अच्छा ब्लॉग लिखना शुरू किया रोज़ रोज़ कहाँ से लाऊ नए विषय । मन भी नही मानता अंदर से आवाज़ आती है लिखो जरूर लिखो ठीक है साहब लिख रहे है अब आप पढो । एक ताऊ था हमारे यहाँ .... अरे भाई ताऊ , ताऊ का तो पेटेंट है छोड़ो ताऊ को कोई नई कहानी .................. हाँ एक नया हकीकत किस्सा आज ही बीता मेरे ऊपर लिखने लायक है या नही चलिए लिख रहा हूँ ।
किसी ने कहा मंगल को बंदर को चने खिलाओ कई महीने टालता रहा आज न जाने मन में आया कि चलो खिलाये ही देते है आधा किलो चने लिए बंदरो के लिए और चले बंदरो के पास । शहर से मेरे गावं तक रास्ते मे दसिओं जगह पर सैकडो बंदर मटरगश्ती करते रहते है ।
आश्चर्य मुझे एक भी बंदर नही दिखा गाँव तक पहुच कर मन खिन्न सा हो गया । मन मे सैकडो विचार उठे क्यो मुझे बंदर नही दिखे ? आगे रामगंगा नदी है वहां दूसरी तरफ बंदर दिखे लेकिन वह बंदर जहाँ बैठे थे वहां बहुत से चने पहले से पड़े थे और वह उनेह भी नही खा रहे थे । जैसे तैसे मैंने बंदरो को चने डाले उन्होंने उन चनो कि तरफ ध्यान ही नही दिया । थोडी देर मे और बंदर आए उन्होंने वह चने खाए । तब जाकर चैन पड़ा । और लौटते समय मुझे बंदर ही बंदर मिले ।
प्रश्न यह उठता है ऐसा क्या हुआ जो मुझे बंदर नही दिखे और जब दिखे तो चने नही खाए क्या यह कोई संकेत है कुछ होनी या अनहोनी का । आप के पास जवाब हो तो मेरी सहायता करे ।
किसी भी प्रकार कि अनहोनी का दुराग्रह ना करें. आपने उनका कुछ बिगाड़ा तो नहीं कि बदला लेने आ जाएँ. जाते समय नहीं दिखे, यह मात्र संयोग है.
जवाब देंहटाएंजैसा किसी ने आप को सुझाया वैसे ही बहुत जने लगे पहुंचने मंगलवार को चने लेकर। अब वे बंदर ही सही पर कब तक चने खायेंगें भाई। सो भग लिये।
जवाब देंहटाएंपुरानी कहावत है न कि जब चने होते हें , तो दांत नहीं और जब दांत होते हें तो चने नहीं.....यह मात्र संयोग है , इस घटना को लेकर कोई भ्रम न पालें।
जवाब देंहटाएंयह मात्र संयोग ही है , हो सकता मंगलवार को बंदरों को चने ज्यादा मिलने से ध्यान नही दिया हो | ऐसे ही जोधपुर में लोग बंदरों को बाजरे की रोटिया खिलते है लेकिन एकादशी वाले दिन लोग फल लेकर जातें है यदि उस दिन कोई रोटी ले कर जाए तो बन्दर रोटी नही खाते | उन्हें भी उस दिन का ध्यान रहता है | बेशक आप सुबह कितनी ही जल्दी रोटी लेकर चले जाए वे फलों का ही इंतजार करेंगे | इन जोधपुर के बंदरों पर डिसकवरी चेनल वालों ने तो फ़िल्म भी बनाई है |
जवाब देंहटाएंबन्दर नहीं खा रहे थे तो उनकी संतान मनुष्य को खिला देते । चने बहुत मंहगे हो गए हैं। यदि बंदरों को ही खिलाने हैं तो शुक्रवार को खिलाइए। तब तक मंगलवार वाले चने पच चुके होंगे।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
अजी आप चने भुने हुये नही ले कर गये थे, अगली बार सभी बंदरो को एक एक रुपया दे देना ओर कहना जाओ भी जो मर्जी खाओ.
जवाब देंहटाएंभाइ जब इअतने चने एक दिन मै मिलेगे तो कोन खायेगा, फ़िर बन्द्रो को पता होता है कि आज यहां खाना मिलने बाला है इस लिये सभी वहा इक्कठे हो जाते है.
कोई वहम मत करो ना किसी के बहकावे मे आओ
बंदर वन्य प्राणी है इन्हें जंगलों में ही रहने दिया जाए। अच्छा हुआ कि आपको वो बंदर नहीं मिले जिन्हें भूख़ लगी थी अगर कहीं ग़लती से मिल जाते तो आप पर झपट भी सकते थे अगर ऐसा होता तो आपको एंटी रैबीज़ के इंजैक्शन भी लगाने पड़्ते। बंदरों का पोषण न करें तभी ये जंगलों की ओर रवाना होंगे बल्कि अपने आस-पास के क्षेत्रों में पेड़ लगाएं ताकि बंदरों को पर्याप्त भोजन और रहने का स्थान मिले। मेरी एक सलाह है आपको किसी भूखे और असहाय की मदर करें तो अच्छा ही होगा।
जवाब देंहटाएंअरे मित्र किसकी बातों में आ गए ? भाई हमें तो जैसे बन्दर वैसा कुत्ता कुछ खिलाना पिलाना है तो जरूरतमन्द को खिलाया जाय . ये सब भविष्यवाणी वगैरह को हम तो मानते नहीं . धूर्तपने में जिन्दगी बिताने में जो मजा है वह और कहाँ . बोले तो रफ एण्ड टफ . क्या :)
जवाब देंहटाएंपहेली वाली बहुत सी पोस्टें आ रही हैं, पर नये प्रकार की पहेली वाली पोस्ट है! :)
जवाब देंहटाएंवो बंदर तो ताउ के थे... चने तो ताऊ आकर ताई के लिए ले जाएंगे:)
जवाब देंहटाएंकुछ संकेत दे रहे है या .....वाकई इस बदले परिवर्तन की थाह लेना चाहते है
जवाब देंहटाएंपेहली नही ,कोई संकेत नही सिर्फ़ दुविधा
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