शनिवार, अक्तूबर 30, 2010

I miss you , Paa { एक बेटी की पोईम पापा के लिये }

बच्चे जब बड़े होने लगते है तो एक अजीब सी खुशी का अनुभव होता है . आज मेरी बेटी हास्टल से घर आयी है कई महीने बाद उसने एक पोइम मेरे लिए लिखी है . अभी वह 8th क्लास में है . मेरा तो अंगरेजी ज्ञान बहुत सीमित है . आप ही निर्धारित करे उसने कैसा लिखा . [ यह पोइम उसने मेरे जन्मदिन पर अपने होस्टल में लिखी है ]

     I miss you , Paa  

 Why did you have to go Paa
  Why did you have to go Paa
  Why did you have me behind    
  With nothing to do but cry 
                                                             
  I miss you terribly ,paa 
  I can't believe that your's far 
  I can't believe this had happened 
  I don't know life will go on 

  These times we had together 
  Keep coming back to me 
  Those shopping place,eat outs
  And all the movies we want to see 

  I miss all the talk and walk
 And splendid love you showed 
 The guidance you gave 
 And all my sorrows you took 

  The marvelous power of understanding 
  And great enthusiasm towards yours girl
  I remember how proud you were 
  And i'll be always daddy's girl      
                                                                                                     
                                         - AKSHITA-                                                             
                                                                 

शुक्रवार, अक्तूबर 29, 2010

काश आज भारत में तीसरी श्रेणी का रेलवे कोच होता तो राहुल गांधी अब तक महात्मा गांधी बन चुके होते

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काश आज भारत में तीसरी श्रेणी का रेलवे कोच होता तो राहुल गांधी अब तक महात्मा गांधी बन चुके होते . सामान्य श्रेणी में राहुल की मुंबई यात्रा धन्य कर गई . आज़ादी के साठ साल के बाद अब कांग्रेस का नाहर यह खोजने  निकला है गरीब रोटी के लिए परदेस क्यों जाता है . क्या कारण है ? 


कारण साफ़ है हमको पता है सबको पता है .क्या  कोई ऐसा नहीं  जो राज कुमार को बता दे कि वह नंगा है ............. 



सोमवार, अक्तूबर 25, 2010

एक बार फिर आपकी जरुरत आन पडी

बहुत दिनों से व्यस्त था गाहे वगाहे ब्लॉग पर आता था पढ़ता था और चला जाता था . एक व्यक्ति को कई भूमिका निभानी पड़ती है तो समय का अकाल तो पड़ता ही है . अभी हमारे यहाँ पंचायत का चुनाव चल रहा था . हमारे बहुत से साथी चुनाव का सामना कर रहे है कई दिन उनके प्रचार में लगा रहा .उधर घर की जिम्मेदारी भी है और एक नया व्यापार भी समय ले रहा है उसका निर्माण भी चल रहा है वारिश और बाढ़  की वजह से हम पिछड़ गए है दीपावली का सुनहरा सीजन हाथ से निकल ही गया है .

इसी कशमश में आराम की सोच ही रहा था अचानक आज सुबह घर में ही फिसल गया . घुटने में काफी चोट आई है एक्स रे में पता चला लिंग्मेंट डैमेज हो गया है यह मुझे डाक्टर ने बताया .मुझे नहीं मालूम यह क्या है . लेकिन बहुत दर्द है असहनीय ...... प्लास्टर की जगह आजकल चलने वाले बेल्ट कस दिए है तीन हफ्ते के लिए . डाक्टर का तो कहना है पूरा  आराम करो नहीं तो आपरेशन की नौबत आ सकती है . खैर मुझे दर्द से ज्यादा चिंता अपने पेंडिग कामो की है . अगले दो दिन तक तो मैं आराम को तबज्जो नहीं दे सकता . जो होगा देखा जाएगा .

ब्लॉग पर आने के बाद मैंने अपना हर सुख दुःख यहाँ पर शेयर किया है . उसी कड़ी में एक नया दुःख लिख रहा हूँ . आपकी सदभावनाए एक टानिक का काम करती है . या कहें बिना साइड इफेक्ट की पेन किलर होती है .

शुक्रवार, अक्तूबर 15, 2010

आज मेरे पापा जी का जन्मदिन है .

आज मेरे पापा जी का जन्मदिन है . मेरे पापा जी ने अपने परिश्रम से उन उचाईयों को छुआ है जो हरेक के लिए आसान नहीं . अपने पिता के बारे में  लिखना बहुत कठिन है लेकिन उनके बारे में लिखूंगा जरूर . कुछ पुरानी यादे ताज़ा कर रहा हूँ .



परिश्रम और  संघर्ष  से आज यहाँ तक पहुचे आज मेरे पापा जी एक विश्राम मयी जीवन व्यतीत कर रहे है . आज जो हम है उन्ही की वजह से है आज के ख़ास दिन पापा जी के पैसे से उन्ही को यह तोहफा हमने दिया है :-)

सोमवार, अक्तूबर 04, 2010

बी.बी.सी.के हिसाब से अब जम्मू कश्मीर भी भारत में नही . यह देश द्रोह है


यह  बी.बी.सी. ने ना सुधरने की कसम खा रखी है . कामनवेल्थ गेम्स की पदक तालिका के साथ लगी देशो की जानकारी में भारत के मानचित्र में पूरे जम्मू और कश्मीर को भारत की सीमा से बाहर दिखाया है . 

यह भारत का अपमान है और एक अपराधिक कृत्य . भारत सरकार में थोड़ी भी नैतिकता  है तो तुरंत बी.बी.सी.पर तुरन्त रोक लगाये और अपराधिक मुकद्दमा दर्ज कर कार्यवाही करे . 

आइये इस राष्ट्र अपमान का विरोध करे और बी.बी.सी का बहिष्कार करे . यह देश की सम्प्रुभवता को चुनौती है अभी तक तो गुलाम कश्मीर को नक़्शे में नहीं दिखाया जाता था अब तो जम्मू कश्मीर को भी पाकिस्तान में दिखा . 


शुक्रवार, अक्तूबर 01, 2010

क्या अयोध्या को वेटिकन या मक्का जैसा दर्जा मिले ?



मेरे एक दोस्त है एहतराम सद्दीकी उनका कल शाम मेरे पास फोन आया और कहा यह फैसला तो हम बैठ कर पहले ही कर सकते थे क्यों साठ साल खराब किये . उनकी यह बात मुझे अन्दर तक झकजोर गई . कितना सही कहा एहतराम भाई ने . लेकिन कल के फैसले पर बहुत से राजनितिक दल खुल कर नहीं बोल रहे है . क्या कारण है वह बनावटी ब्यान से सिर्फ खानापूर्ति कर रहे है . और फैसले का स्वागत भी खुले दिल से नहीं कर पा रहे है . शायद फैसले की तरफ दारी उन्हें सेकुलर ना रहने दे . इसलिए कहा जा रहा है आगे की राह खुली है असंतुष्ट पक्ष अपील कर सकता है .

अयोध्या  का फैसला जैसा भी है हमें मंजूर है . संतुष्ट तो नहीं फिर भी संतुष्टि है चलो मान जाओ . और हम तो जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये को मानने वाले है . १/३ ,१/३ ,१/३ भी हमें मंजूर है लेकिन फैसले का क्रियान्वन होना बहुत जरुरी है . कैसे होगा कब होगा इसका फैसला जल्द होना चाहिए . और उसके लिए एक योजना हमारे दिमाग में है जो आपके सामने है . 


मुस्लिम इस फैसले से इसलिए भयभीत किया जा रहा उसे याद कराया जा रहा है अयोध्या तो झांकी है मथुरा ,काशी बाकी  है . लेकिन इन बातों पर रोक लगानी पड़ेगी . अयोध्या अयोध्या है इसे औरो से जोड़ना ठीक नहीं . यह भारत के भविष्य के लिए भी सेहतमंद नहीं . इसलिए जो एक क़ानून बना था कि १९५० के बाद जो पूजा स्थलों का स्टेट्स था वह बरकरार रखा जाए उसे सखती से लागू किया जाए और कही अदालतों में इस तरह के मामले है उन्हें तुरंत निपटाया जाए . अगर समझदार मुसलमानों को समझाया जाए तो उन्हें आपति नहीं होगी यह मुझे विशवास है . 


राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक के तौर पर अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो . यह देश के लिए एक सौहार्द का एक तीर्थ हो .निश्चित मानिए अयोध्या का राम मन्दिर जिस दिन बन गया उसी दिन से भारत झूम कर प्रगति की तरफ बढता जाएगा और एक बार फिर से विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त कर लेगा .

मैं यह भी नहीं कहता अयोध्या को वेटिकन और मक्का  जैसा  दर्जा दिया  जाए लेकिन अयोध्या को अयोध्या रहने देना चाहिए . अदालत का फैसला आम लोगो ने तो तहे दिल से स्वीकार कर लिया है लेकिन जिनकी रोटी इस मुद्दे से चल रही थी वह कैसे अपने पेट पर पड़ी लात को सह ले . वह खुराफाती लोग मिल कर इस फैसले का दबी जबान से विरोध कर रहे है . और परेशान है अभी तक सड़क पर धुँआ क्यों नहीं दिख रहा . लेकिन समझदार जनता समझ चुकी है इन बाज़ीगरो और सौदागरों को इसलिए इनकी दुकाने बंद हो जाए तो अच्छा है .