मंगलवार, मई 25, 2010

अगर हिन्दू हो तो शर्म करो

डेनमार्क में छपा एक कार्टून पूरी दुनिया को हिला  देता है . भारत सहित कई देशो में हिंसक आन्दोलन होते है . होने ही चाहिए अगर धर्म पर आंच आती है तो आग भड़कने ही चाहिए .

लेकिन हम गर्म देश के ठन्डे खून वाले हिन्दुओ पर कोई फरक नहीं पड़ता कोई अपनी किताब में लिखे लक्ष्मण की सीता के प्रति कामभावना थी या विवेकानंद गौमांस खाने को कहा था . ऐसी ही कई बेहूदा बाते प्रोफेसर  वेंडी डोनिगर ने अपनी किताब 'द हिंदू- ऐन ऑल्टरनेटिव हिस्ट्री' में लिखी  हैं।



हम लोग इसका उत्तर भी नहीं दे सकते क्योकि हम मुर्दा कौम है और मानते है एक अमरीकी ने लिखा है तो गलत तो शायद नहीं होगा . अगर यह बाते मोहम्मद साहब या उनके परिवार के बारे में लिखी होती तो अब तक तो वेंडी डोगिनर  ताबूत में आराम कर रहे होते . 


हम अहिंसक है कमजोर है कायर है लेकिन अपनी कलम से ,अपनी जुबान से तो विरोध कर सकते है . अगर इतनी हिम्मत बची है तो आगे आये . वरना आराम से जिए क्योकि आराम से तो नाली का कीड़ा भी जीता है . 


 गिडगिडाने  से  नहीं  सुनता यह  जहाँ 
 मुहं भर कर गालियाँ दो पेट भर कर बद्दुआ 

12 टिप्‍पणियां:

  1. सच ..... में हम भारतीय कायर हैं.... यह फिरंगी अगर मुझे मिल जाये.... तो अपने डोले दिखा कर ही मार दूंगा.... मेरा तो खून खौल रहा है...

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  2. सादर वन्दे !
    आपने सही कहा! इस कुत्ती सरकार को क्यों दोष दे जो एक फिरंगी की गुलामी कर रहा हैं. दोष तो हमारा है कि हम चुप हैं, ना हम दूसरे कुत्तों के खिलाफ बोलते हैं और ना ही अपनी ही कौम के कुत्तों के खिलाफ .............. मेरे पास तो इतना पैसा ही नहीं है नहीं तो इस कमीने को उसी के घर में मार के आता, और अपनी इस सरकार कि .........एक कर देता!
    बाकी क्या लिखूं ...यहाँ सब मरे पड़े हैं कौन जागेगा, मुझे संतोष है क्योंकि मै जगा हूँ, और इस देश के कुत्तों के खिलाफ लिखता हूँ.
    रत्नेश त्रिपाठी

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  3. हम तो बेशर्म ही नहीं बेशर्मों की औलादें हैं...............
    राम कौन जिसके बाप का पता नहीं......क्योंकि वे तो खीर खाने के बाद पैदा हुएथे..........
    कृष्ण कौन जिनके रास रंग के किस्से प्रसिद्द हैं........हम करें तो मुजरा वे करें तो रास....
    सीता कौन जिसके माँ-बाप का पता नहीं.....घड़े से निकलीं..... रावण के साथ रहीं तो गर्भवती हो गईं.....
    महाभारत के पात्र कौन जिनके वैध माँ-बाप का पता नहीं......
    अब ऐसे और उदहारण भी हैं ............कितने बताएं.................
    ऐसे ही हिन्दू होते हैं...................
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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  4. हम लोग रोटी के चक्कर मै ही उलझे है, ओर जिन के पास खाने को है वो आधुनिकता के चक्कर मै पडे है,ओर जिन के पास ताकत है वो या तो दुम हिलाने मै लगे है या सीट पाने मै या ओर ओर धन कमाने मै, देश, कोम जाये भाड मै... मंदिरो मै घन्टे वजाने से भगवान रक्षा नही करने वाले, ओर हमारा दिमाग घटे वजाने आगे नही चलता,

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  5. धीरू जी, हिन्दू तो व्यापारी है, हर चीज को बेच देगा, बस सही कीमत मिल जाये... एक बात और कुछ बात यहां की मिट्टी की अर्थात जीन की है, वरना जयचन्द यहीं क्यों पैदा होता आस्ट्रेलिया और य़ूरोप में क्यों नहीं.. हर हिन्दू अपने गल्ले में, तिजोरी में, कार्यालय में, और तो और घोर दलित नास्तिक भी लक्ष्मी, सरस्वती की आराधना करता है लेकिन जब धर्म की बात आती है तो पूंछ दबा लेता है, ऐसे लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है. अंत निकट है हिन्दुओं का...

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  6. सेंगर का यह लिखना आपत्तिजनक है कि रावण के साथ रहीं तो गर्भवती हो गईं.

    आम लोगों को पता ही नहीं कहाँ कौन क्या लिख रहा है. वरना इसी देश में सीता को राम की बहन बताने वाले भी बैठे है. गुस्सा तो जरूर आता है, खूब आता है...

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  7. Agar aise hi chalta raha to hamara patan jaroor ho jaiga...ab to jaagooo

    Jai Hind

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  8. हा हा हा हा हा हा… शर्म? और वो भी हिन्दू?
    जिस कौम को सैकड़ों सालों के मुगल और अंग्रेज राज के बूटों तले रौंदा गया, तथा उसके बाद सेकुलरिज़्म नाम के इंजेक्शन से नपुंसक बनाया गया, उससे शर्म की उम्मीद करते हैं आप? हिन्दुओं के बारे में कहीं भी, कभी भी, कुछ भी लिखा-बोला-पढ़ा जा सकता है, तथा प्रगतिशीलता की यही मिसाल भी दी जाती है। :)

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  9. aap se shat pratishat sahmat ,,,,,aapki lekhni bahut teekha prahaar karti hai

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  10. सच मच हमारी अस्मिता मारी गयी है ... अपने देश में भी ऐसी कई किताबें छपती हैं हम तो उनका भी विरोध नही करते ... सेक्युलर जो हैं ...

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  11. hum log kayar hai , ghar mai lad skte hai bahar bale se nahi.

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा