शुक्रवार, नवंबर 15, 2019

गुदड़ी के लाल

गुदड़ी के लाल
गाँव गरीब में पले बढ़े कुछ होनहार अपने परिश्रम संघर्ष और योग्यता से वह सब हासिल कर लेते है जो चांदी का चम्मच मुँह में पैदा लिए लोग के लिए एक सपना है।
लेकिन बड़े लोगो की गिद्ध दृष्टि इन होनहारों पर होती है वह येन केन प्रकरेण उन होनहारों को अपने में शामिल करना चाहते है किसी भी कीमत पर।
एक गरीब परिवार का बेटा अपने हुनर से विश्वपटल पर छा जाता है। सफल व्यक्ति के साथ रिश्ता जोड़ने की चाहत बड़े बाबू साहब लोग अपनी बेटी के स्टेटस के लिए उन्हें अपना जवाई बनाने के लिए जाल फेंकते है और बड़े घर की बेटी गरीब घर की बहू बन जाती है कौन सा उस परिवार से सम्बन्ध रखना है। बेचारा वह होनहार इस चक्रव्यूह में फंस कर अपनी सुद्धबुद्ध खो बैठता है। और वह उस अंत को प्राप्त होता है जिसका वह हकदार कतई नही था।
यह वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ हुआ जो अपना मानसिक संतुलन खोने के बाद खत्म हो गए और कुछ दिन पहले एक IPS सुरेंद्र नाथ दास ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली ।
मृगतृष्णा में सब दौड़ रहे है दोषी सब है।

शनिवार, अगस्त 31, 2019

लो हम आ गए

तुमने बुलाया हम चले आये
भाई अजय झा जी #झा जी कहिन के कहने पर . समय के साथ साथ बहुत कुछ भूल गए ब्लाग के बारे में . समय फिर सिखा देगा

सोमवार, जुलाई 22, 2019

मै लौट कर आऊंगा

आज बहुत दिनों बाद इस गली आना हुआ . लगा जैसे उन गलियों में पहुँच गए जहाँ बचपन बिताया . आज भी सब याद आ रहा है सब वह लोग याद आ रहे है जिन से प्रेरित होकर लिखना सीखा . कोशिश करूँगा रोज घुमने आऊ . मन बनाया है तो आऊंगा भी रोज . तब तक इंतजार