एक -दो चैनलों को छोड़ कर सब दुनिया ख़तम करने पर आमादा थे । बच्चे स्कूल जाने से डर रहे थे ,बड़े चर्चा कर रहे थे । खेत की मेड हो या कारपोरेट आफिस एक ही बात क्या दुनिया ख़त्म हो जायगी ?न दुनिया ख़त्म हुई और १० -२० हज़ार साल तक तो न खत्म होने की कोई उम्मीद है ।
लेकिन ब्रेकिंग न्यूज़ ,सनसनी टाइप खबरे इतना आतंक फैला देती है कि लगने लगता है सब कुछ खत्म । कोई तो तरकीब निकली जाए जिससे हमारी मीडिया कुछ तो बालिग़ हो ।
अमरीका में ९/११ होता है तो हवाई जहाज टावर से टकराते तो दिखा लेकिन कोई लाश नहीं दिखती । कैटरिना हो या गुस्ताब नुक्सान तो दिखा लेकिन तैरती लाश नहीं । और अपने यहाँ तो सिर्फ लाशें , सड़ी-गली लाशे । देखे बिहार की बाढ़ ,कोई आतंकवादी हमले की तस्वीरे हर तरफ खौफ ।
sahi kahaa aapane hamaari media ko jehani taur par baalig hone ki sakht zaroorat hai.
जवाब देंहटाएं