शनिवार, अगस्त 30, 2008
अमेरिका की भूल
१८९७ में स्वामी विवेकानंद जी ने भाबिशय्बानीकी थी ,अमेरिका अगली सदी में एक ताकत के रूप में उभरेगा क्योंकि वहां पर महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिला हुआ है । यह अक्षरशा सत्य साबित हुई ,परन्तु १०० सालो में अमेरिका विश्व में तो अब्बल हुआ ,लेकिन पुरुष श्रेष्ट मानसिकता का शिकार हो गया । आज एक महिला उसकी शासक न हो जाय इसलिए एक पार्टी उम्मीदबार चुनने के लिए हिलेरी किल्तेन की जगह बराक ओबामा को चुन लिया जो जन्म से अमेरिकन नहीं है । उस देश का क्या हो सकता है जो अपने मूल का नेता न चुन पाए ,या ऐसे आदमी का जो सिर्फ राजनीती के लिए अपना मूल धरम बदल कर इसाई हो जाए को सर आखों पर बठाये । मेरा मानना है जो अपने मूल का नहीं हुआ ,अपने पेत्रिक धर्म का नहीं हुआ वोह उस देश का क्या होगा । अमेरिका का पतन चालू हो गया क्योंकी हाय पूरे विश्व की उसे लग चुकी है ,और अपनी कब्र वो खोद ही रहा है । और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण चाहे किसी देश में हो बर्बादी तो होती ही है ।
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आपने सटीक लिखा है. सत्य है- जिसका उत्थान हुआ है , उसका पतन भी निश्चित है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंजैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान, यह हैं गीता का ज्ञान ।
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