मंगलवार, जनवरी 05, 2010

ब्लॉग और ब्लॉगर भी हो गए शिकार - वही राजनीति , वही उठा पठक ,वही उछाड पछाड़ .

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क्या करु मैं ? दुविधा में हूँ .  मैं जिस दुनिया से भाग कर शांति की तलाश में ब्लॉग की दुनिया में आया वहां पर भी वही सब कुछ हो रहा है . वही राजनीति ,  वही उठा पठक ,वही उछाड पछाड़ .  


अगर इन्ही सब में पिसू या देखू तो इससे अच्छा है अपने टांगे गए हथियारों को थाम फिर निकल पडू क्योकि समर शेष है . और तटस्थ रह कर मै अपराधी नहीं बनना चाहता . 


राजनीति के  वीभत्स रूप का साक्षी रहा हूँ . जितनी आप कल्पना नहीं कर सकते उससे ज्यादा विचित्र है राजनीति , माँ सगी माँ की  चिता को आग देने के बाद तुरंत चुनाव प्रचार पर निकलते हुए नेता को देखा है . अपने बेटे सगे बेटे की चिता को इसलिए आग लगाते नहीं देखा क्योकि मंत्री की शपथ लेनी है और अस्थि विसर्जन से पहले घर से नहीं निकला जा सकेगा . या एक माँ उस जगह घुमती रही जहाँ उसका बेटा गिर कर मरा .  लाश घर पर थी और माँ कुछ ढूंड रही थी जो खोया था ना जाने क्या . 


और दूसरा पहलू यह भी है नेता ओपरेशन के लिए जा रहा है और फरियादी इस जुगत में है के चिट्ठी पर साइन  हो जाए ओपरेशन के बाद नेता जिन्दा बचे या नहीं . नेताजी अपने परिजन का दाह संस्कार करके आये है और वहां भी फरियादी है और उसका काम ज्यादा महत्वपूर्ण है उनके दुःख से . 


दुनिया जहान के तमाम कृत्य कुकृत्य देखने के बाद मोह हट गया इस राजनीति से . और भटकते भटकते यहाँ आये थे कुछ मानसिक हलचल को शांत करने के लिए . कुछ नया दिखा था , बहुत अच्छे लोग मिले हमेशा के लिए . लेकिन यहाँ भी राजनीति घुस गयी या कहें राजनीति पहुँच गयी . खैर फिलहाल मैं राजनीति को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हूँ . 


जहाँ जहाँ नम्बर की दौड़ शुरू हो जाती है और अपनी कमीज़ दूसरे की कमीज़ से ज्यादा सफ़ेद दिखाने की  होड़ शुरू हो जाती है वही राजनीति अपना कुचक्र चला देती है . जो आजकल यहाँ हो रहा है अपनी  ब्लॉग की दुनिया में . तीर छोड़े जा रहे है छुप छुप के पर लग रहे है सीधे सीधे . यह अभिनय बंद होना चाहिए पहले जैसा हो जाए सब कुछ . क्योकि यह सही नहीं हम लोगो के लिए . 


आगे आपकी मर्जी . ......... आखिर आप और हम भी खेमो में बटने को तो तैयार बैठे है . 

35 टिप्‍पणियां:

  1. भाई चिंता क्यों कर रहे हैं आप . खेमाबजी करने वाले बेचारे खुद के खेमे में कभी अकेले बैठे होंगे ..... जनता जाग गई है ...

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  2. टेंसन नहीं ना लेने का ....... जी !!
    सूत्र - नकारात्मकता बहुत लंबे समय तक नहीं रहती है ......इसलिए
    मैं तो B+ रहता हूँ |




    @ B+ मेरा खून का समूह जो है|
    जय हो !!

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  3. जो बाते दुनियाभर में चलती हैं .. वही तो ब्‍लागिंग में भी होगी .. इससे दिक्‍कत क्‍यूं .. हमें सबकुछ झेलते चलना चाहिए !!

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  4. धीरू जी , आपकी चिंता शायद जायज मगर फ़िक्र न करें ये दौर तो चिट्ठाजगत में खूब आते जाते रहे हैं हां अब परिवार बढा है तो जाह्रर है कि सामाजिक गुण -अवगुण तो आएंगे ही । मगर समय के साथ जो मात्र टिका रहेगा वो है लेखन ....सिफ़ और सिर्फ़ लेखन

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  5. हाँ जी !!
    लेखन ....सिफ़ और सिर्फ़ लेखन







    १००% सहमत !

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  6. अपना काम शांति से करते रहें. ये धुँआ भी छंट ही जायेगा!!

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  7. धीरू जी क्षमा चाहूँगा आपसे, क्योंकि मैं आपके इस दृष्टिकोण से असहमत हूँ। ब्लॉगजगत पर शायद पहली बार किसी अपने से लिख कर असहमति जता रहा हूँ। चिन्ता न करें, यह सच है कि उजला और सकरात्मक पक्ष बहुत खूबसूरत है।

    ज़रूरत सिर्फ उधर निगाहें घुमाने की हैं।

    बी एस पाबला

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  8. इतनी जल्दी हताश हो गए मर्दवा !

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  9. तू बस अपना काम किये जा
    तेरी हर पीर हरेंगे राम :)

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  10. गुरु टेंशन नई लेने का
    सब मौज में हैं
    सब जानते हैं

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  11. उम्मीद का दामन पकडे बैठे हैं कि शायद.......

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  12. धीरू भाई,
    आपका तो नाम ही धीर से बना है...यानि अधीर होने की कहीं कोई गुंजाइश ही नहीं...एक गीत आपके नाम...

    कभी सुख, कभी दुख, यही ज़िंदगी है,
    ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी है,
    नए फूल कल फिर डगर में खिलेंगे,
    उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे...

    जय हिंद...

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  13. जो बाते दुनियाभर में चलती हैं .. वही तो ब्‍लागिंग में भी होगी .. इससे दिक्‍कत क्‍यूं .. हमें सबकुछ झेलते चलना चाहिए !!

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  14. आजकल ब्लोग्वानी ही नहीं खोलते.. उम्मीद है नए साल पर सब कुछ अच्छा हो..

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  15. chinta jayaz hai magar naye saal wali urjaa yun byarth naa karen ... kramaagat roop se likhte rahen... sab badhiya hoga..


    arsh

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  16. सब अच्छा ही होगा इसी उम्मीद के साथ नए साल का है स्वागत

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  17. याद रखें, जैसी दृष्टी वैसी सृष्टी.

    आल इज वेल :)

    लिखते रहें, क्योंकि आपकी उअपस्थिति महत्त्वपूर्ण है.

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  18. गुरु टेंशन नई लेने का
    सब मौज में हैं
    सब जानते हैं
    guru idhar apan hai
    hardik shubhkamanayen
    GIRISH BILLORE
    JABALPUR

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  19. प्रवीण जी, संगीता जी, पाबला जी, बेंगाणी जी के वक्तव्यों का मिक्चर मेरा भी वक्तव्य समझा जाये… त्रिवेदी जी ने सही कहा टेंशन लेने का नहीं बल्कि देने का… :)

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  20. @ धीरू सिंह और @सुरेश चिपलूनकर
    अरे सरकार !! काहे को हमरे वक्तव्य को तोड़ मरोड़ रहे !!

    अरे भैये >>>> टेंसन किसी को नहीं देने का !! ....पर मौज सबकी लेने का !!

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  21. मुझे लगता है कि बहस होनी चाहिए किन्तु गुटबाजी नहीं। अन्यथा अपने गुट वाला गलत बोले तो भी उसका विरोध करने से बचने की प्रवृत्ति हावी हो जाती है।
    वैसे मौसमी रोग की तरह यह दौर आता है और चले जाता है।
    घुघूती बासूती

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  22. सिंह साहिब ब्लोग जगत भी तो इसी धरती पर है.. फ़िर यह भला इन सब से अछूता कैसे हो सकता है.. 50 विजिटर से 25 टिप्पणियां मिल गई ... अभी भी दिल मांगे मोरे ;)

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  23. बस लिखते रहिये. राजनीति का क्या काम.

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  24. धीरु जी आपने बिलकुल सही कहा ..तटस्थ रह कर मै अपराधी नहीं बनना चाहता
    तटस्थ रहकर हम एक तरह से गलत कार्य को ही बढ़ावा दे रहे है...

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  25. Dhiru ji,
    aapki baat se bilkul sahmat..aap chahein ki naa chahein aap par raajniti laad di jaayegi..
    aur khemaa ??
    wo aap already hain kheme mein bas.... na to kisi ne aapse poochaa na hi bataya ...bas pahuncha diya ...
    baaki aapki kismat ..
    best of luck..!!

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  26. RAAJNITI KO RAAJNITI SE HI KHATM KIYA JA SAKTA HAI ... CHINTA N KAREN GANDI RAAJNITI KE DIN BAHUTY KAM RAH GAYE HAIN AB ....

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  27. ब्लॉग से बाहर की दुनिया में ब्लॉग की अच्छी छवि बनाने के लिये यह आवश्यक है कि यहाँ गुटबाज़ी खत्म हो ।

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा