मंगलवार, दिसंबर 08, 2015

लौट के आना ही होगा

आसान राहे अपनों से अपने को दूर कर देती है  . यही हो रहा है ब्लॉग के साथ, फेसबुक के आसान व्यवहार से अपने द्वारा पालित पोषित ब्लॉग दूर हो गया।  लेकिन पहला प्यार भुलाया नहीं जाता इसलिए आज फिर से अपने ब्लॉग का हाल देखने आ गए जिसे हम भुला देने की स्थिति में आ गए थे।

 देख कर अच्छा लगा आज भी ब्लॉग की मशाल रोशन है। हम जैसे नालयक गैर हाज़िर है पर बहुत से ऐसे लायक लोग है जो नियमित है।  मै कोशिश करूंगा ब्लॉग पर नियमितता बनाये रखू।  जाते हुए साल पर इरादा है की सप्ताह में एक पोस्ट जरूर लिखू और रोज़ कम से कम ५ ब्लॉग का भर्मण करु।

तो अपनी बात पर खरा उतरने के लिए उतावला हूँ।  कल से नियमित रहूंगा यह वादा है।


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