सोमवार, सितंबर 28, 2009

दिखावे के लिए ही रावण को मार कर दशहरा मनाते है

  हर साल की तरह दशहरा इस बार भी निभा  ही लिया


  एक बार फिर  रावण  मार कर जश्न  मना  ही  लिया 


  लेकिन दिलो में बसे रावण को हम साल भर पालते है 


  क्योकि अपनी लंका को सोने की बनाने को जो ठानते है 


  और साल में एक बार अपने दिलो को सकूं देने के लिए 


 दिखावे के लिए ही रावण को मार कर दशहरा मनाते है 

5 टिप्‍पणियां:

  1. दशहरा विजयत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामना

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  2. विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. धीरू भाई पढने मै बहुत मुस्किल हो रही है कृप्या लाल रंग्को बदल दे या फ़िर फ़ंड का रग बदल दे.
    भाई हम सारा साल तो अपने अंदर रावण को पालते है, तो उसे मार केसे सकते है? लेकिन जग दिखावा तो करना ही पडता है ना....
    आप को ओर आप के परिवार को विजयदशमी की शुभकामनाएँ!

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  4. सही कहा आपने, हमारे भीतर का रावण तो हैड्राहेडेड है, एक सिर कटा नहीं दूसरा सिर उठाता है:) दशहरा की शुभकामनाएं॥

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  5. विजयादशमी की शुभकामनायें!

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा