली की बोली समझने वाले सिर्फ गोली की भाषा ही समझते है इसलिए मेरा मानना है गोली गीरी ही आतंक का अंत कर सकता है ।

यह तो मेरी राय है आपकी राय भी जरुरी है आपके विचार क्या है अवगत कराये ।

मंगलवार, दिसंबर 09, 2008

अडवानी जी के नाम खुला पत्र

आदरणीय अडवानी जी
अब भी समय है अडवानी जी यह जान लीजिये १९९२ और २००८ मे बहुत फर्क है । तब से जनता बहुत जागरूक हो चुकी है । आपने भगवान श्री राम का उपयोग करके सत्ता प्राप्त की और उन्ह भुला भी दिया । बेचारे रामलला तो मर्यादा पुरषोतम थे इसलिए टेंट मे रहने के बाबजूद मर्यादा मे ही रहे ।

लेकिन यह आतंक बहुत छठा हुआ मुद्दा है यह आपका साथ न दे पायेगा । इसलिए इस बेकार की बातों मे समय जाया न करे । जनता के भले के बारे मे कुछ सोचे । आतंक से लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो और वर्तमान सरकार को भी इस मुद्दे पर सहयोग करे ।

अपने पुराने कार्यकर्त्ता जिन्होंने आपको इस लायक बनाया और उनको आपने सत्ता के हवन मे आहूत कर दिया उनका मान सम्मान बरकरार करे ।

और अपनी पार्टी को बड़बोले जनाधारविहीन लोगो से मुक्त करे क्योंकि यही वह आस्तीन के साँप है जो आपके जिन्ना के बयाँ को विवदास्पद बना देते है ।

मैं यह इस लिए नहीं लिख रहा हूँ की मुझे आपसे हमदर्दी है । मैं तो आपका सबसे बड़ा आलोचक हूँ । लेकिन मैं मानता हूँ देश की तरक्की के लिए एक मजबूत विपक्ष का भी होना जरूरी है । और बहुत से सज्जन आपमें सम्भावना देखते है । यदि उनकी मन की हो गई तो देश को प्रधनमंत्री तो मजबूत मिले ।

सोमवार, दिसंबर 08, 2008

हाँ कांग्रेस महंगी पड़ी भाजपा को

आत्म मुग्ध भाजपा को सही झटका दिया है दिल्ली ने । नकारत्मक प्रचार भारी पड़ा भजपा को । अपने हर प्रचार मे शीला दिक्षित की बुराई , आतंक मुंबई काण्ड को ट्रम्प कार्ड की तरह इस्तमाल करने के बाबजूद करारी हार भाजपा को एक थप्पड़ की तरह लगा होगा ।

भाजपा के बड़बोले नेता कहीं खो गए है उनेह खोजे और उन से पूंछे कांग्रेस महंगी पड़ी या आप सस्ते हो गए ।

और भाजपा के एक बुजुर्ग तो विजय प्राप्त नहीं कर पाए , दुसरे का क्या होगा ............... तेरा क्या होगा लाल

शनिवार, दिसंबर 06, 2008

मैं अयोध्या इन्साफ चाहती हूँ

जज साहब
मैं सरयू पुत्री अयोध्या
इन्साफ चाहती हूँ
चार सौ साल पहले मुझे लूटा गया
बलात्कार किया मेरी भावनाओ के साथ
खंडहर कर दिया
मेरी पहचान को बदल दिया
मेरे राम को बेघर कर दिया
तब से आज तक मैं इन्साफ चाहती हूँ
जज सहाब
अगर हिम्मत हो तो इंसाफ करना
नहीं तो मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो
मेरे तो भाग्य मे ही लिखा है
लुटना और पिटना

शुक्रवार, दिसंबर 05, 2008

क्यों जब भगवा बिग्रेड पर कोई संकट आता है तभी कोई आतंकी घटना घट जाती है

यह मजाक है या कुछ और लेकिन बात मे से बात तो निकली है और बात फैलेगी ही ।


एक सवाल

क्यों जब भगवा बिग्रेड पर कोई संकट आता है तभी कोई आतंकी घटना घट जाती है


  1. ताबूत घोटाला जब चरम पर था तभी संसद पर हमला हो गया ।

  2. भगवा सरकार फेल हो रही थी यो कारगिल हो गया ।

  3. चार राज्यों में कमजोर हालत थी तभी मुंबई पर हमला हो गया ।

एक इतेफाक है और यह इतेफाक क्या सोचने को मजबूर कर रहा है , लेकिन यह सही नहीं है , है बिलकुल गलत लेकिन किस किस की जबान पकडेंगे ।


इस जबान के चक्कर मे राम का वनवास हुआ , और सीता को बाद मे घर निकाला ।


क्या अजाब गज़ब है यह सब आये सोचे और चर्चा करे

गुरुवार, दिसंबर 04, 2008

हिन्दू आतंकवादी नहीं हो सकता

एक फ्रेंच सम्पादक का कहना है हिन्दू आतंकवादी हो ही नहीं सकता । फ्रंकोइस गवातिय्र 'ला रेवूय डी लदे' के सम्पादक है जो पेरिस से प्रकाशित होता है । उनका लिखना है भारत मे एक अरब हिन्दू रहते है यानी दुनिया का है छटा आदमी हिन्दू है तथा सर्वाधिक उदार है ।

भारत की अस्मिता व अस्तित्व हिन्दू धर्म पर टिका है । यह देश हिंदुत्व के आध्यात्मक पर आधारित है । आप भारत के लाखो गावों मे जाए तथा एक औसत भारतीय से मिले तो आप पाएंगे कि वे सीधे ,सरल तथा धार्मिक विचारो के होते है । वे भारत के बहुल वाद व उदारवाद मे विश्वास करते है । चाहे आप ईसाई हो या मुस्लिम हो या कोई और सबके प्रति उदारता है यहाँ किसी से दूरत्व का भाव देखने मे नहीं आता ।

हिन्दू धर्म की इस उदारता का परिणाम भारतीय मुस्लिम और ईसाई मे भी दीखता है वे लोग भी अन्य ईसाईयों और मुस्लिमों से भिन्न है । पिछले ३५०० वर्षो के इतिहास मे हिन्दुओं ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया है ,और न ही ताकत के बल पर किसी पर अपने धर्म को लादने का प्रयास नहीं किया है । आप दुनिया मे किसी हिन्दू को कट्टरपंथी नहीं पाएंगे ।

एक बात जो मुझे कहनी है यह लेख पढ़ कर हिन्दू धर्म नहीं है । वेदों ,पुराणों, रामयण, गीता मे कही भी हिन्दू शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है । हिन्दू हिन्दुस्तान की राष्ट्रीयता है । हिन्दुस्तान मे रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है । अरबी भाषा मे स शबद का उचारण न होने के कारण सिन्धु को हिन्दू कहा जाने लगा क्योकि सिंध के आगे रहने वाले सब हिन्दू कहलाने लगे ।

मुझे लगता है हमारी परम्परा , हमारी उदारता हमारी कमजोरी बन गई है ,हमारी दयाशीलता को कायरता समझ लिय गया है । हमें पीड़ित और शोषित मान लिय गया है । समय है हम जागे और अपनी हस्ती को बचाए । क्योकि रोम मिट गया मेसो पोटामिया मिट गया

कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी

बुधवार, दिसंबर 03, 2008

अंतर भारत और इस्राइल की मानसिकता का

इस्राइल से हम कुछ सीखना चाहे तो सीखे उसकी देशभक्ति और उसका अपने देशवासिओं के प्रति आगाध प्रेम और सम्मान ।

मुंबई हमले मे शहीद हुए नागरिको मे इस्राइल के ६ नागरिक थे और उन नागरिको को जो सम्मान उनके देश ने दिया है वह सम्मान हमारे यहाँ के खास शहीदों को भी नही मिला । सारे इस्राइल ने अपने राष्ट्रपति की उपस्थिति मे अपने मुंबई के शहीदों को अन्तिम बिदाई दी । और एक आया जिसने भारत की पन्ना धाय की परम्परा को आगे बढाते हुए अपनी जान पर खेल कर एक दो वर्ष के अनाथ मोशे को बचाया उसका भी ऐसा सम्मान किया जो हमारे यहाँ कल्पना से परे है । और अपने नागरिको की मौत का बदला लेने का प्रण किया और इस्राइल यह कर भो सकता है ।

और दूसरी तरफ़ हम राष्ट्रभक्ति से ओत -प्रोत ,नर मे नारयण का दर्शन करने वाले विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता के वंशज अपने नागरिको की आतंकी हमले मे मौत को हादसा ही मानते है सिर्फ़ सरकारी व्यक्ति ही शहीद माने जाते है और वह भी बेचारे उस सम्मान को प्राप्त नही कर पाते जिसके वह सच्चे हकदार है । हमारे देश मे शायद कुछ ही परिवारों को वह दर्जा मिला है जो एक इस्रायली को अपने देश मे मिला है ।

यही एक अंतर भारत और इस्राइल की मानसिकता का फर्क उजागर करता है । इस्राइल पर एक हमले का प्रति शोध इतना तीव्र होता है की हमलावर देश का राष्ट्रपति को भी वह बंधक बना लेता है । और हम वीर देश के बहादुर लोग चिट्ठी पतरी मे लग जाते है । लिस्ट देते है, वार्ता करते है , हल्की धमकी भी देते है और भूल जाते है कोई हमला भी हुआ था । और अगले हमले पर यही प्रतिक्रिया अपनाते है ।

क्या हम इस्राइल से थोडी हिम्मत ,थोड़ा देश प्रेम ,थोड़ा सम्मान उधार नही ले सकते ? क्या हम अपने अतीत गौरव शाली अतीत से कुछ सबक लेकर कुछ ऐसा कर जाए जिससे दुनिया को यह लगे भारतीयता अभी मरी नही है हिन्दुस्तानी भी अपमान का बदला लेना जानते है ।

हे ईश्वर यदि तुम कही हो तो हम ११० करोड़ लोगो को मानसिक शक्ति प्रदान करो जिससे हम अपने सम्मान की तो रक्षा कर सके ।

मंगलवार, दिसंबर 02, 2008

हम स्वाभिमानी फिर से कब होंगे ?

समय के साथ साथ दर्द ,आक्रोश ,क्रोध खत्म हो रहा है । सभी बहादुर जिसमे में मैं और आप भी शामिल है अपनी औकात मे पहुच रहे है । वही रास रंग ,किस्से कहानी ,हास्य परिहास्य शुरू हो रहा है।
शहीद सिर्फ अपने घर वालो की ही यादो मे रह जायेंगे , हमारी याददाश्त इतनी नहीं की हम उनेह लम्बे समय तक याद करे क्योकि हम अपने ऊपर हुए अहसान तो याद नहीं रहते यह तो देश की बात है ।
एक प्रश्न जो मुझे परेशान कर रहा है कि हम स्वाभिमानी फिर से कब होंगे ? हमारा खून सफ़ेद हो गया है और ह्रदय पत्थर ।
कौन से अवतार के इंतज़ार मे है हम हिन्दुस्तानी , या कौन सी दुर्घटना हमारी अंतरात्मा को जगायेगी ? इस यक्ष प्रश्न के भी जबाब का इंतज़ार है । मेरी मदद करे

सोमवार, दिसंबर 01, 2008

बिना देश के सैनिक है यह आतंकी पूरी तरह से प्रशिक्षित

बिना देश के सैनिक है यह आतंकी पूरी तरह से प्रशिक्षित । लेकिन इनेह कई देशो का समर्थन प्राप्त है जिसमे से एक देश है पाकिस्तान । ऐसा मुझे लगता है क्योकि इनके आत्मघाती हमले युद्ध के समान है । एक अघोषित युद्ध छेड़ रखा है भारत जैसे देशो के साथ ।

और हम लोग इसे हमला समझ कर हल्के मे ले रहे है यह हमला बम्ब विस्फोट की तरह आसान नहीं । यह संसद हमले की अगली कड़ी है और आगे बहुत जल्दी इसकी पुनरावर्ती होगी । यदि हमारा खुफिया तन्त्र अभी भी नहीं जागा तो हम चिदम्बरम साहब का भी इस्तीफा देखेंगे बहुत जल्दी ।

हर हिन्दुस्तानी को एक सिपाही बनना पड़ेगा तब हम यह ज़ंग जीत पाएंगे । क्योकि यह जंग अद्रश्य दुश्मनों से है जिनका एक ही उदेश्य है भारत की बर्बादी । हमारी मिडिया जिम्मेदार मिडिया {?} इस जंग मे जो अपनी भूमिका निभा रही है वह देश का मनोबल तोड़ने के लिए काफी है । तरह तरह की नई कहानी पूरे देश को भ्रमित कर रही है । यह काम खुफिया विभाग का है और उसे करने दे उसे समय दे ।

ओर आखिरी बात सबकी जबाबदेही तय हो चाहे वह आम आदमी हो ,नेता हो ,अधिकारी हो ,मिडिया हो ,सरकार हो , धार्मिक नेता हो या कोई भी । क्योकि देश से बड़ा कोई नहीं