लेकिन हम गर्म देश के ठन्डे खून वाले हिन्दुओ पर कोई फरक नहीं पड़ता कोई अपनी किताब में लिखे लक्ष्मण की सीता के प्रति कामभावना थी या विवेकानंद गौमांस खाने को कहा था . ऐसी ही कई बेहूदा बाते प्रोफेसर वेंडी डोनिगर ने अपनी किताब 'द हिंदू- ऐन ऑल्टरनेटिव हिस्ट्री' में लिखी हैं।
हम लोग इसका उत्तर भी नहीं दे सकते क्योकि हम मुर्दा कौम है और मानते है एक अमरीकी ने लिखा है तो गलत तो शायद नहीं होगा . अगर यह बाते मोहम्मद साहब या उनके परिवार के बारे में लिखी होती तो अब तक तो वेंडी डोगिनर ताबूत में आराम कर रहे होते .
हम अहिंसक है कमजोर है कायर है लेकिन अपनी कलम से ,अपनी जुबान से तो विरोध कर सकते है . अगर इतनी हिम्मत बची है तो आगे आये . वरना आराम से जिए क्योकि आराम से तो नाली का कीड़ा भी जीता है .
गिडगिडाने से नहीं सुनता यह जहाँ
मुहं भर कर गालियाँ दो पेट भर कर बद्दुआ