रविवार, अक्तूबर 19, 2008

जबाब चाहिए - तथाकथित बुद्धिजीविओं से

जबाब चाहिए आप लोगो से जो दिमागी घोडे दोडाते रहते है ?
यदि सज्जन ,ईमानदार, जुझारू लोग राजनीति को अछूत मान कर उससे दूर रहेंगे तो देश का भला कैसे होगा ?

आज के समय में आप जैसे पढ़े लिखे लोग जो देश के हित में सोचते है , उसकी तरक्की करना चाहते है ,और जानते है कि लोक तंत्र में चुने गए प्रतिनिधि ही देश के भाग्य विधाता होते है ,राजनीति पर सब कुछ निर्भर करता है । उसके बाबजूद आप लोग वर्तमान व्यवस्था को गाली तो देते हो लेकिन परिवर्तन करने के लिए कोई कदम नहीं उठाते ।

गंदगी को साफ़ करने के लिए गंदगी में घुसना पड़ता है । तभी गंदगी साफ़ हो सकती है सिर्फ यह कह देने से आप लोग बरी नहीं हो सकते कि बहुत गंदगी है और कोई इस साफ़ नहीं कर रहा ।

ऐ पढ़े लिखे मेरे दोस्तों बहुत हो गया अब यह कहना छोडो कि देश को भगत सिंह की जरुरत है अगर आपको लगता है भगत सिंह होना चाहिए तो अपने को भगत सिंह बनाओ । लोकतंत्र में राजनीति के द्वारा ही व्यवस्था परिवर्तन हो सकता है ,इसलिए उसे अछूत न समझ कर उसका त्याग न करे ।

एक सच याद रखे जुल्म करने से ज्यादा जुल्म सहने वाला दोषी होता है ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. कोयले की कोठरी में अभी जो भी जा रहे हैं , काले ही हो रहे हैं , कालिमा खत्म होने पर ही साफ लोग अंदर जाकर साफ रह सकते हैं।

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  2. sahi kah rahe hai. kahaat hai ki jabatak koyale me hath kale n karo tabatak aap koyale ki dalali nahi kar sakate hai ji.

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  3. क्या कह रहे हो हुजूर? भगत सिंह तो चाहिए पर अपने घर में नहीं.......दूसरे के घर में......

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा