बुधवार, अप्रैल 20, 2011

गिद्ध

इतना तो व्यस्त भी नहीं रहता कि ब्लॉग भी ना लिख सकू लेकिन थकान या कहे आलस्य हावी हो जाता है . ना लिखू तो कई विषय जो सामयिक है जिस पर लिखना चाहता हूँ वह पुराने हो जाते है . अन्ना हजारे की क़वायद भी मुझसे लिखने की रह गई . आज तक समझ नहीं पा रहा हूँ एक क़ानून कैसे भ्रष्टाचार को ख़त्म कर देगा . अगर कानूनों से कुछ होता तो पोटा से आतंक तो कब का हार चुका होता . 

भ्रष्टाचार हमारी जीवनशैली में सुविधानुसार समा चुका है . सिर्फ रिश्वत ही भ्रष्टाचार है यह मुझे कुछ बात हलकी लगती है . १०० में से सिर्फ १० या १५ रिश्वत जरूर माँगी जाती है और ८० से ९० बार हम लोग अपनी सुविधा के लिए रिश्वत देते है . ऐसा मेरा मानना है . 

खैर यह एक लम्बी बहस है मै तो मानता हूँ खुद  सुधरोगे जग सुधरेगा .  

और एक खबर आज अभी पढी अब गिद्धों की गिनती हो रही है . टाइगर तो गिन लिए थे पहले . अब गिद्धों का संरक्षण होगा . एक तरफ जन लोकपाल बिल और दूसरी ओर गिद्ध ...................... क्या सामंजस्य है . खैर उस दिन का बेसब्री से इन्तजार है जब भ्रष्टाचारियो का संरक्षण करना पडेगा जब यह खात्मे की तरफ हो . शायद यह मुमकिन नहीं लेकिन दिल बहलाने को यह ख्याल तो अच्छा है 

14 टिप्‍पणियां:

  1. भ्रष्टाचारियो के संरक्षण की जरुरत तो शायद ही कभी पड़े हाँ बाघों और गिद्धों की तरह ईमानदार लोगो की कभी गिनती जरुर होंगी और उनके संरक्षण के उपाय जरुर करने पड़ेंगे विदेशियों को दिखाने के लिए कि हमारे पास भी कुछ ईमानदार लोग है |

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  2. दो टिप्पणियाँ उधार के शब्दों से:
    1. हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन ...
    2. उम्मीद पे दुनिया क़ायम है ...

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  3. क्या होगा इन सब उपायों से!
    मन चंगा तो कठौती में गंगा!

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  4. भ्रष्टाचार खात्मे की तरफ़?

    शुभ शुभ बोला करो न भाईजी।

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  5. गिद्धों की गिनती ? नहीं हो सकती... छद्म वेशी गिद्धों को पहचानने की अभी तक कोई मशीन नहीं बन सकी है... और न ही बनने देंगे लोग

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  6. गिद्धों का नाम बदनाम कर रखा है इन भ्रष्टाचारियों ने।

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  7. अगर एक भी कानून को सख्ती से पालन मे लाया जाये तो सब सम्भाव हे , ओर अगर इन गिद्धो को मारना हे तो सीधा एक गोली से मारो एक गिद्ध के मरते हे बकी गिद्धो के नाक खडे हो जायेगे, दुसरे के मरते ही सब उडने लगे गे, ओर तीसरे के मरते ही सब अपनी ओकात मे आ जायेगे... लेकिन सिर्फ़ गिद्ध को मारो चिडी ओर बटेर को मारने से काम नही चलेगा

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  8. पहचान में आएं, तो गिने जाएं.

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  9. हम लोग सोचते हैं कि भ्रष्टाचार के लिये कोई और जिम्मेदार है। अपनी कोई नहीं सोचता।
    बेहतर कानून और बेहतर प्रणाली से कुछ बात बनेगी। शेष तो आदमी और समाज के सुधरने से बनेगी।

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  10. वाकई... दिल बहलाने को ख्याल तो अच्छा है ।

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  11. शायद असली गिद्ध की पहचान हो जाये अब तो यही आस लगाये है ...

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा