आज बसंत पंचमी पर जब मैंने यू ही अपनी लिखी पोस्टो को गिना तो पाया २९९ हो गई . लगभग तीन साल हो गए इस ब्लॉग के आसमां में उड़ते हुए .अनजाने में ही वहा पहुच गया था एक दो दिन देखा तो लगा अपने दिमाग में उठते और मडराते विचारों की सेफ लैंडिग के लिए यह प्लेटफार्म ही सबसे उम्दा है . एक ब्लॉग बनाया नाम रखा दरबार , और ठेलने लगे अपने विचार . लोग आये पढ़ा और टिप्पणी मिली . कुछ भी कह ले नए ब्लॉगर के लिए ओक्सिजन का काम करती है टिप्पणीयाँ .
खैर यह ३०० वी पोस्ट लिखना मेरे लिए तो बहुत बड़ी उपलब्धि है . मैंने कोई काम इतना निरंतरता से नही किया यहाँ तक की राजनीति भी .आज से १२ साल पहले एक सत्ता धारी पार्टी का युवा मोर्चा का जिला अध्यक्ष रहा . सत्ता को अपने हिसाब से चलाया . लेकिन मज़ा नही आया सब छोड़छाड़ बैठ गए घर जबकि राजनैतिक परिवार से हूँ .अब भी एक पार्टी का प्रदेश पदाधिकारी हूँ मंच पर शोभा बढाता हूँ लेकिन ...................... . इसी तरह पारिवारिक चलता हुआ व्यापार जब मेरे हाथ में आया तो वह असमय गति को प्राप्त हो गया . लेकिन ईश्वर का वरदहस्त मेरे साथ हमेशा रहा है .मेरे बारे में यह कहावत सच ही है खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान .
यह सब तो हादसे है लेकिन ब्लॉग लिखना मेरे लिए एक वरदान साबित हुआ .कैसे ....................... ब्लॉग ने मुझे सिखाया निरंतरता के क्या फायदे है . और आज मैं नियमित पाठक हूँ और लेखक भी .लेकिन अभी भी बहुत खामिया है मुझ में , हो सकता है इस जन्म में ही वह दूर हो जाए . ब्लॉग लेखन ने मुझे एक इंडडिपेंडेंट पहचान दी . आज दुनिया के कई कोने में लोग मुझे मेरे कारण से जानते है . अपने परिवार से हटकर भी मेरी एक पहचान है . या कहें मैंने अपने परिवार में एक नया परिवार और जोड़ दिया .
ब्लॉग के कारण ही मैं फिर से अपना व्यापार शुरू कर रहा हूँ . उसी कारण मैं थोड़ा व्यस्त हूँ . समय आभाव है . लेकिन जल्द ही सब स्मूथ हो जाएगा .
आप का आशीर्वाद ऐसे ही मिलता रहे तो एक दिन आपको फक्र होगा कि वह धीरू है जिसे हम जानते है .