गुरुवार, फ़रवरी 24, 2011

हम ब्लोगिग करते क्यों है ?

साहित्य के समकक्ष ब्लोगिग को लाने के प्रयास हो ही रहे है . मुट्ठी भी तन चुकी है . लेकिन एक  सवाल .......
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खुद अपने से और अपनो से -


हम ब्लोगिग करते  क्यों है ?

13 टिप्‍पणियां:

  1. जैसे हम अपने मित्रों, परिचितों, सम्बन्धियों से बातचीत करते हैं, उनकी सुनते हैं, अपनी सुनाते हैं, वैसे ही ब्लॉगिंग करते है। आपसी बातचीत में कभी-कभार शेरो शायरी भी हो जाती है और कभी चुटकुले भी, यहाँ भी वही है। हाँ, जैसे मित्रों की बैठक/चौपाल में भी कुछ मित्र अपने विशेष उद्देश्य के लिये आते हैं सो यहाँ भी आपको बडे नम्बरदार से लेकर धर्म परिवर्तनकार तक सभी मिल जायेंगे, मगर ऐसे लोग अपवाद हैं मित्र नहीं।

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  2. साहित्य एक रचना कर्म है जबकि ब्लागिंग एक माध्यम है। साहित्य की अभिव्यक्ति चाहे पेपर पर हो अथवा नेट पर साहित्य की गुणवत्ता हमेशा प्रासंगिक रहेगी। नेट और पेपर एक माध्यम हैं और इसे इसी रूप मे देखा जाना चाहिए। दोनों के अपने अपने महत्व और विशेषताएँ हैं। ब्लागिंग अभी अपने विकास के दौर मे है इस लिए वर्षों से स्थापित अकादमिक साहित्य से तुलना नहीं की जा सकती। लेकिन इसकी वैश्विक पहुँच और अभिव्यक्ति की उन्मुक्त उड़ान भविष्य मे ढेरों आयाम एक साथ समाहित करेगी ऐसा लगता है।

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  3. जिसके लिये साहित्य लिखते हैं उसी के लिये ब्लॉगिंग भी करते हैं।

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  4. अजी अब रोजाना तो भारत नही आ सकते, फ़िर यहां इतने अपने वाले नही, जो हे सब विजी हे, इस लिये मेरा लेपटाप चाय की दुकान हे, यहां आ कर मे एक चाय का कप २५ पैसे का पीता हुं ओर आप सब से मन लगा कर खुब गप्पे मारता हुं, दिल बहल जाता हे ओर प्रदेश मे अपने मिल जाते हे, बस ओर कोई कारण नही,साहित्य कार ना हुं ना ही बन सकता हुं.मेरी गप्पो को कुछ भी कहो :)

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  5. We write blogs because we enjoy doing so and in the process we are contributing to the society as well .

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  6. हम ब्लोगिग करते क्यों है ? .....क्योंकि हम ब्लॉगर हैं :)



    हम ब्लोगिग करते क्यों है ? ...आपका उत्तर जानने की भी जिज्ञासा रहेगी धीरू भाई

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  7. ब्लागिंग का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग हो सकता है. किसी के लिए ब्लागिंग अपनी प्रतिभा को सामने लाने का माध्यम हो सकता है तो किसी के लिए टाईम पास का जरिया. कोई ब्लागिंग इसलिए करता है ताकि अपने स्वभाव और प्रकृति से मिलते-जुलते लोगों से जुड़ सके तो कोई अपना अकेलापन दूरकर अवसादग्रस्त होने से बचता है.
    बरखुदार आपको अपनी राय भी तो देनी चाहिए थी :)

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  8. जितने जवाब मिलेंगे उतने ही विचार मिलेंगे ।

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  9. अपनी अपनी समझ.नए लोगों से मिलना और बातें सुनना अच्छा लगता है ..

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  10. उत्तर जानने की भी जिज्ञासा हे धीरू भाई ...

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा