शनिवार, नवंबर 15, 2008

इंसानियत बीते ज़माने की बात हो जायेगी

इंसानियत बीते ज़माने की बात हो जायेगी
किस्से कहानियो व किताबो में रह जायेगी
इंसानों को खोजना पड़ा तो
वह अजायबघर की किसी अलमारी में पाया जायेगा

ईमान और खुद्दारी
का मतलब कोई न बता पायेगा
इनका जिक्र आया तो
गीता या कुरान में ही आएगा

एहतराम और इज्ज़त
के किस्से सुने जायेंगे
यह भी कुछ होता था
उसे बडी मुश्किल से मान पाएंगे

2 टिप्‍पणियां:

आप बताये क्या मैने ठीक लिखा