सोमवार, अक्तूबर 26, 2009

खर्चा उठाने को तैयार हो तो विजेता घोषित किया जायेगा ब्लॉग श्री , ब्लॉग भूषण ,ब्लॉग विभूषण और ब्लॉग रत्न

ब्लागर बनते हो इलाहाबाद से बुलावा आया नहीं और हमें कह रहे हो ब्लॉग लिखता हूँ . भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारा ब्लॉग . पता चल गई अपनी औकात खाली टाइम खोटी करते हो . ऐसी कुछ आवाज़ कई लोगो के अंदर से निकल रही होगी शायद .

अब ब्लोगरो में दो खेमे है एक जो इलाहाबाद से बुलावा पाए और दूसरे वह जो ठुकराए . वैसे सब को बुलावा आ भी जाता तो उतने ही जाते जितने वहां पहुचे . बाकी तो सिर्फ मुँह गलत ही फुलाए बैठे है .

मैने तो ऐसी अंतर राष्ट्रीय समारोह सुने है जिसमे आयोजको के आलावा लोग ही नहीं पहुचते . लोग घर बैठे ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल छाप देते है . यह विद्या सरकारी विश्वविध्यालय के लोगो को बहुत अच्छी तरह से आती है .

कोई बात नहीं अब हम  लोग एक पुरस्कार  समारोह रखेंगे जिसमे ब्लॉग श्री , ब्लॉग भूषण ,ब्लॉग विभूषण और ब्लॉग रत्न बाटे जायंगे . पुरस्कार विजेताओ को खर्च उठाना पड़ेगा और पुरस्कार वितरण के लिए एक नामी हस्ती जैसे पूर्व राज्यपाल , लेखक या आलोचक कि व्यवस्था भी विजेताओ को खुद ही करनी पड़ेगी .

यदि मेरा विचार सही लगे तो अपने सुझाव आपस में बाटे .

शुक्रवार, अक्तूबर 16, 2009

हिन्दू खोजन मैं गया हिन्दू ना मिलाया कोय जब हिन्दू ना मिला तो हिंदुत्व कहाँ से होय

हिन्दू ! हिन्दू ! हिन्दू !. हिन्दू कमजोर है ! हिंदुत्व खतरे में !. लेकिन अब हिन्दू कहाँ है . हिन्दू थोड़े दिनों में अजायबघर कि किसी अलमारी में धूल खाता दिखेगा . मैने हिन्दू को खोजने कि कोशिश की मुझे तो नहीं मिला शायद आपको कहीं हिन्दू मिले तो सूचना दे .

मेरी एक खोज हिन्दू के लिए शुरू हुई मुझे ब्राह्मण .क्षत्रिय ,वैश्य ,जाट, यादव ,गुजर्र ,जाटव ,बाल्मीकि ,धोबी ,नाई, आदि आदि तो मिले लेकिन हिन्दू ना मिले . जब हिन्दू को और खोजा तो इन के भी टुकड़े मिले कोई साढ़े सात घर का कोई बारह घर का . ,कोई सूर्यवंशी ,चन्द्र वंशी , कोई खमरिया कोई घोसी लेकिन हिन्दू नहीं मिला .

 एक किस्सा बहुत याद आ रहा है एक ब्राह्मण और पठान में दोस्ती थी पठान बोला यार पंडित तुम तो रोज़ दावत छकते हो कभी हमें भी ले चलो . पंडित जी बोले मौका लगने दो . एक कथा कि दावत में ब्रह्म भोज का न्योता आया . पंडित जी ने पठान को धोती पहनाई ,तिलक लगाया ,जनेऊ पहनाया और समझाया कोई पुछे कौन बामन हो तो कहना गौर . दोनों खुश  होकर चल दिए . पंगत में बैठ गए तभी पड़ोस के दूसरे ब्राह्मण पठान से बोले पंडित जी कौन से गाँव से आये है उसने तुंरत बता दिया .फिर पूछा कौन ब्राह्मण है पठान बोला गौर . दूसरे ब्राह्मण ने फिर सवाल किया कौन से गौर . पठान एक साथ बोल उठा या खुदा गौर में भी कोई और

यह किस्सा हिन्दुओ और हिंदुत्व को आइना दिखाने को काफी लगता है .

हिंदुत्व एक वट वृक्ष है और जातियाँ उसकी शाखाएँ और उपजातियां शाखाओ के पत्ते . आज हम वृक्ष को पानी ना लगा कर उसके पत्तो को पानी दे रहे है और थोडा बहुत शाखाओ को लेकिन पेड़ कि जड़ को कोई पानी नहीं दे रहा इसलिए पेड़ कमजोर हो रहा है . और कमजोर पेड़ पर दीमक लग रही है . 


अगर हम अभी भी ना चेते तो अपनी अपनी शाखाएँ[टहनियां ] लिए घूमेंगे . और हिंदुत्व रूपी पेड़ की लकडी चिता जलाने के काम तो आएगी . ............

 सोचे ...............विचारे ...............फिर मुझे  जो घोषित करना हो करे .

हिन्दू खोजन मैं गया हिन्दू ना मिलाया कोय
जब हिन्दू ना मिला तो हिंदुत्व कहाँ से  होय



बुधवार, अक्तूबर 14, 2009

चिपलूनकर जी सिर्फ एक बात कि हिंदुत्व का ठेका संघ , भाजपा या शिवसेना का नहीं है

चिपलूनकर जी जब मैं चल नहीं पाता था तब पिता की गोद में संघ की शाखा जाता था . जब बोलना सिखा तो पहले कुछ स्पष्ट शब्दों में नमस्ते सदा वत्सले मातृ भूमे था . जब दूसरी कक्षा में था तब पहला शिविर में गया . सायं शाखा का मुख्य शिक्षक था .  आई टी सी ,ओ टी सी किया . सरस्वती शिशु मंदिर और विद्या मन्दिर में पढाई की .

आपको व पढने वालो को लग रहा होगा मैं यह सब लिख  कर क्या कहना चाहता हूँ . सिर्फ एक बात कि हिंदुत्व का ठेका संघ , भाजपा या शिवसेना का नहीं है . और हिंदुत्व पर कोई विपदा भी नहीं है . आज आपका लेख राज ठाकरे कि चर्चा में हिंदुत्व को घसीटा जाना कुछ अच्छा नहीं लगा .

जब तक हिंदुत्व इन तथाकथित पालनहारों से दूर नहीं हटेगा तब तक साम्प्रदायिक ही कहलायेगा . आज तक किसी हिंदुत्व के पुरोधा को यह कहते नहीं सुना जब तक राम लला का मन्दिर नहीं बनेगा तब तक वह भी टेंट में रहेगा . राम लला को बेघर कर सिर्फ इलेक्शन में ही उनकी कुटिया का ध्यान आता है .

चिपलूनकर जी अगर हिन्दू और मुस्लिम पर आधारित राजनीती चलती होती तो हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग के आलावा कोई नहीं होता सत्ता में .

हिंदुत्व कि उलटी माला जपते जपते भाजपा कहाँ पहुच गई है यह किसी से नहीं छुपा है . शायद २२ तारीख को आसूं पुछे लेकिन आपका लेख घोषित कर रहा है कि मुंबई का सपना सपना ही रह जाएगा .

मंगलवार, अक्तूबर 13, 2009

राष्ट्रीय समाचार पत्र का उदघाटन और कोकटेल पार्टी

दो चार दिन पहले हमारे शहर से एक राष्ट्रीय समाचार पत्र प्रकाशित होना शुरू हुआ . उससे एक फायदा हमें हुआ कि हमारे पुराने छपने वाले अखवारो की कीमत आधी रह गई . हमारे खर्चो में कटौती हो गई . अभी तक का फायदा आम पाठक को हुआ है कल यह अखवार वाले फिर मिल गए तो हमें फिर दुगना देना पड़ेगा . पर जब तक मौज ले ही रहे है .

यह तो हुआ हम जैसो को . औए फायदा तो उन लोगो को हुआ जो उस राष्ट्रीय अखवार के उद्घाटन से पहले कोकटेल पार्टियों में शामिल हुए . बढ़िया शराब बढ़िया मुर्गा बढ़िया डी. जे . . पार्टी में शराब बह रही थी हाकर से लेकर पार्टी में शामिल बिन बुलाये रिक्शे वाले , सड़क छाप प्रशंसक भी शराब का आनन्द लेते हुए इतने मस्त हो गए की डी जे फ्लोर पर ही लोट गए और कुछ लोग इतने धर्मात्मा थे जो पिया वही फ्लोर पर ही निकाल दिया .

ख़ैर उनकी लीला वह जाने अपने बाप का क्या जाता है . अपने को तो एक की कीमत में दो अखवार पढने को मिल रहे है . और एक बात और जितने का अखबार उतने की तो रद्दी हो जाती है . क्यों क्योकि अब अखबार सम्पादक या संम्वादाता नहीं निकालते महा प्रवन्धक और विज्ञापन मनेजर निकालते है .

सोमवार, अक्तूबर 12, 2009

"जो आदमी सम्पूर्ण सल्तनत को आग लगाने की क्षमता रखता था , आज अग्नि ने उसे ग्रास बना लिया "

"जो आदमी सम्पूर्ण सल्तनत को आग लगाने की क्षमता रखता था , आज अग्नि ने उसे ग्रास बना लिया "  यह कहा था नीलम संजीव रेड्डी ने राम मनोहर लोहिया के दाह संस्कार के समय . आज ही के दिन १९६७ को समाजवादी चिंतक लोहिया जी का निधन हुआ था .

राम मनोहर लोहिया जिन्होंने इंग्लेंड की पढाई इसलिए छोड़ दी उनेह उस देश की शिक्षा रास नहीं जिसने उनके देश को गुलाम बना रखा था . बाद में बर्लिन से अपनी पढाई पूरी की . अध्ययन  के दौरान जेनेवा में हुए लीग ऑफ़ नेशंस की कान्स्फ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे बीकानेर के महाराज जो अंग्रेजो ए गुणगान कर रहे थे सीटी बजकर उनका प्रतिरोध किया . यह अहिंसक प्रतिरोध लोहिया को मशहूर कर गया .

१९३६ में कांग्रेस के मंत्री की हैसियत से विदेश मंत्री का दायित्व बखूबी निर्व्हान किया . भारत की भावी विदेश निति पर लिखी पुस्तक आजाद भारत के स्वतंत्र गुट निरपेक्ष नीति की बुनियाद मानी जा सकती है .

समाजवादी नेता लोहिया ने संसद में गरीबो की वकालत की . इसके लिए उनका संसद में दिया भाषण में कहा देश के ३० करोड़ लोग रोजाना तीन आने रोज़ पर गुज़ारा करते है प्रधानमन्त्री के कुत्ते पर आठ रुपए रोज़ खर्च होते है .

ऐसे राम मनोहर लोहिया को भी हम भुला बैठे . और उनके समाजवाद का झंडा उठाने वाले आज के लोग  समाजवाद की परिभाषा भी नहीं जानते .

{यह लेख आज अखवार में श्री मोहन सिंह द्वारा लिखा पढ़ कर लिखा }

रविवार, अक्तूबर 11, 2009

जयप्रकाश नारायण - सम्पूर्ण क्रांति का जनक जो भुला दिया गया




जयप्रकाश जन्मजात  योद्धा है , उसने अपने देश की मुक्ति के लिए सबकुछ का त्याग किया है । परिश्रम और प्रयत्न करने से वह कभी चूकता नहीं । कष्ट  और यातना सहने की उसकी क्षमता का कोई जवाब नहीं ।

                                                                 - महात्मा गांधी


आज समाजवादी जन परिषद् पर जे . पी के बारे में गाँधी जी के यह विचार पढ़ कर जे . पी . और महात्मा के बीच समानताये कौंधने लगी . महात्मा और जे . पी . ने आज़ादी के लिए निस्वार्थ भाव से संघर्ष किया . बापू तो आज़ादी दिलाने के दो ढाई साल के भीतर दुनिया छोड़ गए . भारत आजाद तो हुआ स्वराज्य कुछ परिवारों का मिला .  बापू का सपना उनके सामने ही टूट गया लेकिन बापू के चेलो ने उनेह पत्थर  और कागजो में तो उकेर ही दिया , इसलिए आज तक बापू की स्मृति है दिमागों में .

बापू की अधूरी आज़ादी जब तानाशाही में बदल गई तभी आज़ादी के योद्धा सर्वोदय नेता  जय प्रकाश नारायण ने १९७४ में गुजरात के नव निर्माण आन्दोलन में युवा और छात्रों के हाथो परिवर्तन की कमान देकर सम्पूर्ण क्रान्ति का बिगुल फूका. जो ६ मार्च १९७५ को जनसंघ के दिल्ली अधिवेशन में आकर सभी लोगो को साथ लेकर चलने का इसदा जताया . और नारा लगा सिंहआसन खाली करो की जनता आती है .

आपातकाल लागु हुआ जे पी का आन्दोलन तेज़ हुआ और सत्ता परिवर्तन के साथ जे पी के चेलो ने सत्ता सम्हाल ली . और जे पी को भूल गए . कितना दुर्भाग्य है जे पी के जिन्दा रहते हुए संसद में जे पी को श्रधान्जली दे दी गई .

गाँधी को तो उनके चेलो ने बुतों में ढलवा दिया लेकिन जे पी के चेलो ने उनेह गुमनामी में चुनवा दिया . जो जे पी भ्रष्टाचार के विरूद्व क्रांति कर बैठे आज उनके कई शिष्य भ्रष्टाचार के आइकोन बन चुके है .

आज उन्ही जय प्रकाश नारायण की जयंती है . हो सके तो उनकी भारत के प्रति बलिदानों को याद किया ही जा सकता है .

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शुक्रवार, अक्तूबर 09, 2009

लंगोट ,चूहा ,बिल्ली ,गाय ,बाई जी और गुरु चेला

एक पहुचे हुए माहत्मा थे . अपने आश्रम में रहते थे एक बार उनेह तीर्थ यात्रा की सूझी उन्होंने अपने एक चेले को  आश्रम की जिम्मेदारी सौप कर चले गए . चेला आश्रम की साफ़ सफाई में व्यस्त रहा लेकिन एक बात बहुत परेशान करती थी उसका लंगोट एक चूहा काट देता था रोज़ . लोगो की सलाह पर एक बिल्ली पाल ली .

चूहे से तो निजात मिल गई लेकिन बिल्ली बेचारी भूखी रह जाती थी . लोगो की सलाह मिली एक गाय लेलो बेचारी बिल्ली पल जायेगी . गाय आ गई दूध की नदियाँ बहने लगी . अब दूध की चिंता होने लगी . सलाह देने वाले फिर आगे आये . सलाह मिली एक बाई जी ले आओ . बाई जी आ गई दूध का निस्तारण होने लगा . लेकिन बाई जी चेले को भाने लगी . समय के साथ साथ बाई  जी चेले के बच्चो की माँ बन गयी .

उसी समय महात्मा लौट के आये और चेले से पूछा यह सब कैसे हुआ चेला बोला गुरूजी सब लंगोटी का चक्कर है  और क्या

ऐसे ही बात कहां से कहां पहुच जाती है . और आज भी ऐसा ही हो रहा है . बात भी कहाँ से कहाँ तक पहुच रही है .

- वाह भाई वाह

मंगलवार, अक्तूबर 06, 2009

मेरा ब्लॉग न हुआ कूड़ा घर हो गया हो उन्होंने चेलेंज के साथ १३ बार मेरे ब्लॉग पर गंदगी फैलाई

मेरा ब्लॉग न हुआ कूड़ा घर  हो गया या मोहम्मद उमर कैरान्वी को गंदगी फैलाने का इतना शौक हो गया उन्होंने चेलेंज के साथ १३ बार मेरे ब्लॉग पर गंदगी फैलाई यह कह कर -
                
                            Mohammed Umar Kairanvi ने कहा…

13 कमेंटस के बाद आया मैं, 13 को पैदा हुआ, सुना है 13 का अंक बहुत अशुभ होता, मैं 13 को जन्‍म लिया, जिस कुप्रचारी के ब्लाग पर नजर डाली उसके शुभ दिन गये, आज मैं तुझे 13 बार यह कमेंटस दूंगा, अगर तुमने मेरे कमेंटस डिलिट किया तो इतना पेट भर दूंगा कमेंटस से कि सारे कुप्रचारियों को बुला लेना सफाई करने लिये जब भी स्‍वच्‍छ नहीं होपायेगा तेरा दरबार, इन्‍शाअल्‍लाह (अगर अल्‍लाह ने चाहा तो)

signature:
विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा? हैं या यह big Game against Islam है?
antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)

6 अल्‍लाह के चैलेंजसहित अनेक इस्‍लामिक पुस्‍तकें
islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog) 




इसको मैं क्या समझू ? मेरी समझ में नहीं आ रहा ऐसा क्या लिखा मैने जो जनाब अपने पैजामे से बाहर आ गए . मैने आज तक न किसी से अपशब्द कहा न ही लिखा . लेकिन एक बात बताना भूल गया मेरा शहर एक बात में और प्रसिद्ध है वह है गाली देने में . हमारे मुहं से गालियाँ स्वतः ही निकलती बिना किसी विचार के . फिर भी मैं सयिमित  हूँ . 


सच में मोहम्मद उमर ने मुझे सोचने पे मजबूर कर दिया मैने जो लिखा था पिछली पोस्ट में वह गलत थी या सही . मैं आज तक इन विवादों में नहीं पड़ा . न ही मेरी ऐसी कोई मंशा है और न ही मेरी सभ्यता है और न ही मेरे खून में यह सब गंदगी . लेकिन मो .उमर की यह टिप्पणी तो ना काबिले बर्दाश्त है . 


Mohammed Umar Kairanvi ने कहा…




मैं ऐसा क्‍या नहीं करता, लेकिन कल तुमने जूतों से साबित करना चाहा था कि केवल हिन्‍दुओं के प्रतीक चिन्‍हों के जूते आ रहे हैं, जब तुम्‍हें बताया कि मुस्लिम के भी आ रहे हैं तो तुमने डिलिट कर दिया था, उससे मैं समझ गया तुम धार्मिक नहीं कुप्रचारी हो, और कुप्रचारियों के लिये मेरा नाम अनजाना नहीं रहना चाहिये, कमेंटस गिन लो 13 हैं कि नहीं या 130 चा‍हते हो डिलिट कर देना,
13 कमेंटस मुझसे पहले 13 उनके बाद, अब आशा करो कि 13 तुम्‍हें कमेंटस करने वाले इनके बाद मिल जायें,
सांकल लगालो मुफत का मशवरा है

सोमवार, अक्तूबर 05, 2009

मेरा धर्म महान और तुम्हारा धर्म शैतान

मैं महान 


मेरा धर्म महान 


मेरा भगवान् महान 


और 


तुम शैतान 


तुम्हारा धर्म शैतान 


तुम्हारा भगवान् शैतान 


ऐसा ही कुछ हो रहा है आजकल . कुछ ब्लोगर कसम खाए बैठे है सब कुछ छोड़ कर धर्म का अनाचार  ,भावनाओ का बलात्कार कर रहे है . और हम लोग जाने अनजाने खेमो में बट रहे है . बस बहुत हुआ अभी बहुत जिन्दा है हिन्दू मुस्लिमो में जहर घोलने वाले समाज में . हम क्यों पाप के भागी बन रहे है .

बोलने और लिखने की आज़ादी का दुरूपयोग हो रहा है . आइये इसकी भर्त्सना करे हो सके तो इन महानुभावो का सामाजिक वहिष्कार करे .

शनिवार, अक्तूबर 03, 2009

मनेका गाँधी के संसदीय जिले में बकरा देता है दूध

पशु प्रेम के लिए विख्यात मनेका गाँधी के संसदीय क्षेत्र के जिले में  बकरे ने इतना अपार स्नेह पा कर दूध देना शुरू कर दिया . यह मज़ाक नहीं सत्य है .


 प्राप्त जानकारियों के अनुसार ग्राम चन्दऊ के रेवती राम का बकरा एक बार में २५० ग्राम तक दूध देता है . और जांच कराने पर दूध की क्वालिटी भी ठीक निकली है .और खास बात बकरे की प्रजनन शक्ति भी काफी अच्छी है . 


ख़ैर इस क्या कहेंगे  यह आप ही जाने . 







शुक्रवार, अक्तूबर 02, 2009

गाँधी जयंती पर एक और सत्याग्रह - चीन उत्पादित वस्तुओ का बहिष्कार

आज से ही हमें एक सत्याग्रह करना है वह है चीन की बनी वस्तुओ का वहिष्कार . जहाँ तक हो सके कोशिश करे की चीन उत्पादित वस्तुओ का प्रयोग न करे . यही नहीं सरकार को भी रोक लगानी चाहिए आयात पर क्योकि चीन का मुकाबला हम इसी हथियार से कर सकते है .

चीन की शैतानी चाले आज कश्मीर के हिन्दुस्तानियों  को अलग पहचान दे रही है . अरुणाचल पर कब्जे की कोशिश हो रही है . और हम किस डर से अपनी बात नहीं रख पा रहे है समझ नहीं आ रहा .

साम्यवादी चीन अब पूरी तरह से व्यापारिक चीन है और हम एक बहुत बड़ा बाज़ार . यह सत्य है की व्यापारी कितना भी बड़ा हो ग्राहक को नाराज़ नहीं कर सकता .

 इस तथाकथित ड्रेगन के प्राण इसके उन हथियारों में नहीं जो इसने कल दिखाए  . इसके प्राण है उसकी अर्थव्यवस्था में जो हम आसानी से संकट में डाल सकते है . और उसका फायदा हमें उठाना ही चाहिए आज गाँधी जयंती पर संकल्प ले की चीन उत्पादित वस्तुओ का प्रयोग न करे .

गुरुवार, अक्तूबर 01, 2009

२ अक्टूबर - आज का नंगा सच

 हेलो बापू
कैसे है आप ? आप की कृपा से हम लोग तो बहुत मौज से है । आपका जन्मदिन आ ही गया समझो ,कल  है । बहुत बिजी हूँ आपके जन्मदिन पर होने वाली छुट्टी को कैसे सेलिव्रेट करू यह सोअच कर । आपके जन्मदिन पर होने वाली पूरी छुट्टी यह बताती है की आपने जरुर कुछ अच्छे से काम किये होंगे । काश ऐसे आप जैसे ४ या ५ लोग और हो जाते तो छुट्टी और मिलती ।
बापू एक बात समझ में नहीं आती उस दिन ड्राई डे क्यों होता है ,बहुत परेशानी होती है । पहले से ही इंतजाम करना पड़ता है पिछले साल बहुत परेशानी हुई थी ।
यह है मन की बात जो अधिकांश लोगो के मन में उमड़ रही होगी । यह सच है की अगर सार्वजानिक अवकाश न हो तो २ अक्टूबर का इंतजार कोई न करे । आखिर अभी कल या परसों हम लोग शहीद भगत सिंह का जन्मदिन याद नहीं रहा क्यिंकि उस दिन छुट्टी नहीं होती।
यह सच है नंगा सच और सच के सिवा कुछ नहीं । हम भूल चुके है बापू को .लाल बहादुर शास्त्री को , और इसके जिम्मेदार हम खुद है ।
कहा जाता है  अपने बुजर्गो को भूलने वाली कौमे बहुत जल्दी भुला दी जाती है