रावण फिर अट्टहास कर रहा है
दशहरे पर जलने के लिए मचल रहा है
क्योंकि
उस दिन वह फिर से नया जन्म लेता है
अपनी आसुरी शक्तियों को नई शक्ति देता है
त्रेता से आज तक
हम रावन को हर साल जलाते है
लेकिन उसे मार न पाते है
क्योंकि
वह हमारे भीतर पलता है
इसलिए
हर साल जलने वाला रावण
फिर भी नहीं मरता है
बहुत ख़ूब...
जवाब देंहटाएंअटल सत्य, उत्तम विचार।
जवाब देंहटाएंक्योंकि
जवाब देंहटाएंवह हमारे भीतर पलता है
इसलिए
हर साल जलने वाला रावण
फिर भी नहीं मरता है
"very well said, a hidden truth'
regards
भीतर बैठे रावण को जलाकर दिखाओ जाने .
जवाब देंहटाएंअन्यथा ऐसे ही हर साल रावण जलाते रहेंगे .
और रावण है की दूसरे दिन फिर बाहर आ खड़ा होगा . अगली बार जलने के लिए .
पिछले साल भी किसी ने
जवाब देंहटाएंऐसा ही लिखा था
पर मैं तब भी नहीं जला था
इसलिए इस साल भी सबके
सामने हूं,
कितनी और चाहे जैसी कवितायें
लिख लों सब ब्लॉगरों
मैं नहीं जलूंगा
पहले हर साल जलता था
पर अब साल दर साल
ब्लॉग्स में पलूंगा
हर बार करोगे जिक्र तुम मेरा
और मैं बम बम करके हसूंगा
पर मुझे तुम कितना ही जला लो
मैं न मरूंगा, दिलों में तुम्हारे
सदा राज मैं करूंगा
अब मैं अपना एक ब्लॉग
भी बनाने वाला हूं और
एक वेबसाइट भी
देखूं कौन रोकता है मुझे
सब सारे तुम ब्लॉगर्स आओगे
और मेरे ही ब्लॉग पर
टिपिया कर मुझे जलाने जाओगे
लेकिन इस बार भी पिछली
बार की तरह बुरी तरह
असफल हो जाओगे।
बहुत उम्दा, क्या बात है!
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