मंगलवार, दिसंबर 09, 2008

अडवानी जी के नाम खुला पत्र

आदरणीय अडवानी जी
अब भी समय है अडवानी जी यह जान लीजिये १९९२ और २००८ मे बहुत फर्क है । तब से जनता बहुत जागरूक हो चुकी है । आपने भगवान श्री राम का उपयोग करके सत्ता प्राप्त की और उन्ह भुला भी दिया । बेचारे रामलला तो मर्यादा पुरषोतम थे इसलिए टेंट मे रहने के बाबजूद मर्यादा मे ही रहे ।

लेकिन यह आतंक बहुत छठा हुआ मुद्दा है यह आपका साथ न दे पायेगा । इसलिए इस बेकार की बातों मे समय जाया न करे । जनता के भले के बारे मे कुछ सोचे । आतंक से लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो और वर्तमान सरकार को भी इस मुद्दे पर सहयोग करे ।

अपने पुराने कार्यकर्त्ता जिन्होंने आपको इस लायक बनाया और उनको आपने सत्ता के हवन मे आहूत कर दिया उनका मान सम्मान बरकरार करे ।

और अपनी पार्टी को बड़बोले जनाधारविहीन लोगो से मुक्त करे क्योंकि यही वह आस्तीन के साँप है जो आपके जिन्ना के बयाँ को विवदास्पद बना देते है ।

मैं यह इस लिए नहीं लिख रहा हूँ की मुझे आपसे हमदर्दी है । मैं तो आपका सबसे बड़ा आलोचक हूँ । लेकिन मैं मानता हूँ देश की तरक्की के लिए एक मजबूत विपक्ष का भी होना जरूरी है । और बहुत से सज्जन आपमें सम्भावना देखते है । यदि उनकी मन की हो गई तो देश को प्रधनमंत्री तो मजबूत मिले ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. अजी यह सब उल्लु के पठ्ठे है, कोई भी नही सुधरने वाला, क्यो अपने पत्र लिख लिख कर खराब करते हो.
    धन्यवाद

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  2. जो अब तक नही सुधरे वे अब क्या सुधरेंगे ?

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  3. लेकिन यह आतंक बहुत छठा हुआ मुद्दा है यह आपका साथ न दे पायेगा । इसलिए इस बेकार की बातों मे समय जाया न करे । जनता के भले के बारे मे कुछ सोचे । आतंक से लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो और वर्तमान सरकार को भी इस मुद्दे पर सहयोग करे ।
    sahi pharmaaya aapne

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  4. हां, अडवाणी जी जानते हैं कि १९९२ और २००८ में अंतर है - उतना ही जितना एक गृहमंत्री और प्रधानमंत्री में होता है!!!

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा