गुरुवार, जनवरी 05, 2012

बिना शीर्षक

मेरी एक तमन्ना थी की भाजपा ख़त्म हो जाए लेकिन इस तरह यह तो कभी सोचा ना था . भाजपा का पतन तो उसी समय शुरू हो चुका था जब बंगारू लक्ष्मण को वोटो की खातिर अध्यक्ष बनाया गया उसके बाद राजनाथ सिंह ने ढेर किया और ताबूत में आंखिरी कील ठोकने के लिए गडकरी है ही . 

वर्तमान में उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव में जो हो रहा है वह भाजपा के अंतिम संस्कार की तैयारी ही लगती है . सत्ता को पाने के लिए पहले से ही नाले में बदल गई यह गंगा<?> अब भी नाले और सीवर को आत्मसात कर रही है . धरातल विहीन नेता जो  भाजपा की ह्त्या करने में शामिल है आज भी बेशर्मी से बक बक कर रहे है . आज श्यामाप्रशाद मुखर्जी ,दीनदयाल उपाध्याय ,सुन्दर सिंह भंडारी ,कुशाभाऊ ठाकरे की आत्माए सिर्फ एक ही बात सोच  रही होगी की उन्होंने एसा क्या अनजान पाप किया जो उनकी मेहनत इस तरह बर्बाद हो गई . 

भाजपा की जहां जहां सरकारे रही है वह भ्रष्ट शासन  के नए नए रिकार्ड बना गई एक आध अपवाद हो सकता है . कलपना करते पर डर लगता है अगर कही यह ६० साल शासन कर लेते देश में तो भारत का नामोनिशान मिटा देते . 

यह लेख एक  दर्द है जो सही आकार नहीं ले पाया