नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये
ना ना करते हुए भी २००९ में १०० पोस्ट पूरी हो गयी दरबार की . यह कोई उपलब्धि तो नहीं लेकिन मेरी निरंतरता है . क्योकि मुझ पर ठप्पा लगा है कोई काम मैं लग कर नहीं कर सकता . बहुत से सपने मेरे पिता ने मेरे लिए देखे होंगे लेकिन मैं भी समझता हूँ आज तक मैं खरा उतरा नहीं . साल दर साल हर नए साल पर प्रतिज्ञा करता हूँ कसम खाता हूँ . लेकिन आज तक पहले हफ्ते में ही सारी कसमे खा जाता हूँ और प्रतिज्ञा तो याद भी नहीं रहती .
अबकी भी कुछ सोचा है २०१० के लिए . शायद पहले कि तरह वह ना हो जो आज तक हुआ . आमीन
खैर २०१० की ३१ दिसम्बर को मैं स्वयम विश्लेषण करूंगा और आपको भी बताउंगा . अभी से क्या बताये क्या हमारे दिल में है .
आखिर में एक प्रार्थना २००९ से -
हे २००९ तुम जाते जाते महंगाई ,आतंक को भी अपने साथ ले जाओ .