रविवार, दिसंबर 06, 2009

6 दिसम्बर ९२- शौर्य दिवस या कलंक दिवस

6 दिसम्बर ९२ को आप किस रूप में देखेंगे --



शौर्य दिवस           या                 कलंक दिवस 





18 टिप्‍पणियां:

  1. पता नही। हम पहले स्तब्ध थे। फिर प्रसन्न हुये।

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  2. है तो शौर्य दिवस पर आज के राजनीतिक माहौल ने इसे कलंक दिवस बना दिया ..........

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  3. कलंक.. एक लाख लोग इक्कठा हो जाओ और जो मन में आए वो करो.. कोई बहादुरी नहीं..

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  4. उस मस्ज़िद को कई लाख लोगों द्वारा तोडना जिसको 1853 से 2009 तक राम मंदिर साबित नही कर सके....इसे आप शोर्य कहेंगे????

    अगर आप इसे शोर्य कहेंगे तो इससे बडा शोर्य तो मुम्बंई में उस कसाब और उसके नौ आतंकवादी साथियों ने किया था.....

    दस लोगों ने हज़ारों की संख्या में मौजुद पूलिस और सुरक्षा बलों को तीन दिन से ज़्यादा नचाया.....

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  5. प्रसन्न दिवस ;) सैकड़ो वर्षों का दु:ख जो समाप्त हुआ।

    कुछ कह कर कसाब भाई और उनके साथियों की शान में गुस्ताखी करने की हिम्मत हम कैसे करें? उन लोगों के शौर्य के मुरीद तो बहुतेरे हैं। ..ऐसे ही कसाब भाई को थोड़े बिरियानी खिला कर पोसा जा रहा है ! शूरवीरता rare है, उसका आदर सत्कार होना चाहिए ;)

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  6. सही है
    शौर्य तो महमूद गज़नवी ने किया था सोमनाथ को तोड़कर और पचास हजार भारतीयों को मारकर
    शौर्य तो बाबर ने किया था, रामजन्मस्थान को तोड़कर उस जगह पर एक इमारत खड़ी करके
    और आज शौर्य कसाब और अफज़ल कर रहे हैण, जिन्हें काशिफ आरिफ जैसे सलाम कर रहे हैं

    शेष तो सारे भारतीय कलंकित है,

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  7. सब हत्‍यारे शूरवीर हैं । चाहे वे मस्जिद गिरायें या मंदिर या कोई होटल या फिर निर्दोष लोगों को मारें या नफरत फैलायें , ये सब शूरवीर की श्रेणी में आते हैं । जो लोग इनका समर्थन नहीं करते वे सब कायर हैं । अब जहॉं शूरवारों के इतने समर्थक हैं , तो या तो शौर्य दिवस होंगे या कलंक दिवस ।

    वैसे आपको भी अपना मत रखना चाहिए इस विषय में ।

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  8. कसाब का समर्थन करके काशिफ़ आरिफ़ आज बेनकाब हो गये हैं। अपनी बात के समर्थन में वे चाहते तो NSG कमाण्डो उन्नीकृष्णन का उदाहरण भी "शौर्य" के लिये दे सकते थे, लेकिन इन्होने कसाब को शौर्य का सिम्बल बताकर ज़ाहिर कर दिया कि ये किस मानसिकता के व्यक्ति हैं, और देश में ऐसी मानसिकता वाले व्यक्तियों का ही बहुमत है इसीलिये कसाब और अफ़ज़ल गुरु मजे में दिन काट रहे हैं…। काशिफ़ आरिफ़ के नाम पर सौ-सौ लानत… इससे अधिक कुछ कहना बेकार है…

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  9. शौर्य दिवस
    गन्दी जातवालों

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  10. अगर बाबर, औरंगजेब जैसे हरामी शासकों के द्वारा मंदिर का विध्वंस करके उसपर मस्जिद बनाया जाता है, तो उस गंदे ढांचे का नामोनिशां मिटाना "शौर्य" का प्रतीक कैसे नहीं है, मियां लादेन के नाजायज "काशिफ आरिफ" !! जरा बोलो तो। और तुम्हारे बहनोई कसाब साहेब तो तुम्हारी नजर में शूर तो हैं ही..................

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  11. अभी जब तक काशिफ़ जैसे कायर हिन्दुओं की औलद जिन्दा हैं हमें ऐसी बातें सुनने को मिलती रहेंगी। ऐसे कुछ हिंदूओं ने अपना विचार उपर रख दिया है। और इस काशिफ़ को एक सुझाव है, अपने पुर्वजों के खून की लाज ्रखें और अपनी दादीयों के को पिन्डदान अवश्य दे दें। किसी मुस्लिम शासक के बिस्तर पर मौत हुई होगी।

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  12. भई अब हम क्या कहे ऊपर सब ने सब कुछ तो कह दिया, ओर कईयो ने तो .....

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  13. किसी ढांचे का गिराया जाना अगर शौर्य है तो ये काम सदियों से एक कौम दूसरी कौम के खिलाफ करती आयी है...इतने लोग मर गए...घर उजड़ गए...उनकी सुध किसने ली...????क्यूँ मरे वो और किस के लिए...???और अंत में मिला क्या???
    नीरज

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा