रविवार, अगस्त 30, 2009

या खुदा इन नासमझो को कौन समझाए

एक नए मौलाना तकरीर के लिए एक जलसे में गए और धुँआधार तकरीर झाडी । और बाद में पूछा हजरात जलसा आपको समझ आया । लोग हां कर बैठे लेकिन समझ कुछ नही आया । लोगो ने विचार किया अगली बार आधे हां कहेंगे आधे ना ।

मौलाना अगली बार आए और बाद में पूछा हजरात ऐ जलसा आपको समझ आया आधो ने हां कहा और आधो ने न । मौलाना बोले जिन हजरात को समझ आया है वह न समझो को समझा दे । लोग परेशान मौलाना फिर बेब्कुफ़ बना गया । अगली बार तय हुआ सब मना करेंगे ।

मौलाना आए फिर तकरीर की जो लोगो के ऊपर से निकल गई । मौलाना ने फिर पूछा हजरात ऐ जलसा आपको समझ आया । सब ने कहा नही , मौलाना सर पकड कर बोले या खुदा इन नासमझो को कौन समझाए ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. लेकिन मैं समझ गया भाई। हा-हा--हा--

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  2. आपके दर्शन करके बहुत अच्छा लगा,

    अब तक तो निर्गुण ब्रह्म की उपासना कर रहे थे हम,

    अब बाँके बिहारी सामने आये,

    साथी भी साथ में खड़ा कर लिया है,

    और हाँ यह कहना तो भूले ही जा रहे थे कि हम भी समझ गए :)

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  3. Chalo der se hi sahi ... par samajh to aa gaya ..... hum bhi samajh gaye ab to ......

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  4. जो समझना था, समझ गये! मौलाना जी अब सिर झटक खड़े हो जायें!

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  5. क्या पता मौलाना को क्या समझ आया होगा :)
    वीनस केसरी

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  6. हमैं का समझ ख़ाक आयेगो? हमने तौ जाई मारे मौलाना की बरेली छोड़ दयी!

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  7. जरा इस मोलाना से पुछे कि उसे भी समझ आ रही है या नही जो वो हमे समझाना चाहता है??

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा