रविवार, अक्तूबर 12, 2008

मेरा एक्याव्न्वा पत्र ब्लॉग पर {आपका आशीर्वाद चाहिए }

एक दिन ब्लॉग के बारे में पता चला ,पहले पढ़ा फिर लिखने की कोशिश की । शरुआत हुई तुकबंदी भिडाई , अपना दरवार नाम से ब्लॉग बनाया । दरवार नाम इसलिए बचपन से दोस्तों से बैठ कर बाते होती रहती थी पापा से डाट पड़ती थी क्या हमेशा दरवार लगाये बैठे रहते हो कुछ करो ।



पहले के दो तीन चिट्ठे बिलकुल ऐसे थे कि किसी ने कोई तबज्जो नहीं दी । अचानक भड़ास पर लिखा और जैसा देश वैसा भेष जैसा हुआ एक मजाक चर्चा बन गई । भड़ास से निकाला गया लोगो ने साथ भी दिया दुबारा सदस्यता बहाल हुई । यह मेरा टर्निंग पॉइंट था ब्लॉग लेखन में ।



उसी समय कुछ टिप्पणी महान लोगो की मिली जिसमे शास्त्री जी ,समीर जी उड़नतश्तरी ,विवेक सिंह ,परमजीत बाली,फिरदौस खान,सुरेश चंदर गुप्ता ,डॉअनुराग ,सीमा गुप्ता ,संगीता पुरी , दिनेश राय द्विवदी ,रंजन राजन ,रतन सिंह एवं राज भाटिया जी (जिन्होंने अपने पराये देश में मुझे जगह दी )आदि मुख्य है । और उनकी नियमित टिप्पणियों ने मुझे सार्थक लेखन को प्रेरित किया ।

यह में नहीं जानता कि आज कहाँ खडा हूँ लेकिन में एक छात्र हूँ और और अपने वरिष्ठो के द्वारा सीखने कि कोशिश कर रहा हूँ । ५० पत्र ब्लॉग लिख लिए लेकिन में संतुष्ट नहीं हूँ । कुछ कुछ समझ ने कि कोशिश कर रहा हूँ आप सबका सहयोग चाहता हूँ । मेरी मदद करे। और इश्वर से मेरे लिए प्रार्थना करें कि मैं कुछ पहचान बना सकूँ अपनी ब्लोगेर दुनिया में।
आपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा में
आपका
धीरू सिंह

3 टिप्‍पणियां:

  1. अरे धीरु भाई हम उठते गिरते अपने आप ही सब कुछ सीख जाते है, अभी तो शुरुआत है, भाई आप का यह दरवार खुब भरएगा, खुब रोनक लगेगी, बस अपनी मस्ती मे लिखते रहो
    धन्यवाद

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  2. कोशिश करते रहना चाहिए।हम भी वही कर रहे हैं।निश्चिन्त रहे- होगें कामयाब एक दिन............

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा