रविवार, अगस्त 22, 2010

यह मुसीबते अकेले क्यो नही आती .

यह मुसीबते एक साथ ही क्यों आती है अकेले क्यों नहीं . पिछले कई दिनों से कई मुसीबते एक साथ सामने आ गयी . अभी कुछ नए और पुराने व्यापार के सिलसले में बिजी हूँ . तभी अचानक मेरे जीजा जी के पिताजी को हार्ट अटैक हुआ और उन्हें नोयडा के मेट्रो हास्पिटल ले जाना पड़ा . एंजियोग्राफी के बाद तुरंत बाई पास की सलाह दी गई . हम लोग परेशान थे ही तुरंत खून और पैसे की व्यवस्था करनी थी इसलिए तुरंत अपने शहर को गए . 

वहा से सब व्यवस्था हासिल कर अपनी कुछ ही महीने पुरानी टाटा सफारी से हास्पिटल पहुचे . जैसे ही हम अन्दर गए और थोड़ी देर बाद बाहर आये तो पता चला की सफारी चोरी हो चुकी है . गाडी तो गई ही गई उसमे रखा सब सामान ,कपड़ा लित्ता ,कागज़ और रुपये भी चोरी हो गए . रिपोर्ट लिखवा दी . जो नुक्सान हुआ वह कुछ ज्यादा ही था . 

संतोष इस बात का है आपरेशन सफल हुआ . अब वह ठीक है और गहन चिकित्सा कक्ष में है एक आध दिन में वार्ड में शिफ्ट हो जायंगे . 

इस घटना से पुरानी कहावत सही साबित हुई . कि मुसीबते अकेले नहीं आती .

गुरुवार, अगस्त 12, 2010

यूनाईटेड स्टेट्स आफ़ इण्डिया

स्वायत्तता सिर्फ कश्मीर को क्यों ? सब राज्यों को क्यों नहीं . कश्मीर से लेकर केरल तक ,गुजरात से बंगाल तक और पूर्वोत्तर के राज्यों को भी स्वायत्तता दे देनी चाहिए . अपने क़ानून बनाये यह राज्य . अपने हिसाब से चलाये मुख्यमंत्री अपने राज्य को गवर्नर बन कर . अपनी फौजे  बनाए .और इंडिया के साथ रहे .

यह कायराना विचार कमजोर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मूंह से निकाले गए ब्यान से आया जिसमे कश्मीर की स्थिति को देखते हुए और स्वायत्तता देने की बात कही गयी है . लाखो करोड़ खर्च  कर दिए इन कश्मीरियों { यहाँ पर कश्मीरियों से मतलब उनसे है जो आज कश्मीर में रह रहे है } पर फिर भी वह पाकिस्तान परस्त है . आतंक के हिमायती है और इन्डियन डोग गो बैक के नारे लगाते है . फिर भी हम सौ सौ जूते खा कर उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे है . हमारी कमजोर और नाकारा सरकारे हमें आज तक नीचा दिखाती आ रही है .

 यदि  सरदार पटेल ना होते तो शायद सौ दो सौ कश्मीर पूरे हिन्दुस्तान में पल रहे  होते . कश्मीर पर उनकी नहीं मानी गई तो यह हाल हुआ . ५०० से ज्यादा छोटे बड़ी स्टेट मिला दी भारत में लेकिन कश्मीर गृह राज्य था हमारे पहले प्रधानमंत्री का और उनके चहेते शेख अब्दुल्ला को वहाँ  की बागडोर देना ही गुनाह हो गया . अब्दुला ने ही कश्मीर मिलिशिया नाम से एक सेना का भी गठन किया था . जो बाद में बड़ी मुश्किल से जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री बनी .

जब कश्मीर की बात होती है तो सिर्फ कश्मीर का ध्यान रखा जाता है जम्मू या लदाख का नहीं . कभी वहां के लोगो से पूछे किस दोयम दर्जे में रह रहे है वह . खैर उनकी यह नियति हमारी यह सरकार की वजह से ही है . अगर इस कमजोर  सरकार पर अंकुश  नहीं लगाया तो यू एस आई और उसके बाद अपनी ढफली अपना अपना राग .

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर चिंतन करे की कितने साल और तक यह स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा . मुझे तो नहीं लगता यह दिवस अक्षुण रह पायेगा .

सोमवार, अगस्त 09, 2010

कश्मीर की समस्या कश्मीरियों की नहीं है कश्मीर की समस्या हिन्दुस्तानियों की है .

 हड़बड़ी में आज़ादी लेने के चक्कर में आधा कश्मीर, आधा पंजाब ,आधा बंगाल और पूरा सिंध हमने खो दिया .भारत की आजादी के समय एक अधूरा  कश्मीर हमें मिला या कहें मेजर सोमनाथ शर्मा जैसे परमवीरो की शाहदत के कारण इतना बच सका . कश्मीर के असली कश्मीरियों को मार मार के भगा दिया और हम उन जहरीले सापों को दूध पिला पिला कर आज तक पाल रहे है जिन्होंने यह कुकृत्य किया . चंद खानदान घुमा  फिरा कर कश्मीर को चला रहे है . और अलगाववादियों को हवा दे रहे है .  हमारी आज तक की सरकारे सिर्फ और सिर्फ बाते ही कर रही है . 

कश्मीर की समस्या कश्मीरियों  की नहीं है कश्मीर की समस्या हिन्दुस्तानियों की है . और उसका फैसला सब हिन्दुस्तानियों को ही मिल बैठ कर करना चाहिए . अलगाववादियों से सिर्फ गोली ही बात करे तो देश के लिए हितकर होगा . समय समय पर अपने सैनिको और अर्धसैनिको का मनोबल तोडा जाता है . मानवाधिकार के नाम पर देश के रक्षको पर अत्याचार होता है . शांतिकाल{?} में ही हजारो सैनिक शहीद हो गए . जितने सैनिक इस में शहीद हुए है शायद ही किसी युद्ध में हुए हो .

हुर्रियत के चलाने वाले आतंकवादी आज कहते है हम १४ अगस्त को आज़ादी का दिन मनाएंगे और १५ अगस्त को शर्म दिवस . और हमारी सरकारे चुप है . राष्ट्र द्रोह को मूक समर्थन देने वाले भी राष्ट्र द्रोही ही है . अगर कश्मीर को भारत में ही जोड़े रखना है तो इसी १५ अगस्त तक इन देशद्रोहियों को जहनूम में भिजवा देना चाहिए .  .








गुरुवार, अगस्त 05, 2010

खुदा के वास्ते पर्दा ना काबे से उठा जालिम - कहीं ऐसा ना हो यहाँ भी वही काफिर सनम निकले

राम भगवान् राम का बर्थ सार्टिफिकेट चाहिए उन्हें . बहुत चेलेंज हो रहे है मजाके हो रही है . और हम लोग चुप है . हम बर्दाश्त की हद तक खामोश है . क्योकि हम सेकुलर है .................... सेकुलर माने ..............???????????

रोज़ रोज़ हमले सहते सहते मुझे अपने बजूद पर भी शक होने लगा है . मेरी मसे क्यों नहीं भिज रही ,मेरी रीड़ की हड्डी में झनझनाट क्यों नहीं हो रही , क्योकि शायद मैं सेकुलर हूँ ............ सेकुलर माने ..............???????????

देने को तो हर बात का जबाब दे सकता हूँ . पर अंधे के आगे रोय अपनी आँखे ख़ोय ..............

इसलिए आग से मत खेलो पत्थर मत उछालो क्योकि जब पत्थर इधर से फिका तो मुश्किल होगी .

अमन की बात करो चैन की बात करो ,दीन दुनिया की बात करो  . तरक्की की बात करो . अच्छे मुस्तकबिल की बात करो .

चचा ग़ालिब भी कह गए है

खुदा के वास्ते पर्दा  ना  काबे  से  उठा  जालिम 
कहीं ऐसा ना हो यहाँ भी वही काफिर सनम निकले 
.
.
.
.