जितेन्द्र भगत जी की पोस्ट "शुक्र है ,उनके हाथ में पिस्तौल नहीं थी "के बारे में पढ़ा बड़े शहरो के बिगडे नवाबजादे क्या नहीं कर गुजरते । ऊँची सिफारिश रखने वाले बेखोफ़ साड़ कहा किस्से टकरा जाए । किसे नुक्सान पहुचादे पता ही नहीं चलता । इससे मिलता जुलता एक हादसा मेरे भी साथ हुआ ।
मैं ग्रामीण प्रष्टभूमि का शहर में रहने वाला एक किसान हूँ । गाँव से शहर रोज़ आना जाना होता है रात बिरात में भी चलना होता है । अभी थोड़े दिन पहले फसल कट रही थी और किसान का वही एक आधार है आमदनी का ,इसलिए खेत पर देर हो गई रात में १० बजे करीब घर की और अपनी गाड़ी से चला ।
थोडी दूर पर ८ , १० लोग दिखाई दिए जो लूटने के मकसद से खडे थे । उन्होंने मुझे रोकने की कोशिश की और गाड़ी पर ईंट फेक कर मारी जिससे शीशा टूट गया ,शुक्र था मेरे पास अपनी पिस्तौल थी और रुकते ही मैंने फायर कर दिया । मेरे अचानक उग्र हमले से उन में भगदड़ मच गई ,और उनमे से एक लड़के को पकड़ लिया तब तक गाँव से और लोग भी आ गए । पकडे गए लड़के की पिटाई पूजा के बाद पोलिस में दे दिया वहां पता चला वह एक अच्छे घर का लड़का था और पढ़ रहा था ।
उसके भबिश्य को देखते हुए उसकी पहली गलती को माफ़ कर दिया । गलत संगत और मज़े के लिए लड़के ऐसे अँधेरे में प्रवेश कर जाते है वहां से निकलना मुश्किल हो जाता है । भगत जी बच गए की वहां पिस्तौल नहीं थी और मैं बच गया क्योंकि मेरे हाथ मैं पिस्तौल थी ।
मज़बूरी है अपने को बचाने के लिए हमें हथियार रखने पड़ते है । जंगल सा माहौल है सब तरफ जिन्दा रहने के लिए रोज़ कोशिश करनी पड़ती है । क्योकि मर भी तो नहीं सकते ऐसे ,पीछे रोने वालो का क्या होगा .
ये सच है की हर कोई अपने से अधिक ताकतवर से डरता है पर क्या आप यही सलाह (बंदूक रखने की ) बाकी सब लोगों को भी देना चाहेंगे?
जवाब देंहटाएंदेश में इतनी गुंडागर्दी और अराजकता फ़ैल चुकी है, और कानून व्यवस्था इस कदर लचर हो गई है है की, लगता है लोगों को अपनी सुरक्षा का इंतजाम ख़ुद कर लेना चाहिए. आपके साथ कोई वारदात हो जाती है तो फ़िर शायद कहीं कोई सुनवाई नहीं है.
जवाब देंहटाएंसही है..
जवाब देंहटाएंsach baca liya pistol ne aapko
जवाब देंहटाएंNew Post : खो देना चहती हूँ तुम्हें.. Feel the words
शुक्र है आपके साथ कोई हादसा नही हुआ .....
जवाब देंहटाएंशुक्र है आप के साहस ने बहुत काम किया और पिस्तौल ने भी। हमारे एक चौधरी ताऊ ससुराल गए थे तो रास्ते मे डकैतों ने हमला कर दिया। उन्हों ने डकैत मार पीट कर भगाए सो भगाए एक को अपने साफे में बांध लाए। पुलिस स्टेशन दूर था तो तीन दिन ससुराल में उन्हें बांध कर रखा चौथे दिन पत्नी को लेकर लौटे तो थाने पर डकैत को छोड़ते गए।
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ एक पिस्तौल का लायसेंस ले लूँ पर सुना है घोड़े से घुड़सवार ही गिरता है, पैदल चलनेवाले नहीं, चाहे घोडे से टकरा जरूर जाते हों :)
जवाब देंहटाएंमरें आपके दुश्मन . आपके साहस को नमन . द्विवेदी जी की कहानी अगर सच है तो मजेदार है . टल्ल है तो और भी ज्यादा मजेदार है .
जवाब देंहटाएंभाई आप बच गये अच्छी बात है, क्या यही संस्कार दिये जा रहै है आज बच्चो को...
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