मंगलवार, सितंबर 23, 2008

ऐसा प्रेम ही पूजा जाता है .

राधे -राधे जपे चले आएंगे बिहारी । क्यों ! राधा ही कृष्ण की परम प्रिये है क्यों ! एक कथा



तीनो लोको में राधा की स्तुति हो रही थी , देवर्षि नारद को लगता था वह ही कृष्ण के सच्चे भक्त है और उन से ज्यादा प्रेम कोई नहीं करता। यही पीडा मन में दवाये वह श्री कृष्ण के पास पहुचे वहां देखा प्रभु दर्द से कराह रहे है। नारद ने पूछा भगवन क्या इस वेदना का कोई उपचार नहीं? क्या यह मेरे ह्रदय के रक्त से शांत नहीं हो सकता?



कृष्ण ने उत्तर दिया 'मुझे रक्त की आवश्यकता नहीं यदि मेरा कोई भक्त अपना चरणोदक पिला दे तो यह वेदना शांत हो जायेगी । यदि रुक्मणी अपना चरणोदक पिला दे , तो शायद लाभ हो सकता है ।



नारद ने सोचा भक्त का चरणोदक भगवान् के श्री मुख में । रुक्मणी के पास जाकर पूरा हाल बताया ,सुन kar रुक्मणीजी बोली 'नहीं देवर्षि मैं यह पाप नहीं कर सकती ' नारद ने लौट कर यह भगवान् को सुनायाकबताई। तब कृष्ण ने नारद को राधा के पास भेजा ।



राधा ने जैसे ही बात सुनी तो तुंरत एक पात्र में जल लाकर अपने दोनों पैर डुबो दिए और नारद से बोली 'देवर्षि इसे तुंरत कृष्ण के पास ले जाईए । मैं जानती हूँ कि इससे मुझे नरक मिलेगा ,किन्तु अपने प्रियेतम् के सुख के लिए मैं अनंत युगों बात यातना भोगने को प्रस्तुत हूँ । ' यही सुन कर देवर्षि समझ गए कि तीनो लोकों में राधा के ही प्रेम की स्तुति क्यों हो रही है ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह इसे कहते हे सच्चा प्यार, सच्ची भक्त्ति
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. प्यार महान है, और अभी युगों युगों तक यह परिभाषा बदल नही सकती धीरू सिंह जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. किन्तु अपने प्रियेतम् के सुख के लिए मैं अनंत युगों बात यातना भोगने को प्रस्तुत हूँ
    " great expresion and truth of life"

    Regards

    जवाब देंहटाएं

आप बताये क्या मैने ठीक लिखा