रविवार, फ़रवरी 14, 2010

यहाँ का खान भी खुश और वहाँ का खान भी खुश - नयी परम्परा ना पड़ने दी सरकार ने बम विस्फोट तो रोज़ की बात

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महाराष्ट्र में पिछले दो तीन दिनों में जो घटनाएं हुई उससे यहाँ के भी खान खुश और वहां के खान भी खुश . यहाँ का  खान इसलिए खुश की बिना विघ्न के उसका काम हो गया और वहां का खान इसलिए खुश उसका काम भी बिना विघ्न के हो गया . और इन सबका श्रेय जाता है महाराष्ट्र के नेताओ को और उनके कुशल निर्देशन को .

कितना अजब संयोग है दो दिन में दो खान प्रसन्न हो गए तुष्टिकरण के तीरों द्वारा . बिना बात के हल्ला मचा माई नेम इज  खान के लिए . पूरा मीडिया कन्धा मिलाये खड़ा रहा खान के लिए जब मीडिया साथ था तो सरकार का कर्तव्य था राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न था फिल्म रिलीज कराने का और वह खरी उतरी. लेकिन खान को खुश करने के चक्कर में वह ख़ुफ़िया विभाग की चेतावनी को भूल गयी और नाकारापन के कारण दूसरे खान को भी खुशी का मौका मिल ही गया और इसके लिए सरकार को साधुवाद .

यह सच है अगर पुणे में ओशो आश्रम के पास कोई सिनेमाहाल होता तो यह घटना ना घटती .क्योकि सारी मापो(महाराष्ट्र पुलिस )तो सिनेमा हाल के इर्द गिर्द थी . खैर आतंकी हमला तो रोज़ की बात है एक पिक्चर तो एक बार ही रिलीज़ होती है .हमारी सरकार सफल हुयी एक नयी परम्परा कायम ना होने दी फिल्म वहिष्कार की . और हमले व बम विस्फोट तो रोज़ की ही कहानी है . अगर एक असफल हो जाता तो कौन सा आतंक हमेशा के लिए ख़त्म हो जाता . लेकिन एक फिल्म की रिलीज़ रुक जाती तो विदेशो में क्या मूह दिखाते हम हिन्दुस्तानी .

19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत जोरदार ..... खान ही खदान हैं

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  2. अवधिया भी खूश कि उसे अवध वाले खान के लिये बोलने की आवश्‍यकता न पडी, अपनी दो ही इच्‍छायें थी एक सलीम खान को कोई सम्‍मान मिलते देखना वह तमन्‍ना पूरी हुई, दूसरी थी अवधिया तहज़ीब को समझने के लिये अवध जाने की, वह वहां जाये बिना ही समझ में आ रही है, धन्‍यवाद

    अवधिया चाचा
    जो कभी अवध न गया

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  3. देखिये इसका दोष आप सरकार को नहीं दे सकते. कितनी सक्रियता से कहा था कि पूरे देश में आतंकी हमले हो सकते हैं. लोग ही अपनी जान न बचा सके तो इसमें सरकार का क्या कुसूर.

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  4. hamara naya rastrya geet hona chahiya- ghus ghay desh main aatankvadi saathiyo aapne aap ko bacchalo bharatvasio.

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  5. मेहमां जो हमारा होता है,
    वो जान से प्यारा होता है,

    हम उस देश के वासी हैं,
    जिस देश में गंगा(खून की) बहती है।

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  6. धीरू भाई,
    अभी तो इब्तदा-ए-इश्क है...देखिए आगे-आगे होता है क्या...कांग्रेस शाहरुख़ ख़ान को कहां तक ले जाती है...

    जय हिंद...

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  7. क्या करें धीरू भाई इसके बाद भी तो बेशर्मों की नींद नही टूटती।पता नही किसी की मौत पर इतनी आसानी से कैसे राजनिती कर लेते हैं ये लोग?

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  8. बहुत करारी पोस्ट लगी आप की, लेकिन सरकार को कोई शर्म नही

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  9. जो दिख रहा है उससे ज़्यादा बहुत कुछ है. राज़ खुलेंगे तो सारी नयी बातें सामने आयेंगी.

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  10. चलिये भारतीयों के बलिदान से किसी का तो भला हुआ.

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  11. एक बात आपने गौर नहीं फरमाई, कल पुणे के डीजी की प्रेस कांफ्रेंस हो रही थी। वे बारबार इस बात पर जोर दे रहे थे कि देखिए सारे ही भारतीय मरे हैं, कोई भी विदेशी नागरिक नहीं। भारतीय तो मरते ही रहते हैं हमें केवल विदेशियों की चिन्‍ता है। बढिया पोस्‍ट।

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  12. बहुत बढ़िया पोस्ट!बधाई स्वीकारें।
    सरकारी के लिए फिल्म जरूरी थी...सो उस मे जी जान से जुट गई....धमाकों का असर सरकार पर होता नही....अत: भारतीय अपना सिर नौंचने का काम करें;)

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  13. बहुत धो धो कर मारा है आपने धीरू जी पर ये सरकार इतनी मोटी चमड़ी की है की इसको फ़र्क नही पढ़ता ...... ऐसे तमाशे जब तक हमारे देश में होते रहेंगे .... सीमापार से धमाके उतने ही तेज़ होते रहेंगे ......

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  14. sahi kataksh kiya hai........magar fark kise padta hai jinki jaan gayi wo thode wapas aa jayege..........aur system yun hi chalta rahega aur hum yun hi kalam ghiste rahenge.

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  15. maine to is picture ko nahi dekhne ki than li hai...or meri baddua bhi sath hai is film ke....bhale hi paisa kama le par wo paise doobenge jaroor...or yeh sarkaar chamchagiri kare aise hi logon ki taki or bhi visfot hon....main yahan abhadra bhasha prayog nahi kar sakta par man se to wahi nikal rahe hain badduaon ke sath.....
    dhanyabaad Dheeru bhai

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  16. क्या खानदान बनाया है आपने

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  17. बिल्कुल जी अल्लाह का शुक्र है कि देश की इज्जत इंटेक्ट रही खान के रिलीज होने से।

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा