कोई प्रतिक्रिया नहीं कोई क्रिया नहीं । हम भूल चुके है देश प्रेम भी कोई वस्तु है । हम आतंक को इसलिए बुरा नहीं कहते कि हमारी धर्म निरपेक्ष छवि पर दाग लग जायगा । एक रुबिया के बदले आतंकवादियों को मुक्त करा कर हमने एक राह दिखाई ,विदेशी आतंकियों को सुरक्षित मार्ग दिया जिन्होंने हज़रत बल मस्जिद में आग लगा दी । संसद हमले के अरोपिओं को बा इज्ज़त रिहाई , यह वोह फाँसी के फंदे है जो हम अपने गले में डाल चुके है।
हम क्यों नहीं सीख लेते है इस्राइल से जो अपने एक नागरिक को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देता है । हम कमजोर मानसिकता के साथ यह लडाई लड़ रहे है । अपने शहीदों का अपमान सह लेते है अगर यही हाल रहा तो जिन्ना का सपना पूरा हो ही जायेगा कि
लड़ के लिया पाकिस्तान -हस के लेंगे हिंदुस्तान
डर कर दिया पाकिस्तान, मर कर देंगे हिन्दुस्तान.
जवाब देंहटाएंहमें मारते रहो....
हम आप ओर संजय जी की बात से सहमत हे. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसंजय भाई के नारे में भी एक सच्चाई सी लग रही है आज के हालात देख कर!!
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