शनिवार, जनवरी 31, 2009

बसंत पंचमी -वीर हकीकत राय बलिदान दिवस

बसंत पंचमी के पावन पर्व पर माँ सरस्वती की क्रपा हम सब पर बनी रहे ।

बसंत ऋतु का आगमन अपने आप ही प्रक्रति आपको महसूस करा देती है खेतो मे पीली पीली सरसों और हरे गेहूं का सामंजस्य एक कलाकार के द्वारा उकेरी हुई कलाक्रति की भाति ह्रदय को प्रफुल्लित करता है । बसंत पंचमी के दिन नए कार्यो की शरुआत हो जाती है प्राचीन समय मे बच्चो की पढाईआज से ही शुरू होती थी तख्ती पूजी जाती थी ।

बसंत एक महोत्सव है उल्लास का माह है , लेकिन बसंत पंचमी एक वीर बालक का बलिदान दिवस भी है आईये उसे भी याद करे ।

हकीकत राय नाम का बालक था धर्म परायण और वीर । मुगल का राज़ था । एक मदरसे मे पढता था वह वीर बालक , एक दिन साथ के कुछ मुस्लिम बच्चे उसे चिडाने के लिए हिंदू देवी देवताओ को गाली देने लगे उस सहनशील बालक ने कहा अगर यह सब मैं बीबी फातिमा के लिए कहू तो तुम्हे कैसा लगेगा। इतना सुन कर हल्ला मच गया की हकीकत ने गाली दी ,बात बड़ी काजी तक पहुची फ़ैसला सुनाया गया इस्लाम स्वीकार कर लो या मरो . उस बालक ने कहा मैंने गलत नही कहा मैं इस्लाम नही स्वीकार करूँगा ।

और बसंत पंचमी के दिन ही उस वीर हकीक़त राय को कत्ल कर दिया गया । वह शहीद हो गया। उसने बलिदान कर दिया लेकिन धर्म से डिगा नही . आज वीर हकीकत राय का बलिदान दिवस है हो सके तो बहादुर बालक की वीरता को याद करे ।

गुरुवार, जनवरी 29, 2009

अहिंसा का पुजारी ,हिंसा का शिकार हो गया

अहिंसा के पुजारी
हिंसा के शिकार हो गए
बापू
गोडसे के हाथो
मर कर अमर हो गए

बापू
के विचारों का कत्ल
हम रोज़ कर रहे है
अपने स्वार्थो के लिए
बापू का नाम लेकर
उनके साथ मजाक कर रहे है

बापू
अच्छा हुआ आप
कत्ल कर दिए गए
नही तो अपने लगाये
पौधे की दुर्दशा नही देख पाते
सच मे अगर आज आप होते
तो जरुर खुदकुशी कर जाते

मंगलवार, जनवरी 27, 2009

प्रयाग का माघ मेला -मानों हिन्दुस्तान सिमट आया वहां

अद्भूत , अलौकिक ,नयनाभिराम यह शब्द आपको महसूस होंगे यदि आप इलाहाबाद मे माघ मेला देखने जायेंगे । संगम पर लाखो लोगो का प्रवास ,एक महीने का कल्पवास सिर्फ़ और सिर्फ़ गंगा स्नान ,ध्यान ,भगवत भजन श्रवण

प्रयाग राज का यह द्रश्य देखने के बाद जो यह महसूस होता है उसके लिए शब्द नही मिलते । मै भी माघ मेला मे बतोर पर्यटक शामिल हुआ श्रद्धालु इसलिए नही कहा क्योंकि मेरी यात्रा सिर्फ़ गंगा स्नान के लिए नही थी . लेकिन मेले का द्रश्य मेरी आँखों मे बस गया ।

भव्य व्यवस्था कई पैनटून पुल , एक शहर बसा हुआ तंबुओ का , जगह जगह साधू संतो के अखाडे ,प्रवचन ऐसा लगता था सब अपनी मार्केटिंग कर रहे है । उन सब के बीच गावों से आए श्रद्धालु ही पूरी श्रधा से संगम के तट पर अपना परलोक सुधारने की कोशिश कर रहे है । वही पर खाना वही बनाना ट्रक्टर पर आशिअना

सच मे अगर असली हिन्दुस्तान को देखना है तो संगम पर ही मिलेगा आज कल , कोई ऊंच नीच नही , कोई अमीर गरीब नही सब की मंजिल एक संगम पर स्नान । लाखो लोगो का रेला , और सिर्फ़ गंगा मैय्या की जय।

और कम्पनियो की मार्केटिंग भी हो रही है जगह जगह स्टाल और प्रचार और सबसे मजेदार विश्व हिंदू परिषद् के स्टाल के पास ही सर दर्द निवारक तेल का स्टाल क्या सामंजस्य था । यदि हो सके तो एक बार यहाँ जरुर जाए । और रात मे जगमगाता मेला स्थल लॉस बेगास को मात देता हुआ दिखेगा ।

मंगलवार, जनवरी 20, 2009

चर्च जाकर ,बाइबिल हाथ मे लेकर शपथ - क्या ओबामा साम्प्रदायिक है ?

आज अमेरिका के नए राष्ट्रपति शपथ लेने जा रहे है । उनका शपथ समारोह प्रारम्भ हो चुका है । ओबामा शपथ लेने से पहले चर्च गए और उसके बाद बाइबिल हाथ मे लेकर राष्ट्रपति की शपथ लेंगे ।

मेरे मन मे एक प्रश्न उठ रहा है यदि भारत का राष्ट्रपति शपथ लेने से पहले मन्दिर जाए और गीता को हाथ मे लेकर शपथ ले तो हम उसे क्या कहेंगे .........सिर्फ़ एक शब्द
साम्प्रदायिक

तो भारत के समझदार लोगो से सवाल क्या ओबामा साम्प्रदायिक है ?

सोमवार, जनवरी 19, 2009

हम बुद्ध नही बनेगे तुम को बुद्धू बनायेंगे

हे राजकुमार राहुल
यह आपको क्या हो गया
महलो मे रहने वाले आप
झोपडी से प्यार क्यो हो गया
क्या आपको सुख हड़ता है
या
सिद्धार्थ बुद्ध बनने की ओर बड़ता है
मेरी जिज्ञासा का समाधान करे
हे जन गन मन अधिनायक
कुछ तो छाया कोहरा साफ़ करे

युवराज राहुल पहले कुछ मुस्कराए
फिर धीरे से बुदबुदाये
हे दीन तुम अब भी नही समझ पाये
६० सालो मे दिया दर्द तुमने भूलाये
आज राज बचाने को यह प्रसंग जरूरी है
दीना नाथ तुम्हरी कुटिया मे आये
दीन को भरमाने के लिए जरूरी है
इससे कई कार्य सिद्ध हो जायेंगे
हमारे द्वारा बनाये गए गरीब
हमें अपने बीच पाकर
चुनाब तक अपने सारे शिकवे भूल जायेंगे
उनके वोटो से हम फिर सत्ता पा जायेंगे
उनके कष्टों का निवारण के लिए
हम फ़िर चार साल बाद आयेंगे
तब अपने महलो मे जम कर एश मनाएंगे
क्या तुम उल्टा सोचते
हम बुद्ध नही तुमको बुद्धू बनायेंगे

शुक्रवार, जनवरी 16, 2009

आज मुझे ज्ञान प्राप्त हुआ ।

आज मुझे ज्ञान प्राप्त हुआ

सोना कितना जरुरी है यह ज्ञात हुआ

क्योकि सोते समय ही सपने दीखते है

और सपने आगे बड़ने की प्रेरणा देते है

इसलिए

सोइए खूब सोइए

सपने देखिये

शान्ति के

समृद्धि के

खुशहाली के

लेकिन

सपने हकीक़त मे

सपने ही रहते है

सयाने कहते है

सपने सपने होते है







बुधवार, जनवरी 14, 2009

वसुधैव कुटुम्बकम - ब्लोगेर परिवार जिंदाबाद

दुआ मिलते ही दर्द हवा हो गयादवा का काम लगभग खत्म हो गयाआप जैसे शुभ चिंतक मिल जाए तो अशुभ किसी का कभी हो

मेरा प्यारा ब्लोगेर परिवार , देखे अपने है हज़ारजब से नए परिवार से जुड़ा ,इसे देखा इसे परखा तो रूप ,रंगजाति, देश अलग होने के बाबजूद भाषा के माध्यम से हम आपस मे जुड़े हैसबके दुःख मे हौसला बढाते हैसुखमे जश्न मनाते है

वेदों मे जो वसुधैव कुटुम्बकम की चर्चा है वह शायद हम लोग सिद्ध कर रहे हैसारे विश्व मेरा परिवार है ,और मुझेगर्व है हमारा ब्लोगेर परिवार ही दुनिया के कोने कोने मे फैला हैसातो महादीप मे हम मौजूद हैऔर बिना किसीलालच के आपस मे जुड़े हैऔर सबसे बढिया बात हमारे बीच मे मतभेद तो है मनभेद नही

ईश्वर यही प्यार हम पर बनाये रखे कोई नज़र लगे हमारे परिवार परआमीन
, ,

शनिवार, जनवरी 10, 2009

मेरे लिए दुआ कीजिये

ब्लोगिंग की यह बीमारी मुझे तब लगी जब मैं पैर मे इन्फेक्शन के कारण बेड़ रेस्ट पर था उसी समय मैंने जाना ब्लॉग क्या होता है ,ब्लॉग मे क्या होता है और ब्लॉग लिखने वाला कैसा होता है । सभी को पढ़ा और थोड़ा थोड़ा लिखा । आप का स्नेह मिलता गया मैं भी लिखता चला गया । ब्लॉग लिखने का एक फायदा यह हुआ की लेखन की हर विधा से मिलता रहा । लेकिन अचानक ऐसा लग रहा है की ब्लोगिंग से दूर न हो जाऊ । ब्लॉग लिखना एक इन्फेक्शन ने शरू कराया पैर के इन्फेक्शन ने , और ब्लॉग से दूर करने के चक्कर मे लगा है हाथ मे हुआ इन्फेक्शन वह भी दाये हाथ मे , बहुत दर्द है असहयानीय पता नही क्यूँ । इलाज चल रहा है कोशिश तो है जुडा रहू लेकिन दर्द मजबूर कर देता है । फिर भी हिम्मते मर्दा मददे खुदा

बुधवार, जनवरी 07, 2009

हे भगवान् हमारी नही तो न सही हमारे भारत की तो लाज बचा लो

सही या ग़लत का फ़ैसला आगे आने वाला समय करेगा। लेकिन हम पाकिस्तान के मुकाबले हर मोर्चे पर पराजित हो रहे है । कूटनीति हमेशा की तरह फेल हो गई । हम सबूत लिए डोल रहे है बिल्कुल उसी तरह जैसे एक गरीब की लड़की से दबंगो ने बलात्कार की कोशिश की और वह गरीब अपनी बेटी के साथ सबूत लिए थाने मे रिपोर्ट के लिए पैरवी कर रहा हो और उसकी कोई सुनवाई न हो ।

मजाक हो रहा है या कहे हमारे सम्मान के साथ खिलबाड़ हो रहा है । हमें अपनों की ही कमजोरी या कहे नपुंसकता का नुकसान उठाना पड़ रहा है । हमारी हालत इतनी तो दयनीय नही थी कि दो कौडी का पाकिस्तान हम पर हमला भी करता है फिर कहता सबूत लाओ फिर कहता है और सबूत लाओ हम सबूत इकट्ठे कर रहे है और भूल गए मुंबई की ताज़ी २०० लाशे , रोज़ कश्मीर पर हमले ।

हम सशक्त भारत, स्वाभिमानी भारत ,गौरवशाली भारत ,शक्तिशाली भारत के अशक्त निवासी अपने भाग्यविधाताओं की कायरता के कारण सारी दुनिया मे मज़ाक के पात्र बनते जा रहे रहे है . हे भगवन यदि आप कहीं हो तो हमारी नही तो न सही लेकिन हमारे भारत की तो लाज बचा लो ।

रविवार, जनवरी 04, 2009

१०० वी पोस्ट - कहाँ से कहाँ पहुच गया मैं

उपलब्धि तो नही लेकिन निरन्तरता है मेरे लिए १०० वी पोस्ट लिखना । यूही जिन्दगी कट रही थी मज़े से अचानक इन्टरनेट से मुलाक़ात हो गई एक दो महीने आर्कुट वार्कुत मे समय खराब किया । तभी घूमते हुए ब्लॉग लिखने के बारे पता चला पहले तो सोचता था अमिताभ बच्चन टाइप लोग ही ब्लॉग लिख सकते है । ब्लोग्वानी ,चिटठा जगत ,तीव्र नारद का रोज अध्ययन किया फिर राम का नाम लेकर ब्लोग्गर मे अपने लिए एक ब्लॉग बनाया नाम रखा दरवार । दरवार आज के टाइम कुछ अटपटा सा नाम था लेकिन बचपन से लोगो से गप्पे करना पसंद था इस पर पापा नाराज़ होकर कहते थे क्या हमेशा दरवार लगाये बैठे रहते हो । यह शब्द दरवार दिन मे एक दो बार तो सुनाई पड़ता था इसलिए इस एक शब्द से मोहब्बत सी हो गई थी और ब्लॉग का नाम रख लिया दरवार

पहली पोस्ट रोमन मे लिखी क्योंकि समझ मे नही आया हिन्दी मे कैसे लिखा जाएगा । अगले ही पल समझ मे आ गया । पोस्ट पर पोस्ट लिखी तभी पहली टिप्पणी मिली उस दिन ऐसा लगा की मैं अब कुछ सार्थक काम कर रहा हूँ क्योंकि जिंदगी जितनी आराम से काट रहा हूँ लोग कहते है पूर्व जन्मो के पुण्य है । मैंने कोई काम जिन्दगी मे लगातार नही किया सिर्फ़ यही पहला कार्य है ब्लॉग लेखन जो सौ वी बार लिख रहा हूँ ।

अनाप शनाप लिखते हुए भड़ास निकलने के लिए भड़ास मे पहुच गया। जैसा देश वैसा भेष चरितार्थ हुआ इतनी भड़ास उगल गया कि भड़ास से निकाल दिया गया भड़ास से निकाला जाना साबित करता है कि मैं कहाँ तक गिर और उठ सकता हूँ । बाद मे मेरी सदस्यता बहाल कर दी गई । उसके बाद माँ मे शास्त्री जी ने मौका दिया वहां पर भी लिखा लेकिन निरंतरता का आभाव रहा यह गलती शीघ्र सुधारूँगा । माँ न मुझे राह दिखाई और उस राह पर चल कर कुछ लोगो ने मुझे अशिर्बाद दिया और मुझे समझा ।

ब्लॉग रुपी एक ऐसा परिवार मुझे मिला जिसमे अभी तक खेमे बाजी नज़र नही आई सब वरिष्ट लोग नवागुंतक लोगो का मनोबल बढाते है । नए नए विचार तरह तरह के सुझाव रोज़ ब्लॉग दुनिया मे नज़र आते है । मैं धन्यबाद देना चाहता हूँ उन सब लोगो को जिन्होंने मुझे टिप्पणी रूपी आशीष दिया नाम इस लिए नही लिख प् रहा हूँ यदि कोई नाम छुट गया तो मुझे दुःख होगा । इसलिए अपने सभी ईष्ट परिवारिओं से यही प्रेम चाहता हूँ कि मुझ पर ऐसी ही क्रपा बनाये रखे जिससे मै अपना मनोबल बनाये रखु और उन लोगो को झुटला दू कि मैं कोई काम निरंतेर नही कर सकता ।

शुक्रवार, जनवरी 02, 2009

पाकिस्तान किससे से मानेगा -कूटनीति से या कूटने की नीति से

आतंक की छावं मे देश चलता रहे और इसके सिवा हम कर ही क्या सकते है । पहली जनवरी का असम मे हुआ धमाका हैप्पी न्यू इयर के शोर मे दब गया । यदि यह धमाका दिल्ली या मुंबई मे होता तो इसकी आवाज़ ज्यादा सुनाई पड़ती । हम और हमारे हुक्मरानों को केवल एक बात आती है आतंक पाकिस्तान प्रयोजित है और पाकिस्तान कड़ी कार्यवाही करे । चोर से चोकीदारी की आशा कही न कही हमारी कायरता की ओर इशारा तो करती ही है । हम कूटनीति कर रहे है वही कूटनीति जो पचासवे दशक में पंडित नेहरू ने कश्मीर के लिए की थी ।

हमारा पड़ोसी पकिस्तान कूटनीति नही कूटने की नीति ज्यादा समझेगा ऐसा मुझे ही नही आप को भी विश्वास होगा । यह तो है हमारा सियापा ।

अब थोडी सी चर्चा एक छोटे से देश की, नाम है उसका इस्रायल मुट्ठी भर लोग और होसला दुनिया से टकराने का । आतंकी खुराफातों से परेशान हो आर पार की लडाई शुरू कर चुका है । हमास को नेस्तनाबूद करने के लिए संघर्ष जारी और उनके मंत्री का बयाँ उनकी इच्छा शक्ति को दर्शाता है । इस्राइल का यह हमला मुंबई हमले मे मरे अपने इस्रायलियो के लिए एक श्रीध्न्जली भी है ऐसा लगता है ।

और हम कूटनीति प्रयास कर रहे है अपने अंकल सेम की ओर देख रहे है आंटी राईस पकिस्तान को समझाने आ चुकी है २० जनवरी के बाद यही काम हिलेरी आंटी करेंगी । हमारे भारत के नेता खुश है की कूटनीति कर रहे है और हम भारत के वासी चाह रहे है की पाकिस्तान के लिए कूटने की नीति होनी चाहिए ।

गुरुवार, जनवरी 01, 2009

नए साल का जश्न -थोड़ा सा कम हुआ कुछ देर के लिए गम

नया साल ही गयाबहुत शोरशराबा ,हल्लागुल्ला हुआ नया साल आया नया साल आया जब नया साल गयातो मैं यह सोच रहा हूँ नया क्या है ? नया सिर्फ़ कलेंडर है साल २००८ की जगह २००९ लिखा हैउसके आलावा आजतो मुझे कुछ भी नया नही दिखावही कल तक जो था आज भी वही महसूस हुआ लेकिन आज एक बात दिखी जोकल नही दिखी वह थी अधिकांश चेहरों पर खुशी सिर्फ़ नए साल के आगमन की

यह खुशी नए साल की है मैंने तो यही देखा नया साल अपने आप मे तो कुछ नही लेकिन आम आदमी इसमे एक नईउम्मीद देखता है उसे लगता है इस साल तो उसके सपने पूरे हो ही जायेंगेइस सा उसके कष्ट कुछ हद तक तो खत्महोंगेइस साल वह सुखी हो जायेगायही दो चार बातें खुशी का संचार कर देती है और हम जैसे आम आदमी नए साल मे नयी खुशीं की उम्मीद पर हल्ला गुल्ला करके नए साल का स्वागत करते है ।

हम हिन्दुस्तानी थोडी सी उम्मीद की रौशनी मिलते ही जश्न मनाने
लगते है । क्यों हो भी ना क्योंकि ऐसे कुछ ही पल तो मिलते हमें दर्द ,दुःख को भुला कर प्रसन्न होने को । फिर थोडी देर बाद वही जीने का संघर्ष ,रोटी की तलाश चालू