समय के साथ साथ दर्द ,आक्रोश ,क्रोध खत्म हो रहा है । सभी बहादुर जिसमे में मैं और आप भी शामिल है अपनी औकात मे पहुच रहे है । वही रास रंग ,किस्से कहानी ,हास्य परिहास्य शुरू हो रहा है।
शहीद सिर्फ अपने घर वालो की ही यादो मे रह जायेंगे , हमारी याददाश्त इतनी नहीं की हम उनेह लम्बे समय तक याद करे क्योकि हम अपने ऊपर हुए अहसान तो याद नहीं रहते यह तो देश की बात है ।
एक प्रश्न जो मुझे परेशान कर रहा है कि हम स्वाभिमानी फिर से कब होंगे ? हमारा खून सफ़ेद हो गया है और ह्रदय पत्थर ।
कौन से अवतार के इंतज़ार मे है हम हिन्दुस्तानी , या कौन सी दुर्घटना हमारी अंतरात्मा को जगायेगी ? इस यक्ष प्रश्न के भी जबाब का इंतज़ार है । मेरी मदद करे
जी विवेक जी -हमें शर्म फिर भी नही आती ! शर्म शर्म धिक्कार धिक्कार !
जवाब देंहटाएंजी धीरूजी !हमें शर्म फिर भी नही आती ! शर्म शर्म धिक्कार धिक्कार !
जवाब देंहटाएंहम स्वाभिमानी फिर से कब होंगे ?
जवाब देंहटाएंजिस दिन हम अपने आप को भारतीय समझने लगेंगे तब |
क्योंकि अभी हम कोई हिंदू है,कोई मुस्लमान है,कोई और धर्मवाला,तो कोई मराठी या कोई और क्षेत्र वाला इसलिए स्वाभिमान भी किसी को मराठी होने पर है,किसी को हिंदू ,किसी को मुसलमान होने पर |
और ये हमला भारत पर हुवा है |
धीरुजी,
जवाब देंहटाएंजब-जब देश पर कोई संकट आता है तब-तब देशवासी एकजुट हो जाते हैं। पर विपदा हटते ही फिर सभी उसी नोच-खसोट, वैमनस्य, हेरा-फेरी, धोखा-धड़ी याने अपनी पर उतर आते हैं। यह एकजुटता भी, श्मशान वैराग्य की तरह होती है। जब तक शव के साथ इंसान वहां रहता है तो एकदम वैरागियों की तरह की सोच हो जाती है। पर बाहर आते ही पूराना टुच्चापन फिर घेर लेता है।
वैसे भूलना इंसान की फ़ितरत है। यदि भगवान ने यह शक्ति ना दी होती तो शायद गमों के बोझ से दुनिया खत्म ही हो जाती। इससे भी बड़े-बड़े संकट हमने झेले हैं। हताश ना हों। रात की घनघोर कालीमा सुबह के आने की सूचक होती है।
पता नहीं यार कब होंगे? स्वाभिमानी होने से पैहले समझदार होना जरुरी है, कोई मूर्ख आपने स्वाभिमानी देखा है? यहां लोग हर बार जात और धर्म के नाम पर न सिर्फ वोट देते हैं बल्कि निजी जीवन मे भी लोगों के बारे अपनी राय बनाते हैं, दोस्ती करते हैं, दुश्मन भी बनाते हैं और हमेशा गलती करते हैं. आने वाले चुनावों मे भी फिर यही मूर्खता करने वाले हैं. सिर्फ कुछ माह बाकी हैं देख लेना.
जवाब देंहटाएंआपका सवाल सही है किरकिरे साहब की इत्ती शानदार बिना गोली चलाये बिना लडे शहादत के बाद का डाऊट "कि हम फ़िर से कब स्वाभिमानी होगे ?" चिंता का विषय है . पर कतई चिंता ना करे ए टी एस अब फ़िर से लग गई है साध्वी के नारकीय टेस्ट काम पर जल्द ही वो घोषणा कर देगी कि हम आतंकवादियो के लिये आत्म निर्भर हो गये है.इस बार का ताज ओबेराय कांड पुरोहित और साध्वी का किया हुआ ही था. तब हमारा स्वाभिमान फ़िर से लौट आयेगा जी
जवाब देंहटाएं"alag sa "ने ठीक कहा है...हमारा स्वाभिमान बना रहे यही कामना है
जवाब देंहटाएंप्रिय धीरू
जवाब देंहटाएं"अपनी कलम को हथियार बना
शब्दों में बारूद भरे
सोया समाज राख समान
उसमे कुछ आग लगे
ज्योती को भड़का कर"
आज बडे आराम से दरवार का सैर किया. कई आलेख पढे. तुम्हारा उत्साह देखा. देशभक्ति देखी. मन को बडा सकून मिला.
नियमित रूप से लिखा करो. लिखोगे तो जो उपर की पंक्तियों में कहा है वह जरूर होगा.
लोगों के मन जागेंगे, तब वे देश की भक्ति करेंगे.
सस्नेह -- शास्त्री