गुरुवार, मई 27, 2021

योग और आयुर्वेद

बाबा रामदेव ने योग के लिये अतुलनीय काम किया है। योग को आसान बनाने के लिये उनका काम सराहनीय है। जन जन तक उन्होंने योग पहुंचाया। उनसे पहले जितने योगाचार्य हुए वह सब योग को सिखाने  से पहले पद्मासन पर बैठने को कहते थे । लोग पद्मासन लगा नही पाते थे और योग सीख नही पाते थे। बाबा ने उसे आसान किया। और लोगों की रुचि योग की तरफ बढ़ी। 

लेकिन बाबा जी योगाचार्य से कब आयुर्वेदाचार्य हो गए यह कमाल है। योग और आयुर्वेद अलग अलग विधाएं है। योग के लिए शिक्षित होना अनिवार्य नही योग की साधना आवश्यक है। लेकिन आयुर्वेद के लिये शिक्षित होना अनिवार्य है। आयुर्वेद एक विज्ञान है। और कोई भी विज्ञान सिर्फ अध्धयन और प्रयोग से ही आता है। आयुर्वेद कोई ऐसी चीज नही जो अनलोम विलोम की तरह करने से ही होगी। 

बाबा जी से मेरा कोई वैमनस्य नही लेकिन जैसे बाबा जी ने योग में पारंगत होने के बाद कर्मवीर को हटा दिया अब लगता है आयुर्वेद सीख कर आचार्य बाल किशन को कही हरी झंडी न दिखा दे। आचार्य बाल किशन आयुर्वेदाचार्य है और उन्हें ही आयुर्वेद पर बोलना चाहिये। 

आयुर्वेद ईश्वरीय विधा है। जिसे भगवान धन्वंतरि ने प्रकृति के लिये दिया। नालंदा विश्वविद्यालय के जलाने के बाद आयुर्वेद को बहुत नुकसान हुआ यह विज्ञान गुप्त हो गया। और अनुसंधान की कमी के कारण शल्य चिकित्सा में यह पिछड़ गया। लेकिन आयुर्वेद कभी लुप्त नही हुआ। देश में गुरुकुल कांगड़ी जैसे कई विश्वविद्यालय आयुर्वेद को पुराना वैभव देने की कोशिश कर रहें है। 

ऐसा नही है कि बाबा रामदेव से पहले आयुर्वेद दोयम दर्जे में था। महर्षि महेश योगी वैद्य राज बृहस्पति देव त्रिगुणा   जैसे व्यक्तियों ने आयुर्वेद की ख्याति को विश्व में पुनर्स्थापित किया। बाबा को यह नही मालूम होगा कि विश्व आयुर्वेद कांग्रेस विदेशों में कांफ्रेंस कर आधुनिक चिकित्सा के साथ अनुसंधान कर रहे है। जिसकी रिपोर्ट आप गूगल से निकाल सकते है। आज भी भारत में ऐसे ऐसे वैद्य है जिनका नाड़ी ज्ञान आज भी आधुनिक विज्ञान को संशय में डाल देता है। 

लेकिन जब से बाबा दवाई के व्यापार में उतरे है तब से बाबा आक्रमक हो गए है। अभी आजतक में लाइव आ रहे बाबा कभी कभी राधे माँ कभी कभी बाबा ओम की तरह नाटकीय अभिनय करने लगते है। बाबा अपने बतोले पन से नुकसान पहुँचा रहे है सँस्कृति को । 

#बाबारामदेव

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