बुधवार, फ़रवरी 25, 2009

५ करोड़ - कहाँ से लाये फिरोती देने को

5 karor / you your family murder very soon ।
५ करोड़ सिर्फ़ इतनी ही फिरोती मांगी है हमसे । आज एक पत्र डाक से आया उस पर लिखा है यह सब । बरेली के वरिष्ट पुलिस अधिकारी को यह पत्र दे दिया गया है । उचित कार्यवाही के लिए ।

अगर यह सब सच है तो ५ करोड़ तो बिक कर भी पूरे नही कर पाएंगे हम । तो आगे अगर सच हुआ मैं मेरा परिवार कत्ल कर ही दिया जायेगा यानी सब खत्म ।

कुछ भी हो सकता है हम भी हर स्थिति को तैयार बैठे है । पता नही कब यह दरवार सिमट जाए लेकिन

जाको राखे साईया मार सके न कोई
बाल न बाका कर सके चाहे जग बैरी सो होय

सोमवार, फ़रवरी 23, 2009

ब्लोगर परिवार से आशीर्वाद की उम्मीद मे

कई दिन ऊहापोह ,आलस के बाद कीबोर्ड पर ऊँगली थिरकने लगी बिना विषय लिखने के लिए । इस जाते हुए महीने मे विषय के आभाव मे बहुत कम लिख पाया ।पारिवारिक व्यस्तता या कहू जिम्मेदारी का निर्वाहन समय बहुत तेज़ी से दौड़ता हुआ दिख रहा है । अभी बेटी को हास्टल भेजने की वयस्तता

और एक और बात जो मे अपने अद्रश्य बलोगर परिबार से बाटना चाहता हूँ । मेने एक व्यापार शुरू कर किया आप सब का आशीर्वाद चाहता हूँ । मैंने एक कोल्ड स्टोर लिया है जिसका विधिवत शुभारम्भ हुआ है । किसान हूँ किसानो से सम्बन्भित ही उद्योग लगाने की इच्छा थी जो पूरी हो गई है । कोशिश है किसानो को उधोगपतिओं के शोषण से मुक्ति कुछ हद तक तो मिल सके । वैसे मै शोषित से शोषक तक की भूमिका मे हूँ । प्रयास है शोषक को मिटा कर शोषित को सम्मान दे सकू जिससे कुछ तो मानव होने का धर्म निर्वाह कर सकू ।

मंगलवार, फ़रवरी 17, 2009

'sister i am not home sick '

एक कशमकश से जूझ रहा हूँ मैं या कहू मेरा परिवार । मेरी एक ही बेटी है जो लाड प्यार मे पल रही है दुनिया की तमाम ख्वाय्हिश पूरी की जाती रही है लेकिन लिमिट मे । उसकी नई जिद है बोर्डिंग स्कूल मे पढने की ,वह अभी क्लास सिक्स मे पढ़ रही है । वह अपने लिए स्कूल भी चुन चुकी है सैंट मेरीज नैनीताल ।

ना जाने कौन सी ताकत उसे प्रेरित कर रही है । अभी पिछले हफ्ते ही टेस्ट के लिए नैनीताल गए । वहां उसने टेस्ट पास किया और प्रिंसिपल ने जब इंटरव्यू लिया तो उसने कहा 'sister i am not home sick ' यह एक लाइन प्रिंसिपल सहित हम को चौका गई । खैर उसका एडमिशन हो गया हम भी मजबूर है अपने एकलौते बच्ची की लग्न देख कर । वहां जाने के लिए उसके आर्गुमेंट भी अकाट्य है कहती है अगर भगवान राम गुरु के आश्रम मे पढने नही जाते तो वह महान नही होते ।

इसे क्या कहे ? हां एक बात वह अभी से किसी नारीवादी से ज्यादा कट्टर सोच रखती है ।

हमने भी ना चाहते हुए हथियार डाल दिए है उसकी इच्छा को पूरा करने के लिए अपने लोगो के ताने कि एक ही बच्चा है और उसे भी दूर भेज रहे हो ,को झेलते हुए सीने पर पत्थर रख ही लिया है । आगे प्रभु इच्छा

शनिवार, फ़रवरी 14, 2009

वेलेंटाइन मनाने वालो बाल दिवस जरुर मानना

वेलेंटाइन मनाने वालो

गुलाबी चड्डी बटवाने वालो

कसम तुम्हे है ऐसा जरुर कर जाना

बाल दिवस हकीकत मे तुम बनाना

उस समय हम भी गांधीगिरी दिखायेंगे

तुम सब को डायपर जरुर बटवाएंगे

मंगलवार, फ़रवरी 10, 2009

अरे भाई इलेक्शन जो आ रहे है

कब्र मे गडे मुद्दे निकाले जा रहे है

अरे भाई इलेक्शन जो आ रहे है

राम को झाड़ पोछकर चमका रहे है

गाँधी ,नेहरू, इन्द्रा पर जमी धूल छुटारहे है

नए वादे निभाने की कसम खा रहे है

दुश्मन को दोस्त और भाई बता रहे है

सत्ता पाने के लिए समझोते करा रहे है

जनता को बेबकूफ बनाने की जुगत भिड़ा रहे है

अब तो समझो भाई इलेक्शन जो आ रहे है

शुक्रवार, फ़रवरी 06, 2009

लोकतंत्र मे राजनीति उचित या जननीति ?

लोकतंत्र मे राजनीति शब्द एक विरोधाभास नही लगता आप को । राजनीति की जगह लोकनीति या जननीति बनती या होती तो यह दुर्दशा नही होती अपने भारत की । लेकिन सामन्तवादी या कहे राजशाही से प्रेरित तत्कालीन हुक्कमरानो ने राजनीति को अपनाया । उस नीति को जो येन केन प्रकारेण सत्ता के सुख भोगने के लिए किसी भी कीमत पर राज तक पहुचाये ।

आम आदमी के लिए आज तक पहेली ही है यह राजनीति । कितनी लुभावनी कितनी हमदर्द हकीकत एकदम उलट ,एक मायाजाल है जो सुनहरे सपने दिखा कर पूरे ५ साल तक तडपाती है और इस आस मे अब धोखा नही दूंगी अगले ५ सालो के लिए तडपता छोड़ जाती है ।

बेचारा आम आदमी परिवर्तन के लिए चुनता है अपने जैसा एक आम आदमी लेकिन राजनीति जब उसे ख़ास का अहसास कराती है तो वह आम आदमी सत्ता के हरम खो जाता है और चुनने वाला बेचारा आम आदमी अपनी किस्मत को कोसता हुआ फ़िर राजनीति के चंगुल मे न फसने का इरादा करता हुआ राजनीति की मोहनी रूप मे फ़िर से फस जाता है ।

यदि जननीति या लोकनीति होती तो शायद आम से खास बनने वाला भी दो बार सोचता चलो उनको भी सुख दे जिन्होंने हमें अपने सेवा के लिए नियुक्त किया है । आएये सोचे एक ऐसी जननीति की जो लोकतंत्र मे लोक के हित के लिए हो न कि उनके तथाकथित सेवको के लिए जो जाति,धर्म की आड़ लेकर राज स्थापित करते सत्ता का सुख भोगते है ।

गुरुवार, फ़रवरी 05, 2009

विषय की खोज

आज मैं शिकार पर निकला हूँ पूरी तैय्यारी के साथ कागज कलम ले कर पूरी मुस्तैदी से । आज मुझे तलाश है एक अच्छे विषय की जो सच मे अच्छा हो लोगो के समझ मे आए ।

सड़क पर अट्टालिकाये लुभा रही है महलनुमा मकान आकर्षित कर रहा है उस पर लिखू कैसे सेठ की कार पहली मंजिल पर पहुच जाती है

या कल तक पंचर जोड़ने वाला आज का करोड़पति विधायक सांसद बनने के लिए अभी से लाखो रुपया बहा रहा है

या कल पुलिस को देख कार भागने वाला आज पुलिस के गनर के सुरक्षा मे अपनी पेजरो मे बैठ सायरन बजाता जा रहा हो ।

या दो अधनंगे बच्चे कूडे के ढेर मे कुछ तलाश रहे है हर पन्नी को अपने कब्जे की होड़ मे हाथापाई की नौबत तक तेजी दिखा रहे है एक बचा हुआ बिस्कुट के पैकेट को देख कर उनके चेहरे पर आई मुस्कान पर

विषय की खोज अभी तक पूरी नही हो पाई है आतंक ,पब ,गाँधी ,कल्याण मुलायम ,पहेलिओं के बीच अपने खोने के डर से मे भाग रहा हूँ विषय की खोज मे लेकिन गरीबी ,भूख ,सूखा, अकाल को विषय बनाना नही चाहता क्योंकि जब जब यह विषय बना तब तब पढ़ा नही गया और जब पढ़ा नही गया तब क्रान्ति का कारण बना ।

सोमवार, फ़रवरी 02, 2009

अभी उनके लिए वक्त नही हमपे

गम अब ग़मगीन नही करते

उनसे रिश्ता ही जोड़ लिया हमने

अपने अब धोखा
दे नही सकते

जब से रिश्ता तोड़ लिया हमने




बहुत दिनों तक आस मे रहे उनके

अब ख़ुद उड़ना सीख लिया हमने


किसी दिन उनको भी दिखा देंगे

आइना महफूज रख लिया हमने

वक्त आने पर एक बार मिल लेंगे

अभी उनके लिए वक्त नही हमपे