विजयादशमी पर आओ हम यह संकल्प करे ,
आतंक रूपी रावण का राम बन संहार करे ।
हनुमान की भांति हम अपनी शक्ति भूल गए ,
आओ सोई शक्तियों को जगाने का आव्हान करे ।
अपने क्रोध की ज्वाला को इतना आज प्रवल करे ,
आतंक रूपी रावण का हम आज ही दहन करे ।
कलयुग में किसी चमत्कार की आशा बिलकुल न करे ,
आओ राम बन आतंक रूपी रावण का संहार करे ।
सत्य कहा आपने.वर्तमान दशा मन में सहज ही ये उदगार भरते हैं.
जवाब देंहटाएंसटीक,वक़्त का तकाज़ा यही है। आपको दशहरे की बधाई।
जवाब देंहटाएंसही कहा आप ने. आतंकवाद सोच में, कथन में और कर्म में तीनों में होता है. इन सब का विनाश करना जरूरी है.
जवाब देंहटाएंयह कमेन्ट मोडरेशन क्यों लगा रखा है आपने?
आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंविजय दशमी पर्व की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
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