अदालत का फैसला आ गया ,सज़ा हो गई ५ साल की । ९ साल के बाद आया फैसला लेकिन आया तो न जाने कितने लोग इन्साफ की आस लिए चले जाते है और लौट के कभी नही आते । एक सकून तो मिला होगा उन को जो कुचल गए थे । चलो इन्साफ तो हुआ जैसा भी ,जैसी भी परस्थितियो में । गवाह खरीदे गए ,वकीलों के ईमान डोल गए ,एक बड़ी रकम का इस्तमाल हुआ मरने वालो के परिवारों का मुँह बंद करने के लिए ।
लेकिन इन्साफ मिला या कहे समाज के डर से इन्साफ हुआ , इन्साफ को भी तो खरीदने की कोशिश तो हुई होगी क्योंकि कहा जाता है नंदा परिवार तो बहुत मालदार है ।
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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा