शुक्रवार, दिसंबर 31, 2010

इस सदी के दूसरे दशक का पहला साल मुबारक हो .

इस सदी के दूसरे दशक का पहला साल मुबारक हो .
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कल भी वही सूरज उगेगा  
कल भी वही दिन निकलेगा 
नही होगा तो सिर्फ कलेंडर 
जो आज दीवार पर लगा है 
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एक नया साल उम्मीदे जगाता है 
एक नया साल सपने  दिखाता है 
और वह  पैदा करता है आशाये 
जो जीने की राह आसान बनाता है 
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बुधवार, दिसंबर 29, 2010

धन्यवाद २०१० बहुत बहुत धन्यवाद

धन्यवाद २०१०  बहुत बहुत धन्यवाद . जो व्यक्तिगत मुझे दिया उसके लिए तो धन्यवाद शब्द छोटा पड़  ही  जाएगा . इस २०१० ने मुझे आदमी काम का बना दिया वरना निकम्मों में शुमारी थी मेरी . यहाँ तक एक बार मेरी बेटी ने भी मुझ से पूछा पापा आप करते क्या हो ?  इस साल ने मुझे इस सवाल का जबाब दे ही दिया .


खैर सब कुछ सही बीता है अब तक . लाखो करोड़ के घोटाले हुए हमें कोई फर्क नही पड़ा .एक बिल्डिंग ३० मंजिल ज्यादा बन गई हमें कोई फर्क नही पडा . रामजन्म भूमि का फैसला हुआ हमें कोई फर्क नही पड़ा .सचिन ने डबल सेंचुरी बनाई फर्क नही पडा . किसी का ब्यान आया कश्मीर भारत का हिस्सा कभी ना रहा हमें कोई फर्क नही पडा . राहुल गांधी ने हिंदुत्व आतंकवाद को लश्करे तैयबा से ज्यादा खतरनाक बताने से हमें फर्क नही पडा .ना जाने कितनी और गतिविधिया हुई जिसका फर्क हम पर नही पडा . 


फर्क तो पडा ओबामा का नाच देखकर . फर्क पडा सरकोजी को कार्ला ब्रूनी की उंगली पकडे देखते हुए . फर्क पडा अम्बानी की अट्टालिका देखकर . फर्क पडा शीला की जवानी और मुन्नी बदनाम देखकर . फर्क पडा विकीलीक्स के लीक देखकर


वैसे २०१० कुल मिला कर तुम बहुत अच्छे हो तुम्हारी यादे हमेशा ज़िंदा रहेगी .  जाते हुए आता २०११ मिले तो उससे कहना गनीमत रखना हमपर .
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और एक बात २०१० तुम ब्लागवाणी अपने साथ ले गए . ब्लागरो को खेमे में बाट गए .खैर जब वह दिन ना रहे तो यह भी नही रहेंगे .
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शनिवार, दिसंबर 25, 2010

अटल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये

 



आज  श्री अटल बिहारी बाजपेई का जन्मदिन है . एक लोकप्रिय राजनेता प्रख्यात कवि असाधारण व्यक्तित्व और सरल स्वहाव के धनी  अटल जी को जन्मदिन की ढेरो शुभकामनाये .

मुझे याद आता है उनका सहज व्यक्तित्व जब वह नेता विरोधीदल थे और मेरे पिता भाजपा के संसदीय दल के सचेतक थे . जब अटल जी को संसद में कभी किसी कारण वश ना होना होता था तो वह खुद फोन से सूचित कर देते थे .

अटल जी देश की धरोहर है . मै उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं .

शनिवार, दिसंबर 11, 2010

शादी का सोलहवा साल- पो पो की झईम झईम

कहा जाता है मैं जब बहुत छोटा था तब बैंड बाजे की आवाज सुनकर रोने लगता था . घर के सामने से निकलती बारात मुझे चीखने को मजबूर कर देती थी . क्यों ......... इसका पता सब को तब  चला जब मैं बोलने लगा . उस समय भी बारात की आवाज़ पर मेरी रुलाई फूट पड़ती थी . मुझे लगता था सब की शादी हो जायेगी मैं ही अकेला रह जाउंगा .यह ही पीड़ा  मुझे बारात से दूर रखती थी . और बैंड की आवाज़ मुझे रोने पर मजबूर कर देती थी .

वन टाइम प्रोग्राम था मेरा शादी कैसे भी किसी से भी . यह बात तब की है जब मैं दूसरे या तीसरी में पढता था . समय के साथ साथ यह सब धूमिल होता गया . लेकिन बज़ता हुआ बैंड जब तब मुझे याद दिलाता था सब की शादी हो जाएगी और मैं रह जाउंगा कुंवारा  .............

खैर समय बीतते देर क्या लगती है अगर शारदा क़ानून आड़े नही आता तो कब की पो पो की झईम झईम हो चुकी होती . २१ साल की उलटी गिनती चालू हो गई . रिश्ते आने लगे जहा ठीकरा फूटना होता है वही फूटता है . और वही हुआ . सब कुछ तय हुआ . १२ दिसंबर ९४ को आखिर बारात जानी थी . लेकिन समय की करवट देखिये सब कुछ था लेकिन बैंड नही था . क्यों ..... शायद किस्मत में ही नही था कि बैंड बजे

जिस होटल  में बारात ठहरी थी  उसके पास की मार्केट शाम से ही बंद करा दी गई जबरदस्ती .मेरे दोस्त जब बाहर घूमने गए तो एक दुकानदार से जब दुकाने बंद का कारण पूछा तो उसका जबाब में हम लोगो के बारे में उसके सदविचार सन्न करने वाले थे . कीमत तो कही चुकानी ही पड़ती है .

सब कुछ शान्ति  से बीत गया . पहले भी मैं बैंड बाजे की आवाज़ सुनकर रोता था और आज भी .........:-) आज भी इसलिए कि मैं कुंवारा क्यों नही रहा





स्केनर ने धोखा दिया जुगाड से फ़ोटो लगाये है कैमरे से खीच कर 

शुक्रवार, दिसंबर 10, 2010

नोबेल अगर किसी कश्मीरी आतंकवादी को मानवाधिकार के नाम पर मिलेगा तो हम क्या करेंगे ?

हम नोबेल  पुरूस्कार को इतना महत्त्व क्यों देते है . दुनिया को तबाह करने वाले डायनामाइट की खोज करने वाले अल्फ़्रेड नोबेल  ने अपने धन से इन पुरुस्कारों की शुरुआत की . हमेशा से विवादों में रहने वाले यह पुरूस्कार समिति  ने महात्मा गांधी को इस लायक नही समझा कि उन्हें नोबेल  पुरूस्कार दिया जाए . महात्मा गांधी को अगर पुरूस्कार मिल जाता तो यह नोबेल  का ही सम्मान होता . 


खैर यह बात तो पुरानी है अभी साल भर पहले बराक ओबामा को शान्ति का नोबेल  दे दिया वजह सिर्फ एक वह अमेरिकन राष्ट्रपति है . मैं तो नोबेल  पुरूस्कार से इतेफाक नही रखता . इस साल चीन के  लिउ जियाओबो  को यह पुरूस्कार दिया गया है . कहा जा रहा है यह चीन के मानवाधिकार कार्यकर्ता  है और इस समय जेल में ११ साल की सज़ा काट रहे है . चीन इसका विरोध कर रहा है उसके समर्थन में कई देशो ने इस समारोह  का  वहिष्कार किया है . 


चीन जो एक आर्थिक शक्ति है में मानवाधिकार हनन यह चीन का अंदरुनी मामला है . हम बाहर खड़े लोग यह नही कह सकते कौन सही है या कौन गलत . अधिकतर लोग चीन की बुराई कर रहे है . इस मुद्दे पर मैं चीन के साथ हूँ . यह सही है चीन हमारा दुश्मन देश है यह हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा है . लेकिन इस वजह से हम चीन का विरोध करे तो यह  सही नही . 


मुझे डर है कि कल को किसी कश्मीर अलगाववादी या कहें आतंकवादी को नोबेल  मिलेगा वह भी शान्ति का . उसे भी मानवाधिकार कार्यकर्ता कहा जाएगा तो हम क्या करेंगे  उस समय . हम तो इतने सक्षम भी नही कि हमारे कहें से दो देश भी वहिष्कार करे . 


इसलिए इस विषय पर भी सोचना चाहिए . और मेरा मन कहता है साल दो साल में किसी कश्मीर अलगाववादी को इस पुरूस्कार से नवाज़ा जरूर जाएगा . 

सोमवार, दिसंबर 06, 2010

६ दिसंबर ९२ कुछ ख़ास था मेरे लिए

गुरु की खोज जारी है या कहें लगभग तय है . दो चार दिन में गुरु जी घोषित हो ही जायेंगे .

आज ६ दिसंबर है . ६ दिसंबर ९२ कुछ ख़ास था मेरे लिए . ख़ास क्यों ........ ख़ास इसलिए उस दिन मेरे मित्र मंडली में से पहले मित्र की शादी तय हो रही थी और ६ दिसंबर को गोद भराई जिसे रिंग सरेमनी भी कह सकते है थी . दोस्तों में से कोई पहली बार एक दुल्हा बनने की और अग्रसर था . यादे गुदगुदा रही थी कल तक हम साथ साथ खेले ,घुमे और आज अचानक एक साथ बड़े हो गए . शादी की वेटिंग तक पहुच  गए थे हम लोग .

हमारी मंडली के बारे में कहा जाता था जिस नक्षत्र में इनकी शादी होगी वह भी भुलाया नही जाएगा . खैर हम लोग तैयारी में थे .सूट बूट पहन कर जेंटल मैन बन गए थे . लड़की वालो के यहाँ जाना था . तभी अयोध्या के बारे में खबरे आने लगी . सामान्य सी स्थति समझी और हम लोग सब पहुच ही गए . इधर  हमारा दोस्त दुल्हा बनने की राह में था उधर अयोध्या में इतिहास अपने को दोहरा रहा था . माहौल  में अजीब सी बैचेनी थी .पंडित जी में तेज़ी थी . और मेहमानों में भी सब जल्दी में लग रहे थे .

तभी अखवारो के एडिशन बिकने लगे . पहला एडिशन जब आया उसमे था कार सेवक् ढाचे पर चड़े . उस समय मेरा दोस्त अपनी होने वाली साथी के साथ खडा ही हुआ था . थोड़ी देर बाद जब वह अंगूठी पहना रहा था उसी समय खबर आयी एक गुम्बद गिरा दिया गया है . जब उसकी बीबी [होने वाली ] ने अंगूठी पहनाई उसी समय खबर मिल गई है दूसरा गुम्बद भी गिर गया है . अब मेहमानों के सब्र का बाँध टूट गया था वह खाने का इंतज़ार करने के बजाय अपने घर पहुचने की जुगाड़ में थे . जब तक सब कार्यक्रम सम्पन्न हुआ तब तक अयोध्या में भी सब काम ख़तम हो गया था . अधिकाँश मेहमान अपने घरो को लौट चुके थे .

और सडको पर सायरन बजने शुरू हो गए थे और सबको घर जाने की ताकीत मिल रही थी . सब खाना ढोंगे में रखा इंतज़ार कर रहा था कि आओ हमें खाओ . लेकिन खाने वाले अपनी भूख खो चुके थे . हम कुछ दोस्तों ने खाने का मान रखा . और दोस्त को उसके घर पहुचा कर अपने घर पहुचे .

इस लिए बहुत यादगार है ६ दिसंबर मेरे लिए .

शुक्रवार, दिसंबर 03, 2010

आवश्यकता है एक ब्लाग गुरु की ..........................

                                   आवश्यकता है  
              एक गुरु की जो ब्लॉग पर सफल होने के गुर सिखा सके. 


                               योग्यता - कम से कम एक ब्लॉग का तन्हा मालिक हो .
                               अनुभव -  कम से कम २ ब्लागर के गुरु रह चुके हो .
                               वेतन -     योग्यतानुसार
                               संपर्क -     दरबार .ब्लागस्पाट .कॉम
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सोचता हूँ एक ऐसा विज्ञापन छाप दूँ . क्योकि पढ़ा है बिना गुरु के वह हासिल नही होता जो चाहिए . अभी तक कोई गुरु नही बना पाया मैं . मेरी बदकिस्मती है . ब्लॉग भी तो एक सागर है इसमें तैरते रहने के लिए एक प्रशिक्षित व्यक्ति की मदद की जरुरत है .  आखिर कब तक हाथ पैर मारे . मेरी भी इच्छा है मैं किसी को प्यार से गुरुदेव पुकारू . और एक बात और आजतक जो मेरे गुरु रहे है वह बहुत ऊंचे पदों पर पहुचे है . उनमे से दो को राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है . और एक गुरु आज बहुत बड़े प्रदेश के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष है .

अगर आपको ऐसे गुरु की जानकारी हो तो कृपया मुझे अवश्य दे .