बुधवार, जून 02, 2021

क्या योगी बड़े होकर मोदी बनेंगे ?

क्या योगी बड़े होकर मोदी बनेंगे ?

विचार की गति प्रकाश की गति से तीव्र होती है। और जेट युग मे कुछ ज्यादा ही। 5 साल में एक बार चुनाव होते है और चुनाव जीतते या हारते ही अगले चुनाव का मिशन शुरू हो जाता है। चंद लोग तुरन्त अपने हिसाब से अपने पसंद के नेता की पदोन्नति घोषित कर देते है। 

अभी एक मुहिम चलाई जा रही है मोदी के उत्तराधिकारी की खोज की। जबकि मोदी के प्रधानमंत्री पद का चरम अभी बाकी है। 2019 में 370 हटने के बाद चंद लोगो ने घोषणा कर दी थी 2024 में मोदी राष्ट्रपति और अमित शाह प्रधानमंत्री। उसके बाद परिस्थितियों ने करवट ली अब वही चंद लोग उत्तराधिकारी के रूप में योगी की घोषणा कर रहे है। 

सवाल यह है कि योगी क्या मोदी बन सकते है। मोदी और योगी की एक समानता है कि दोनों पैराशूट मुख्यमंत्री बनाये गए। जब मुख्यमंत्री बने तो उनके नाम पर चुनाव नही हुआ। लेकिन मोदी ने अपने को सिद्ध किया आगे आने वाले विधानसभा चुनावों में अपने बल पर जीत कर। 13 साल के मुख्यमंत्री पद के दौरान ही वह प्रधानमंत्री पद की राह बना सके। 

योगी भी 2017 चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनाये गए। मुख्यमंत्री बनने के तुरन्त बाद हुए लोकसभा उप चुनाव में वह अपनी और उपमुख्यमंत्री की छोड़ी सीट को भी नही जिता सके। उसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में भी 2014 उत्तर प्रदेश में रिपीट नही हो सकी। 

योगी का सवा चार साल का मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल का अगर अवलोकन किया जाए तो योगी की उतनी पकड़ नही साबित हुई जितनी योगी जैसे व्यक्तित्व की होनी चाहिये थी। कभी कभी लगता है कोई रिमोट काम करता है। कोरोना की दूसरी लहर के विकट रूप में आने के बाद योगी की सक्रियता भी उन्हें स्थिर नही कर पा रही है। 

योगी को मोदी बनने में अभी बहुत दूरी पूरी करनी है। योगी व्यक्तिगत रूप से मजबूत है लेकिन पार्टी में उनकी पकड़ संदिग्ध है। मुझे नही लगता 325 विधायको में से 20 % विधायक भी उनके लिये ढाल लेकर खड़े हो सके। 

गुजरात के मोदी काल में मोदी ने अपनी विशिष्ट कार्यशैली से कार्यकर्ताओ , संग़ठन और सत्ता में अपनी विशेष पकड़ बनाई। उनके सिपहसालारो ने उनके मिशन को आगे बढ़ाया। पूरे गुजरात को बाइब्रेनट और विकसित राज्य का मुलम्मा चढ़ाया। और इसके लिये उन्हें 13 साल लगे। विधानसभा चुनाव में लगातार जीत दर्ज की और अपने को मजबूत किया। 

2022 योगी के लिये आरपार वाला साल है। लेकिन जिस प्रकार से उनका रथ शल्य हांक रहे है उससे नही लगता कि उनके लिये राह आसान है । अगर चुनाव से पहले मंत्रिमंडल में कोई परिवर्तन हुआ तो इसका खामियाजा पार्टी को होगा और ठीकरा योगी के सिर फूटेगा। जैसी चर्चा है कि ब्राह्मण उपमुख्यमंत्री को हटा कर उनकी जगह एक भूमिहार नौकरशाह को लाया जा रहा है यह एक कील साबित होगा। 

आगे क्या होगा इसकी कहानी लिखी जा रही हिस्ट्री रिपीट हो रही है । राष्ट्रीय पार्टीयो को एक शौक होता है मुख्यमंत्री को अस्थिर रखना। कल्याण सिंह सरकार जो हर तरह से सक्षम थी उसे केंद्र ने ही अस्थिर कर दिया और पार्टी को लंबे वनवास पर भेज दिया। यही कारण है 2014 के बाद भी गुजरात के अलावा कहीं भी पार्टी अपने बूते पर वापिस नही आई। गुजरात मे भी वापसी पहले से कम सीट लेकर हुई। 

देखते है आगे क्या होता है । गाँव की एक कहावत है निकल गए तो गाड़ीवान नही निकले तो ...........

बाकी जो है सो है।

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