शनिवार, दिसंबर 06, 2008

मैं अयोध्या इन्साफ चाहती हूँ

जज साहब
मैं सरयू पुत्री अयोध्या
इन्साफ चाहती हूँ
चार सौ साल पहले मुझे लूटा गया
बलात्कार किया मेरी भावनाओ के साथ
खंडहर कर दिया
मेरी पहचान को बदल दिया
मेरे राम को बेघर कर दिया
तब से आज तक मैं इन्साफ चाहती हूँ
जज सहाब
अगर हिम्मत हो तो इंसाफ करना
नहीं तो मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो
मेरे तो भाग्य मे ही लिखा है
लुटना और पिटना

9 टिप्‍पणियां:

  1. apnii dharohar kii surksha ke liye ham kitne sajag hain, yahi mudda hai raam mandir kaa!!!

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  2. अरे किस देश मै इंसाफ़ माग रहै हॊ ?ओर केसा इंसाफ़, जाओ पहले गवाह लाओ, बलात्कारीयो को किस ने देखा,कब हुआ,.....

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  3. जज- नहीं, अयोध्या के भाग्य में लुटना और पिटना नहीं लिखा है। इतिहास केवल चार-सौ साल लम्बा नहीं है। यह कई हजार साल लम्बा है। अयोध्या सदा ही आतंक से लड़ी और जीती है। सत्य और धर्म की सदा जीत हुई है। रावण और बाबर का नाश हुआ है। अयोध्या जीतेगी फ़िर!

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  4. समय समझने और सम्भलने का है। और मामुओं यानी मार्क्सवादी और मुसलमानों को देश से ठीक वैसे ही खदेड़ने का

    अब समय किसी पर दोष मढ़ने का नहीं बल्कि राष्ट्र के असली शत्रु को पहचानने का है। ग़द्दारी और आतंकवाद तो मुसलमान की फ़ितरत है ही। वो कहाँ चुप बैठने वाला है? पर बहुसंख्यक होने के बावजूद यदि तुम उसे चुप न करा पाओ तो यह तुम्हारी कमी है। नृशंसता और पशुता तो मुहम्मद द्वारा सिखाई ही गई है पर तुम यदि ऐसे लोगों को भजन सुनाओ तो वो तुम्हारी मूर्खता है।

    www.prakharhindu.blogspot.com

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  5. प्रखर हिन्दू के बयाँ से मैं सहमत नहीं . मुस्लिम हमारे ही परिवारी है यह कोई अरब से नहीं आये . आप जैसे आग उगलने वाले ही मुस्लिमो को मुख्य धरा से दूर कर रहे है

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  6. काश लोग-बाग़ इंसाफ करें या नकरें ,बस मेरी अयोध्या को अकेला छोड़ दें ; उन्हें मै यही " दुआ ही दूंगा 'तेरे बच्चे जिए "| अगर पढ़ रहे हों या पढ़ने वाला उन्हें बताये कि केवल सत्ता कि मदान्धता का दंश १९९० में भोगा था ,परन्तु न तब न १९९२ में भी कहीं स्थानियों के बीच कोई झगडा नही हुआ | अयोध्या के नाम पर यहाँ से बाहर हो रहे दंगों से यहाँ से बाहर के लोग तो यही समझते है कि जब उनके यहाँ इतनी मारकाट है ,तो अयोध्या में तो बहुत बुरा हाल होगा ,फैजाबाद तो जलता ही रहता होगा ? दूर नही आसपास के लोगों तक कि यही सोच थी अब कुछ बदली है | इसी वज़ह से यहाँ का जूता -चप्पल का सबसे बड़ा थोक बाज़ार ,अंग्रेजी दवाओं का थोक मार्केट टूट गया ,जूते चप्पल के कच्चे माल का मार्केट टूट गया ] क्या श्रापित अयोध्या कि सलिला सरयू जो प्रयाग -राज के पाप धो कर उन्हें फ़िर से निर्मल करती है ;आज अयोध्या कि हालत देख रोती है , मैंने वह सिसकियाँ सुनी है उस पीडा को महसूस किया है |
    वो कहती है ,...
    हा राम ! तुम मुझ में समा कहाँ खोगये ?
    अहिल्या सी श्रापित तेरी अयोध्या रोती है,
    हर युग के अपने राम-कृष्ण हुआ करते हैं
    इस युग राजनीत के राम कब आओगे ?
    चरण लगा पथरीली से जीवंत कब बनाओगे

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  7. आप लोगों के विपरीत विचारों को कमेट में पढा ,कृपया anyonasti-chaupaal.blogspot.com पर आकर धार्मिकता एवं साम्प्रदायिकता कि बारीक़ अन्तर पर विचार करने कि कृपा करें वैसे बतकही पर भी है देखें ....
    anyonasti-batkahi.blogspot.com

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा