क्या निहत्ते गैर प्रशिक्षित आन्दोलन कारी इतने मजबूत ढाचे को बिना औजारों के मटियामेट कर सकते थे . नहीं कभी नहीं यही आपके अन्दर से निकलेगा . सन ९२ में जब रामजन्मभूमि आन्दोलन चरम पर था उस समय मेरे पिताजी संसद सदस्य थे उनेह संसद के अंदर कुछ कांग्रेसी सांसदों ने कहा हमारे बुड्ढे [ नरसिंह राव ] ने कहा है आराम करो घर बैठो चुनाव जीतो ६ दिसम्बर के बाद यह बी जे पी वाले सडको पर पीटेंगे . जनता इनेह कहीं का नहीं छोड़ेगी .
बात आई गई हो गई . मज़ाक में बात चली लेकिन इस बात की सच्चाई ६ दिसम्बर को ही पता चली .
अयोध्या में कार सेवको की भारी भीड़ उमड़ी . गैर विवादित चबूतरे को सरयू के जल से धोने के लिए . तमाम नेता ,पत्रकार वहां पहले ही पहुच गए . मंच पर नेताओ का जमघट लगा था भाषण बाज़ी शुरू हो चुकी थी . उसी समय कुछ पत्रकारों ने कार सेवको से पुछा कितने रूपय रोज़ पर लाये गए हो एक विदेशी पत्रकार ने सेंड विच फेका और कुछ कहा . कारसेवक उद्धेलित हो गए और पत्रकारों की ठुकाई कर दी गई .
सांकेतिक कारसेवा चालु हुई तभी अचानक कुछ लोग गुम्बद पर चढ़ गए . नेताओ के चेहरे पर भाव बदलने लगे लेकिन लगा की पहले की तरह उत्साह में लोग चढ़ गए है और उतर जायेंगे . मंच से नीचे उतरने की अपील की जाने लगी लेकिन कोई नहीं सुन रहा था . उमा भारती ने हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया . अडवानी जी , स्व. राजमाता सिंधिया , जोशी जी , संघ प्रमुख शेषाद्री जी ने कारसेवको से रुकने की अपील की लेकिन कोई मानने को तैय्यार नहीं था . तभी अचानक एक हल्का विस्फोट हुआ और एक गुम्बद गिर गया . स्थति हाथ से निकल गई थी . लोगो का जोश चरम पर आ गया . मंच से ही अडवानी जी ने कल्याण सिंह से फ़ोन पर बात की और कहा जो हुआ सो हुआ गोली नहीं चलनी चाहिए . और गोली नहीं चली .
मेरे पिताजी उस समय उस मंच पर मौजूद थे . अचानक उनेह अपने साथी कांग्रेस सांसद की वह बात याद आगई जो उसने कहा था क़ि हमारे बुड्ढे ने इंतजाम कर दिया है . और यह था इंतजाम शरद पवार तत्कालीन रक्षा मंत्री के सौजन्य से . प्रशिक्षित लोगो द्वारा उस ढाचे को तकनिकी के माध्यम से ढा दिया . षड्यंत्र का पहला चरण तो पूरा हो गया दूसरा चरण यह था राज्य सरकार गोली चलवाए और उसमे सैकड़ो कार सेवक मारे जायेंगे सारा इलज़ाम भाजपा के सर आएगा और जनता का आक्रोश सारे भारत में फैल जाएगा भाजपा के नेता सडको पर पिटते और भाजपा हमेशा के लिए ख़त्म
इस पूरे प्रकरण में भाजपा क़ि स्थिति रपट गए तो हर हर गंगे वाली हो गई . भाजपा के हाथ से एक मुद्दा हाथ से निकल गया अब वह ढाचा भी नहीं रहा जिसको दिखा दिखा कर वह हिन्दुओ को पटा पाते . उस समय भाजपा के नेताओ पर अपनी चार सरकार जाने का ज्यादा गम था . उसके बाद आज तक भाजपा जुगाड़ तुगाड़ से तो सरकार बना पायी लेकिन अपने बूते पर नहीं . यह मुद्दा खत्म हो गया था ६ दिसम्बर ९२ को .
लेकिन कांग्रेस लिब्राहन आयोग के द्वारा इस मरे मुद्दे को फिर उठा रही है अपनी कमियों को छुपाने के लिए . राजीव गाँधी ने बोफर्स को हल्का करने के लिए शिलान्यास करवाया . नरसिंह राव ने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए ढाचा तुडवाया और अब मनमोहन सिंह ने महंगाई ,गरीबी , और देश पर आये संकट को छुपाने के लिए राम जन्म भूमि के विवाद को फिर आगे कर दिया .
और भाजपा व सपा इसमें भी राजनीती की सम्भावना खोज रहे है . किसी मुस्लिम को शायद ही जय श्री राम से इतनी आपत्ति नहीं होंगी जितनी मुस्लिम वोटो के चाहत में सपा को है . कांग्रेस ने तो हड्डी फेक दी है और कुछ समय के लिए तो वह ज्वलंत मुद्दों को ढकने में कामयाब हो ही गई है .
बुधवार, नवंबर 25, 2009
रविवार, नवंबर 22, 2009
गे और लेस्बियन का इलाज़ योग द्वारा करेंगे बाबा राम देव
बाबा राम देव की जय हो आज तो बाबा ने कमाल कर दिया . बाबा ने आज इण्डिया टी. वी . पर आपकी अदालत में अपनी बात सुश्री सम्भावना सेठ और सुश्री कश्मीरा शाह से कही . बात का स्तर इतना गिर गया की चैनल बदलना पड़ा . बाबा भी लाजबाब हो गए दोनों हूरों से बात कर . सेक्स ,सम्लेंगिकता ,कंडोम जैसे विषयो पर बाबा का आत्म विश्वास और उनके चेहरे पर आये भाव और मुस्कान एक अलग ही कहानी ब्यान कर रहे थे .
हमेशा चर्चा में रहने को आतुर यह तीनो एक दूसरे पर वार करते रहे . सम्भावना सेठ के कई प्रश्नों पर बाबा खिस्याई हसी में टाल गए . एक सवाल बाबा आप तो योगी हो सेक्स के बारे में कैसे जानते हो ? बाबा सिर्फ हें हें हें . और फिर सम्भावना ने कहा एक गाना लगा दीजिये मैं नाचूंगी अगर बाबा भी खुश होकर ताली ना बजाये तो मेरा नाम नहीं . बाबा हें हें हें .
और सबसे ज्यादा जोर समलैंगिकता पर हुआ . बाबा ने दावा किया वह योग द्वारा समलैंगिकता की आदत को दूर कर सकते है . बेचारा योग उसे यह भी दिन देखने को मिला . बाबा के अपने दावे और रक्कासाओं के अपने . आगे और देखने की इच्छा नहीं हुई चैनल बदल दिया . वैसे एक नया अनुभव प्राप्त हुआ कि चर्चित रहने के लिए योगी और भोगी एक ही रस्ते चलते है .
हमेशा चर्चा में रहने को आतुर यह तीनो एक दूसरे पर वार करते रहे . सम्भावना सेठ के कई प्रश्नों पर बाबा खिस्याई हसी में टाल गए . एक सवाल बाबा आप तो योगी हो सेक्स के बारे में कैसे जानते हो ? बाबा सिर्फ हें हें हें . और फिर सम्भावना ने कहा एक गाना लगा दीजिये मैं नाचूंगी अगर बाबा भी खुश होकर ताली ना बजाये तो मेरा नाम नहीं . बाबा हें हें हें .
और सबसे ज्यादा जोर समलैंगिकता पर हुआ . बाबा ने दावा किया वह योग द्वारा समलैंगिकता की आदत को दूर कर सकते है . बेचारा योग उसे यह भी दिन देखने को मिला . बाबा के अपने दावे और रक्कासाओं के अपने . आगे और देखने की इच्छा नहीं हुई चैनल बदल दिया . वैसे एक नया अनुभव प्राप्त हुआ कि चर्चित रहने के लिए योगी और भोगी एक ही रस्ते चलते है .
गुरुवार, नवंबर 19, 2009
महंगाई महंगाई हाय हाय महंगाई
क्या
ऐसा
हो
सकता
कि
हम
महंगाई
पर
भी
कुछ
सोचे
और भी गम है जमाने में
माना
लेकिन
महंगाई
जला कर राख कर देगी
हम को भी
और आप को भी शायद
महंगाई महंगाई हाय हाय महंगाई
मंगलवार, नवंबर 17, 2009
आओ चीन से भी कुछ सीखे
कभी अफीमचियों का देश चीन अपने अदम्य इच्छा शक्ति से एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में परिवर्तित हो गया . आज चीन की ताकत के आगे अमरीका भी नतमस्तक हो गया . तिब्बत को चीन का अंदरूनी मसला कह बराक ओबामा ने चीन की वन चाइना पोलिसी का समर्थन कर दिया .
कभी चीन की सुरक्षा दीवार बनने के तुरंत बाद चंगेज खान ने चीन को लूट कर चीन की कमजोरी को जग जाहिर किया था आज वही चीन इतना समर्थ हो गया की हर देश उसके सही गलत फैसलों को सिर्फ और सिर्फ सही बता रहे है .
चीन हमारा शत्रु देश है उसको मजबूत करने में हमारा भी बहुत बड़ा योगदान है उसकी अर्थव्यवस्था को सुद्र्ण बनाने में हम ही आगे है . हम उसके उत्पादन के सबसे बड़े उपभोक्ता है . हम अपने पैसे से उसे ताकत दे रहे है और वह हमें आँखे दिखा रहा है .
दूसरी ओर हम वैभव शाली इतिहास को साजो कर रखने वाले ,सपनो में जीने वाले ,अपने को श्रेष्ट समझने वाले गौरवशाली भारतीय चीन के आगे कहीं टिक ही नहीं पा रहे है . हम आज तक दुनिया से नहीं कहलवा पाए कश्मीर हमारा अंदरूनी मामला है . हमें चीन से कुछ सीखना ही चाहिए . कैसे अपने जीवट से दुनिया को झुका पाए . और यह गलत भी नहीं राम ने रावण को मारने के समय भी उसके ज्ञान का लाभ उठाया . लक्ष्मण को रावण से शिक्षा ग्रहण करवाई .
आइये चीन से कुछ सीखे क्योकि आज की तारीख में वह हमसे ज्यादा शक्तिशाली है हर क्षेत्र में चाहे वह अर्थ व्यवस्था हो , देश प्रेम हो या अपनी मातृ भाषा के प्रति उसका प्रेम हो या कुछ और
गुरुवार, नवंबर 12, 2009
क्या हम ब्लॉगरो का समाज के प्रति कोई कर्तव्य है या नहीं - क्यों हम महंगाई और गरीबी के खिलाफ खडे नहीं होते
एक तूफ़ान उठा और मडरा कर चला गया . मुम्बई बची गुजरात बचा . अच्छा हुआ बबाल टला . प्रक्रति की उठा पटक तो रुक गयी लेकिन यह आप्रक्रतिक बबंडर जो पुरे भारत में मडरा रहा है . कब थमेगा पता नहीं . खासकर हमारे ब्लोगजगत पर भी एक तूफ़ान सा उठता रहता है . विवाद तो हमारी पहचान बनते जा रहे है .
किस्से कहानियों , शायरी ,चुटकले ,पहेलियों के बाद बेकार के झगडो में हम लोग फस चुके है . अपनी ऊर्जा को हम जाया कर रहे है . हिन्दू और मुस्लिम धर्म का छिद्रान्वेष्ण जितना हम लोगो ने किया है शायद ही किसी ओर माध्यम में हुआ हो . दुनिया भर की कमिया घर बैठे निकाल देते है . नकारात्मकता का एक माहोल बना रखा है हमने . कौन से दिशा में भटक रहा है यह ब्लॉग जगत .
हम गडे मुर्दे उखाड़ लेते है , हम मुर्दों को गोबर सुंघा कर जिन्दा करने की कोशिश करते है . मुर्दा मतलब विवाद . मै भी कोई दूध का धुला नहीं मैने भी इस नाले में चाहे अनचाहे गोते खाये है .
मुझे नहीं लगता कोई सकरात्मक दिशा की ओर हम कदम उठाते है . महंगाई , गरीबी के बारे में हम नहीं सोचते शायद हम पर यह चीजे फर्क नहीं डालती है .लेकिन यही दो चीजे नक्सलवाद को बढावा दे रही है. एक अराजकता को क्रान्ति का नाम देकर गरीबो की भावनाओ से खिलवाड़ कर जो राष्ट्रविरोधी माहोल बन रहा है उसके दोषी भी हम ही है क्योकि इनके कारणों को हम अनदेखा कर रहे है .
हम ब्लोगरो की एक लम्बी चोडी फौज है . जो इतनी दम रखती है अपनी आवाज से दिल्ली को हिला सकती है . किसी चौराहे पर बैठे १०० लोग भी अपनी आवाज़ सरकार तक पंहुचा देते है ओर हम तो दस हज़ार है ओर सब सक्षम सब सामर्थ्य वान तो क्यों ना हम गरीब ,कमज़ोर ,दबे कुचले ,किसान ,झुग्गी झोपडे के इंसान की आवाज़ बने . उनके बारे में भी सोचे .
इस सब में हमारा भी हित है क्योकि अगर यह गरीब तबका थोडा भी संतुष्ट हुआ तो तथाकथित क्रांति के नाम पर जो अराजकता फैल रही है उसकी धार शायद थोडी कुंद हो . अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस अराजकता के सबसे बड़े शिकार हम जैसे दिमागी खटपट करने वाले होंगे क्योकि हम है ही इस के जिम्मेदार ..
किस्से कहानियों , शायरी ,चुटकले ,पहेलियों के बाद बेकार के झगडो में हम लोग फस चुके है . अपनी ऊर्जा को हम जाया कर रहे है . हिन्दू और मुस्लिम धर्म का छिद्रान्वेष्ण जितना हम लोगो ने किया है शायद ही किसी ओर माध्यम में हुआ हो . दुनिया भर की कमिया घर बैठे निकाल देते है . नकारात्मकता का एक माहोल बना रखा है हमने . कौन से दिशा में भटक रहा है यह ब्लॉग जगत .
हम गडे मुर्दे उखाड़ लेते है , हम मुर्दों को गोबर सुंघा कर जिन्दा करने की कोशिश करते है . मुर्दा मतलब विवाद . मै भी कोई दूध का धुला नहीं मैने भी इस नाले में चाहे अनचाहे गोते खाये है .
मुझे नहीं लगता कोई सकरात्मक दिशा की ओर हम कदम उठाते है . महंगाई , गरीबी के बारे में हम नहीं सोचते शायद हम पर यह चीजे फर्क नहीं डालती है .लेकिन यही दो चीजे नक्सलवाद को बढावा दे रही है. एक अराजकता को क्रान्ति का नाम देकर गरीबो की भावनाओ से खिलवाड़ कर जो राष्ट्रविरोधी माहोल बन रहा है उसके दोषी भी हम ही है क्योकि इनके कारणों को हम अनदेखा कर रहे है .
हम ब्लोगरो की एक लम्बी चोडी फौज है . जो इतनी दम रखती है अपनी आवाज से दिल्ली को हिला सकती है . किसी चौराहे पर बैठे १०० लोग भी अपनी आवाज़ सरकार तक पंहुचा देते है ओर हम तो दस हज़ार है ओर सब सक्षम सब सामर्थ्य वान तो क्यों ना हम गरीब ,कमज़ोर ,दबे कुचले ,किसान ,झुग्गी झोपडे के इंसान की आवाज़ बने . उनके बारे में भी सोचे .
इस सब में हमारा भी हित है क्योकि अगर यह गरीब तबका थोडा भी संतुष्ट हुआ तो तथाकथित क्रांति के नाम पर जो अराजकता फैल रही है उसकी धार शायद थोडी कुंद हो . अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस अराजकता के सबसे बड़े शिकार हम जैसे दिमागी खटपट करने वाले होंगे क्योकि हम है ही इस के जिम्मेदार ..
मंगलवार, नवंबर 10, 2009
सपा सफा हो गई ,भाजपा विदा हो गई और कम्युनिष्ट हरी झंडी लाइन सफा - सुहाग नगरी ने सुहाग की त्यागी सीट पर सुहागन को भी नही बैठने दिया
उप चुनाव ने तो कहर ढा दिया . सपा सफा हो गई ,भाजपा विदा हो गई और कम्युनिष्ट हरी झंडी लाइन सफा . सबसे खतरनाक यह हुआ महंगाई को साँसे मिल गई क्योकि कांग्रेस आई महंगाई लाई . और माया ममता छाई
लेकिन जनता तो चक्रव्यूह से निकल ही नहीं पाती उसकी तो नियति ही है चक्कर में पड़े रहना . जनता ने इस चुनाव में विधानसभाओ में तो उत्तर प्रदेश को छोड़ सब जगह सत्ता को करारा तमाचा रसीद किया . ३१ साल का लाल शासन के शासको का चेहरा लाल कर दिया . बंगाल और केरल तो हिल ही गया लग रहा है . हिमाचल में नेताओ की बीबियों को टिकिट नहीं दिया तो अपनी सीटे दूसरी पार्टियों को जितवा दी . धन्य हो
उत्तर प्रदेश में तो कमाल ही हो गया चुप मायावती ने बड़बोले लोगो की जुवान पर ताला लगा दिया . इसे कहते है हाथी की चाल .
और एक लोक सभा की सीट का हाल फिरोजाबाद सुहाग नगरी ने सुहाग की त्यागी सीट पर सुहागन को भी नही बैठने दिया . धरतीपुत्र की अपनी धरती ने ही अनदेखी की अनोखी सजा दी जो जीवन भर मुलायम सी चुभन दिल में होती रहेगी . आखिर कितने पारिवारिक लोग जनता की सेवा करेंगे तो उनकी सेवा कौन करेगा इसलिए जनता ने उनका आग्रह ठुकरा दिया और जनादेश दे दिया बहू घर पर रह परिवार की देख रेख करे हमारी सेवा के लिए आप इतने लोग तो हो ही .
फिरोजाबाद की जीत ना तो राहुल गाँधी की है ना राज बब्बर की . यह हार है मुलायम सिंह की ,उनकी पार्टी की ,उनके परिवार की , उनके घमंड की , और उनके सलाहकारों की .
सोमवार, नवंबर 09, 2009
वन्देमातरम ,मराठी हिन्दी जैसे विवाद प्रायोजित है क्योकि महंगाई पर ध्यान ना जाए
वन्देमातरम , मराठी , हिन्दू मुस्लिम जैसे विवाद या कहे रोज़ एक नया विवाद और उस पर चर्चा में जो वक्त जाया करा जा रहा है या कहे कराया जा रहा है . कभी सोचा क्यों ? यह एक षड्यंत्र सा है जो हम आदमी को वह नहीं सोचने देता जिस पर चर्चा बहुत जरुरी है .
महंगाई सुरसा सा मुहं फाड़े खड़ी है . कोई उस और ध्यान ना दे इसलिए रोज़ एक नया विवाद . बेकार का विवाद - चीन के सैनिको ने घुसपैठ की , दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा , देश की सीमा पर संकट , अल कायदा का अगला निशाना, कोडा के कारनामे और ना जाने क्या क्या . और अब १० -१५ दिनों के लिए राज ठाकरे .
सिर्फ एक मकसद है इन विवादों के पीछे की जनता या कहे आम आदमी महंगाई और मूलभूत समस्याओ को भूल जाए उसका ध्यान ही ना पड़ने दिया जाए इन ज्वलंत विषयों पर . सत्ता पक्ष अपनी चालो पर कामयाब हो रहा है और हमारा नाकारा विपक्ष जो विपक्ष कहलाने के लायक भी नहीं वह अपने रास रंग में मस्त है क्योकि महंगाई की तपिश उनके घर में महसूस नहीं होती .
इसी देश में जब विपक्ष की नेता इंदिरा गाँधी थी तो सिर्फ सोने और प्याज की महंगाई का रोना रो कर सत्ता में आ गई . उनके बाद उन्ही की पार्टी ने बीजेपी की राज्य सरकारे प्याज की महंगाई में धो डाली . और आज का विपक्ष महंगाई की समस्या को मुद्दा ही नहीं बना पा रहा है क्योकि विपक्ष के नेता भी तो सत्ता सुख तो भोग ही रहे है .
डर तो इस बात का लग रहा है अगर आम आदमी महंगाई की तपिश को ज्यादा महसूस नहीं कर पाया और उसके पेट की आग उसके हाथो में पहुच गई तो क्या क्या जलेगा कल्पना भी भयावह है . और यह आग फैलेगी जरुर क्योकि प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री कहते है महंगाई अभी कम नहीं होगी .
महंगाई सुरसा सा मुहं फाड़े खड़ी है . कोई उस और ध्यान ना दे इसलिए रोज़ एक नया विवाद . बेकार का विवाद - चीन के सैनिको ने घुसपैठ की , दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा , देश की सीमा पर संकट , अल कायदा का अगला निशाना, कोडा के कारनामे और ना जाने क्या क्या . और अब १० -१५ दिनों के लिए राज ठाकरे .
सिर्फ एक मकसद है इन विवादों के पीछे की जनता या कहे आम आदमी महंगाई और मूलभूत समस्याओ को भूल जाए उसका ध्यान ही ना पड़ने दिया जाए इन ज्वलंत विषयों पर . सत्ता पक्ष अपनी चालो पर कामयाब हो रहा है और हमारा नाकारा विपक्ष जो विपक्ष कहलाने के लायक भी नहीं वह अपने रास रंग में मस्त है क्योकि महंगाई की तपिश उनके घर में महसूस नहीं होती .
इसी देश में जब विपक्ष की नेता इंदिरा गाँधी थी तो सिर्फ सोने और प्याज की महंगाई का रोना रो कर सत्ता में आ गई . उनके बाद उन्ही की पार्टी ने बीजेपी की राज्य सरकारे प्याज की महंगाई में धो डाली . और आज का विपक्ष महंगाई की समस्या को मुद्दा ही नहीं बना पा रहा है क्योकि विपक्ष के नेता भी तो सत्ता सुख तो भोग ही रहे है .
डर तो इस बात का लग रहा है अगर आम आदमी महंगाई की तपिश को ज्यादा महसूस नहीं कर पाया और उसके पेट की आग उसके हाथो में पहुच गई तो क्या क्या जलेगा कल्पना भी भयावह है . और यह आग फैलेगी जरुर क्योकि प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री कहते है महंगाई अभी कम नहीं होगी .
बुधवार, नवंबर 04, 2009
चचा अंग्रेजो के शुक्रगुजार क्योकि अंग्रेजो ने मुसलमानों से हिन्दुस्तान की कमान ले कर हिन्दुओ को सौंप दी
हमारे ऊपर राज करने वालो में अंग्रेजो की मानसिक गुलामी आज भी हम कर रहे है . राष्ट्रकुल खेल इसी का तो प्रमाण है .राष्ट्रकुल यानी अंग्रेजो के गुलाम देशो का समूह . जो आज भी अपने को धन्य मानते है की अंग्रेजो ने हम पर उपकार किया हमें दुनिआवी तहजीव सिखाई . तरक्की के रस्ते दिखाए .
ऐसे ही एक हमारे चचा है इंग्लेंड रिटर्न . अगर आज अंग्रेज राज कर रहे होते तो निश्चित ही उनेह राय बहादुर या राय साहेब से नवाजते . उनकी आस्था आज भी अंग्रेजो के प्रति अगाध है . उनका यह पागल पन कभी कभी निरुत्तर कर देता है वकौल उनके हमें अंग्रेजो का शुक्रगुजार होना चाहिए . क्यों ? पूछने पर उनका रिकार्ड चालु हो जाता है .
चचा पूछते है और याद भी दिलाते है अंग्रेज जब भारत में आये तो किस्से उन्होंने राज छीना . कुछ बोलने से पहले ही बोल उठे बादशाह बहादुर शाह जफ़र से . यानी यानि क्या तुम तो ऐसे गाली देते हो जैसे अंग्रेजो ने प्रथ्वी राज चौहान से राज छीना . मतलब क्या मतलब यह की अंग्रेजो ने मुसलमानों से हिन्दुस्तान की कमान ले कर हिन्दुओ को सौंप दी .नहीं तो जजिया देते देते अब तक हिन्दुओ का नामोनिशान मिट जाता .
अब इस चचा का क्या करू एक नयी बहस को जन्म दे दिया चचा ने . चलिए इस बहस पर भी तलवार भाँज ले .
ऐसे ही एक हमारे चचा है इंग्लेंड रिटर्न . अगर आज अंग्रेज राज कर रहे होते तो निश्चित ही उनेह राय बहादुर या राय साहेब से नवाजते . उनकी आस्था आज भी अंग्रेजो के प्रति अगाध है . उनका यह पागल पन कभी कभी निरुत्तर कर देता है वकौल उनके हमें अंग्रेजो का शुक्रगुजार होना चाहिए . क्यों ? पूछने पर उनका रिकार्ड चालु हो जाता है .
चचा पूछते है और याद भी दिलाते है अंग्रेज जब भारत में आये तो किस्से उन्होंने राज छीना . कुछ बोलने से पहले ही बोल उठे बादशाह बहादुर शाह जफ़र से . यानी यानि क्या तुम तो ऐसे गाली देते हो जैसे अंग्रेजो ने प्रथ्वी राज चौहान से राज छीना . मतलब क्या मतलब यह की अंग्रेजो ने मुसलमानों से हिन्दुस्तान की कमान ले कर हिन्दुओ को सौंप दी .नहीं तो जजिया देते देते अब तक हिन्दुओ का नामोनिशान मिट जाता .
अब इस चचा का क्या करू एक नयी बहस को जन्म दे दिया चचा ने . चलिए इस बहस पर भी तलवार भाँज ले .
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