मंगलवार, दिसंबर 09, 2014

२०१४ तुम याद रहोगे हमेशा

सन २०१४ अब जाने को ही है।  इस  २०१४ का विश्लेषण करे तो  बहुत उथल पुथल का रहा मेरे लिए। कई बेआवाज़ लाठियों  की चोट सहनी  पडी।  सब कुछ लूट  गया लेकिन अपने परिवार का साथ और शुभचिंतको का आशीर्वाद फिर से एक नए आयाम पर पहुचायेगा ऐसा अटूट विश्वास है।  जब वह दिन नहीं रहे तो यह दिन भी नहीं रहेंगे।  

२०१४ ने बहुत कठिन परिक्षा ली मेरी। पीठ पर लगे खंजर चुपचाप सह गया क्योकि कातिल का नाम अगर लूंगा तो बदनाम भी तो मै  ही हूँगा।  खैर समय जो न कराये वह थोड़ा है।  अपना शहर छोड़ दूसरे शहर में बसे और उस शहर ने हमें स्वीकारा ही नहीं।  लौट के  बुद्धू  घर को आये वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।  

लेकिन ऐसा भी नहीं २०१४ ने मुझे कुछ दिया नहीं।  ऐसा सबक सिखाया कि  दुनियादारी समझ आ गई।  २०१४ में ही एक आपरेशन ने मेरी जिंदगी आसान कर दी।  जिंदगी और मौत का फासला कम हो रहा था पर आपरेशन ने उस फैसले को बड़ा दिया ऐसा डाक्टरों का कहना है।  

खैर जाते हुए साल से कोई शिकवा नहीं और आते हुए साल से यह गुजारिश कि सब शुभ हो सबका भला हो और कैसे भी हो अच्छे दिन जरूर आये।