संगठन में शाक्ती होती है ,अगर यह मुहाबरा भूल गए हो तो जम्मू का जोश देख लीजिये । जम्बुबासियो की यह जंग अपने आत्म सम्मान जागने के कारण हुई ,और सबसे खुशी की बात कोई बाहरी नेतृत्व नही ,कोई साहयता नही , और सबसे बड़ी बात लडाई अपने लिए नही अपने देश के लिए अपने देश वासियो के लिए । हम तो नही थे लकिन आजादी की लडाई भी तिरंगा लेकर इसी जज्बे से लड़ी गई होगी । लेकिन उस समय गोलियां दुश्मनों ने चलाई इस बार अपनों ने ,बस यही एक फरक था तब में और अब में । अब जम्मू जीत गया उसका स्वाभिमान जीत गया और इस जीत का जश्न हम सबको मनाना चाहिए क्योंकी यह संकेत है एकता का ,संगटन का , और अपनी कायरता से पीछा छुडाने का ।
जो होता है होने दो यह पौरुष हीन कथन है ,
हम जो चाहेंगे वह होगा इन शब्दों में जीवन है ।
aapko bhee hame bhee sabhi ko bahut badhai . aapke dwara likhee pankityaan ke liye dhanyabad vist me http:/manoria.blogspot.com and kanjiswami.blog.co.in
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