भारत के सबसे बड़े सपनो के सौदागर रतन टाटा ने नैनो नामक सपनीली कार के द्वारा आम आदमी को कार का सपना दिखा कर उसके साथ एक मजाक के आलावा कुछ नहीं किया है । यही मजाक संजय गाँधी द्वारा ८० के दशक में मारुती के रूप में आम आदमी के साथ किया, लेकिन मारुती ने भारत में कार क्रांति की शरुआत तो की ।
१ लाख की कार नैनो दुनिया भर में चर्चा का विषय है अपनी कीमत से और अपने बनने वाली जगह को लेकर । सिंगुर को अमर कर दिया नैनो ने .ममता को फिर से चर्चा में ला दिया नैनो ने ,कामुनिस्ठो के पूंजीपति प्यार को दर्शा दिया नैनो ने ।
लेकिन आम आदमी की कार आम आदमी के द्वारा प्रोयोग हो सकेगी इस पर एक प्रश्न चिन्ह है । १ लाख से यह कार १ लाख २५ हजार की हो गई आते आते १५०००० की हो जायेगी एसी उम्मीद है । उसका पेट्रोल का खर्चा क्या आम आदमी उठा पायेगा वह आम आदमी जो अपने स्कूटर में पेट्रोल नहीं डला पा रहा है ।
आज सरकारे टाटा की नैनो के लिए रतन टाटा की चरण बंदना कार रही है । नरेंदर मोदी सच्चे भक्त साबित हो गए है और टाटा का सानिद्य और आशीर्वाद उनेह प्राप्त हो गया है ।
टाटा का सपना तो पूरा हो गया ,आम आदमी के सपने की परवाह किसे है । आम आदमी को आज भी कार से ज्यदा रोटी ,कपडा ,और मकान की आवश्यकता है जो ६३ साल के बाद भी सपना सरीखा ही है ।
सार्थक लेख\।
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