रविवार, नवंबर 30, 2008

ब्लोगरो से अपील-- अपनी कलम को हथियार बना, शब्दों में बारूद भरे

अपनी कलम को हथियार बना

शब्दों में बारूद भरे

सोया समाज राख समान

उसमे कुछ आग लगे

ज्योती को भड़का करा

क्रांति जवाला प्रजवलित करे

ब्लोगेर तुम समाज सुधारक

नहीं विदूषक निरे

समय आगया संघर्षो का

आओ तुम नेतृत्व करो

हास्य -परिहास श्रृंगार को कुछ दिन को विश्राम दो

लोकतेंत्र के तीनो स्तम्भ अपने आप ही हिल रहे

अनजाने भय के कारण

समाज भी है डरे हुऐ

सुबिधाओ की बहुतायत में

गुलामी की ओर बहे

रोकना होगा इस धारा को

डट के चट्टानों की तरह

8 टिप्‍पणियां:

  1. काहे उलटी सीधी राय दे रहे हो भाई , मिडिया और ए टीएस से अगला लाईव एनेकाऊंटर हमारा ही कराना है क्या ?

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  2. चौथा कौन सा सही काम कर रहा है।

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  3. मीडिया लोकतंत्र का चौथा खम्बा स्वयम बन गया है . संबिधान मे ऐसा कुछ नहीं है .इसलिए मैंने चौथा स्तम्भ का जिक्र नहीं किया .

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  4. अनजाने भय के कारण
    समाज भी है डरे हुऐ
    ... अब सारे खम्बे डरे हुए हैं, उन्हे इस बात का डर है कि कोई उन्हे उखाड न फेके।

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा