आजकल एक फैशन चल गया है ब्लॉग लिखने का हम जैसो की देखा देखी . :-) यह ब्लॉग की समाज में स्थापित होने की गारंटी है . बहुत बड़े बड़े लोग भी ब्लॉग पॉवर का फायदा उठाने की कोशिश में है . ब्लॉग एक माध्यम बन गया है अपने मन की बात कहने का .
खैर विषय पर लौटते हुए ........... बड़े बड़े लोग ब्लॉग लिख रहे है उनमे से एक है अपने प्राइम मिनिस्टर बेटिंग
लौह पुरुष माननीय लाल कृष्ण आडवाणी . आडवाणी जी आजकल ब्लॉग वह भी हिन्दी में लिख रहे है . हिन्दी में ब्लॉग पढ़ने की लालसा लिए में आडवानी जी के ब्लॉग पर पंहुचा . पोस्ट का विषय था विदेश में जमा गुप्त भारतीय धन पर श्वेत पत्र की जरुरत . पढ़ कर अच्छा लगा छः साल सत्ता सुख के बाद छः साल विपक्ष में बैठने के बाद आडवानी जी को ध्यान आया .
तुरंत एक टिप्पणी की - छ साल बहुत होते है इन सब के लिये …………………… आप इतना तो कर सकते है कि भा ज पा के सभी नेताओ से शपथ पत्र दिला दे उनका कोइ ऎसा खाता नही है.ख़ास कर मेनका और वरुण गांधी से
आडवानी जी ने जो टिप्पणी अपने ब्लॉग पर लगाई वह चौकाने वाली थी उन्होंने मेरी टिप्पणी को सेंसर कर दिया और जो उनके ब्लॉग पर मेरी टिप्पणी आई उसमे मेनका और वरुण गांधी का नाम नदारत था
dhiru singh Says:
March 22nd, 2010 at 10:31 pm
छ साल बहुत होते है इन सब के लिये …………………… आप इतना तो कर सकते है कि भा ज पा के सभी नेताओ से शपथ पत्र दिला दे उनका कोइ ऎसा खाता नही है.
इसका क्या अर्थ लगाया जाए . मेनका या वरुण गाँधी में ऐसा क्या आपत्तिजनक था जो आडवानी जी ने उसे हटा दिया . मुझे कोई परेशानी नहीं थी कि आडवानी जी मेरी टिप्पणी को बिलकुल हटा देते . लेकिन सेंसर पर मुझे एतराज है .
क्या सेंसर मेरी स्वतंत्र अभियक्ति पर रोक नहीं . क्या इसे फासीवादी कार्यवाही मानी जाए . यह विषय मेरे लिए महत्वपूर्ण है और मैं आप सब से संरक्षण मांगता हूँ .
इस तरह से तो टिप्पणी देना व्यर्थ सा लगता है . और मैं इस तरह के सेंसर के पूर्ण रूप से खिलाफ हूँ वह भी आडवाणी जी के द्वारा जो मेरे पिता तुल्य है .
क्या आप मेरी आवाज़ के साथ है ?