आज अमेरिका के नए राष्ट्रपति शपथ लेने जा रहे है । उनका शपथ समारोह प्रारम्भ हो चुका है । ओबामा शपथ लेने से पहले चर्च गए और उसके बाद बाइबिल हाथ मे लेकर राष्ट्रपति की शपथ लेंगे ।
मेरे मन मे एक प्रश्न उठ रहा है यदि भारत का राष्ट्रपति शपथ लेने से पहले मन्दिर जाए और गीता को हाथ मे लेकर शपथ ले तो हम उसे क्या कहेंगे .........सिर्फ़ एक शब्द साम्प्रदायिक
तो भारत के समझदार लोगो से सवाल क्या ओबामा साम्प्रदायिक है ?
साम्प्रदायिक नामक गाली भारतीय मूल की है! उसे अमेरिका कहां ठेल रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसाम्प्रदायिकता पर तो सिर्फ हम भारतीयों का एकाधिकार है.
जवाब देंहटाएंईश्वर के जिस रूप में श्रद्धा है उसको साक्षी मानकर शपथ लेने में मुझे कुछ गलत नहीं लगता . यह व्यक्ति विशेष पर छोड देना चाहिए !
जवाब देंहटाएंयह प्रश्न उन नेताओं से पूछना चाहिए जो साम्प्रदाइकता परिभाषित करते हैं|
जवाब देंहटाएंइतना संकीर्ण न हों..खुले दिल से बदलाव का स्वागत करें. हालांकि जो होना है वो तो हो कर रहेगा. :)
जवाब देंहटाएंमैं संकीर्ण नही . मेरा प्रश्न उन्ही लोगो के लिए है जो हर बात मे नुक्ताचीनी करते है
जवाब देंहटाएंधीरू भाई अब क्या कहै, यह सवाल बहुत मायने रखता है, शायद जनता के मन मै कुछ ऎसा ना भी हो लेकिन यह नेता, कभी दलित के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर, कभी जात के नाम पर, भोली भाली जनता को लडाते है, ओर खुद लाशो पर अपना जन्म दिन मनाते है, यह सब इन की देन है.
जवाब देंहटाएंबाइबल पर हाथ रख के शपथ अमरीका के संविधान में है
जवाब देंहटाएंभारत और अमेरिका में बुनियादी फर्क भी हैं और जनाब हर भारत के संविधान में भी यह आजादी है कि शपथ लेने वाला तय करता है कि वह किसके नाम पर शपथ लेगा और अगर कभी शपथ ग्रहण की
प्रक्रिया देखी हो तो यह समझ में आ जाएगा
अमेरिका से नजरें ज़रा अपने संविधान पर डालें तो चीजें समझ में आ जाएँगी
हमारे यहाँ हर इंसान जो चाहता है वह (अपने ?) ईश्वर के नाम पर शपथ लेता है और शपथ लेने से पहले अपनी आस्था वाली जगह पर जाता है
सांप्रदायिक और सेकुलर बनने से पहले भारतीय तो बन जाइए
in sab baato mein kyo sar khapana ji..
जवाब देंहटाएंओबामा जी ने शपथ ले लिया. बधाई उन्हें. लेकिन साम्प्रदायिक नहीं लगते वे. नाम से भी नहीं.
जवाब देंहटाएंईश्वर के जिस रूप में श्रद्धा है उसको साक्षी मानकर शपथ लेने को साम्प्रदायिकता नही माना जा सकता !
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