रविवार, अगस्त 25, 2013

बीस साल चले अढाई कोस

शनिवार, जून 29, 2013

एक कहानी ..... . भाग 1

यह कमबख्त बारिस कब रुकेगी हमारे जमाने में तो सात साथ दिन पानी बरसता था तब भी इतनी परलय नहीं आती थी अब ना जाने ईस्वर ने किन्हें चारज दे दिया जो दो घड़ी की बारिस मे पूरे चौमासे का पानी उड़ेल देता है ।इतना कहकर बुढी जमुना ने अपने मरद की ओर देखा जो उस समय सीली दियासलाई से बुझी बीडी जलाने की जुगत में था । हाँ हाँ तू कह तो ठीक कह रही है असली कलजुग है अब तो परलय आने ही वाली है ,यह कह गंगादीन फिर से माचिस को रगड़ने लगा ।
कुछ चालीस पचास साल हो गए थे दोनों को व्याहे औलाद कोई हुई नहीं । बेगार कर कर सारी जिन्दगी काट डाली। नए लौंडे तो अब झूठी पत्तल नहीं उठाते गाँव में गंगादीन ही आखिरी मुग़ल था इस काम के लिए । और जमुना अब भी दो चार घरो में बासन कर अपना और गंगादीन का गुजारा कर लेती थी
परधान जी ने सफ़ेद रासन कारड बनवा दिया जो कोटेदार की करपा से महीने दो महीने मे सरकार की और से बटने वाले रासन से खर्चा चल जाता था ।
यह चौमासे शायद उनके लिए आख़िरी होने वाले थे ........... शेष आगे

शुक्रवार, जून 07, 2013

आडवानी और मोदी ...............

मोदी मोदी और सिर्फ मोदी .का गायन हो रहा है नेट पर ,मीडिया पर . नरेन्द्र मोदी की उपलब्धि को अगर निष्पक्ष रूप से देखा जाए तो शुरुआत होगी वहां  से जहाँ मोदी को दिल्ली से भेज कर गुजरात में पैराशूट से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उतार दिया गया था . गुजरात तो एक विकसित राज्य था और मोदी के कुशल नेतृत्व में उसने और तरक्की की . लेकिन मोदी को मोदी बनाने में जो मीडिया मैनेजमेंट की कुशल भूमिका रही उसे नाकारा नहीं जा सकता . यही वह मीडिया मैनेजमेंट है  सनातन से आज तक महान लोगो का निर्माण करता है .
आज उन्ही मोदी समर्थक (?) आडवानी जी को खलनायक बनाने पर तुले पड़े है उस आडवानी को खलनायक बनाया जा रहा है जिन्होंने महान भाजपा जो २ सीटो पर सीमित थी उसमे जान फूंक कर उसे इस स्तर तक उठाया कि केंद्र में सत्ता मिली और आडवानी ने अपने वरिष्ट अटल बिहारी बाजपेयी को प्रधानमंत्री बनवाया .

मोदी को आगे आकर यह ड्रामा बंद करवाना चाहिए . क्योकि  .मुंगेरी लाल के हसीं सपने कभी पूरे नहीं होते 

मंगलवार, मई 28, 2013

धन्यवाद एंड्राइड

धन्यवाद एंड्राइड जो तुमने मुझे अपने ब्लॉग से हमेशा के लिए जुड़वा दिया । समय की आपाधापी ने मुझे लैपटॉप से दूर करदिया ।2013 मेरे ब्लॉग के लिए बहुत बुरा बीत रहा था । लेकिन एंड्राइड ने यह समस्या दूर कर दी है । मेरे टैब में यह सुविधा मिल गई है । मै जब चाहू अपना दरबार खोल सकता हूँ ।
अब अगर मै नियमित न आ सकू तो यह मेरी नालायकी होगी ।

शनिवार, जनवरी 05, 2013

मोमबत्ती तो जल कर बुझ गई 
तनी मुट्ठी तो  अब खुल  गई 
बहुत आग थी दिलो में उस समय 
समय के साथ वह राख हो गई 

दामिनी थी या वह अनामिका 
वह  लड़ी और बहादुरी से मर गई 
अपने पीछे वह छोड़ गई एक सवाल 
 कब तक लड़की  ऐसे ही  मरेगी