मानो या न मानो सच है दो लाशें उस जगह से चली गई ९ लोस दूर जहाँ उनका कत्ल हुआ । यह कोई भूतिया कहानी नहीं ,कोई राम गोपाल वर्मा की पिक्चर का सीन नहीं ,यह एक बाजीगिरी थी थाना पुलिस की ।
बरेली के आवला थाने के अंतर्गत यह लोमहर्षक कृत्य स्थानीय पुलिस द्वारा किया गया । दो रिश्तेदार जो आपस में फूफा -भतीजे थे उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई और लाशें एक बाग में डाल दी गई । सुबह सेकडों लोगो ने लासों को देखा । लेकिन पुलिस ने उस दिन कोई कार्यवाही नहीं की । रात होते ही थाना पुलिस ने लाशों को उठवा कर सीमावर्ती जिले बदायु के थाना वजीरगंज के खेत में डलवा दिया ।
जाच के बाद लोगो की चर्चा के माध्यम से यह बात खुली । थाना आवला के सब इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया ।
प्रश्न यह है लाशों की बेकद्री का जुम्मेदार कौन है ,यह पहली बार नहीं हुआ है । ऐसा होता ही रहता है अपने थाने का क्राइम कंट्रोल करने के लिए लाशों और भुक्तभोगी पीडितों को थाने थाने घूमना पड़ता है ।
"oh god, ager police ke yhee karnamey hain to fir inssaf khan se aayega, bhut hee sharmnak"
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सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणी नमोस्तुते॥
शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों। हार्दिक शुभकामना!
(हिन्दुस्तानी एकेडेमी)
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