आदरणीय अडवानी जी
अब भी समय है अडवानी जी यह जान लीजिये १९९२ और २००८ मे बहुत फर्क है । तब से जनता बहुत जागरूक हो चुकी है । आपने भगवान श्री राम का उपयोग करके सत्ता प्राप्त की और उन्ह भुला भी दिया । बेचारे रामलला तो मर्यादा पुरषोतम थे इसलिए टेंट मे रहने के बाबजूद मर्यादा मे ही रहे ।
लेकिन यह आतंक बहुत छठा हुआ मुद्दा है यह आपका साथ न दे पायेगा । इसलिए इस बेकार की बातों मे समय जाया न करे । जनता के भले के बारे मे कुछ सोचे । आतंक से लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो और वर्तमान सरकार को भी इस मुद्दे पर सहयोग करे ।
अपने पुराने कार्यकर्त्ता जिन्होंने आपको इस लायक बनाया और उनको आपने सत्ता के हवन मे आहूत कर दिया उनका मान सम्मान बरकरार करे ।
और अपनी पार्टी को बड़बोले जनाधारविहीन लोगो से मुक्त करे क्योंकि यही वह आस्तीन के साँप है जो आपके जिन्ना के बयाँ को विवदास्पद बना देते है ।
मैं यह इस लिए नहीं लिख रहा हूँ की मुझे आपसे हमदर्दी है । मैं तो आपका सबसे बड़ा आलोचक हूँ । लेकिन मैं मानता हूँ देश की तरक्की के लिए एक मजबूत विपक्ष का भी होना जरूरी है । और बहुत से सज्जन आपमें सम्भावना देखते है । यदि उनकी मन की हो गई तो देश को प्रधनमंत्री तो मजबूत मिले ।
अजी यह सब उल्लु के पठ्ठे है, कोई भी नही सुधरने वाला, क्यो अपने पत्र लिख लिख कर खराब करते हो.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जो अब तक नही सुधरे वे अब क्या सुधरेंगे ?
जवाब देंहटाएंलेकिन यह आतंक बहुत छठा हुआ मुद्दा है यह आपका साथ न दे पायेगा । इसलिए इस बेकार की बातों मे समय जाया न करे । जनता के भले के बारे मे कुछ सोचे । आतंक से लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो और वर्तमान सरकार को भी इस मुद्दे पर सहयोग करे ।
जवाब देंहटाएंsahi pharmaaya aapne
हां, अडवाणी जी जानते हैं कि १९९२ और २००८ में अंतर है - उतना ही जितना एक गृहमंत्री और प्रधानमंत्री में होता है!!!
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